बीसीआई ने समन्वय समिति से सोमवार से प्रस्तावित वकीलों की हड़ताल वापस लेने का अनुरोध किया
नोमान पवनेश
- 06 Sep 2025, 08:55 PM
- Updated: 08:55 PM
नयी दिल्ली, छह सितंबर (भाषा) बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीआईसी) ने दिल्ली की जिला अदालतों के सभी जिला बार एसोसिएशनों की समन्वय समितियों से आठ सितंबर से शुरू होने वाली वकीलों की हड़ताल को वापस लेने या स्थगित करने का शनिवार को अनुरोध किया।
इससे पहले बृहस्पतिवार को, समिति ने पुलिस आयुक्त कार्यालय द्वारा प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को लिखे गए पत्र की निंदा की थी, जिसमें पुलिस ने अदालतों में ऑनलाइन माध्यम से साक्ष्य प्रस्तुत करने के प्रस्तावित तरीकों के बारे में बताया था। समिति ने सोमवार से वकीलों की अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा करते हुए कहा था कि यह प्राधिकारियों द्वारा दिए गए आश्वासन के विपरीत है।
बीसीआई के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है, "मैं वादियों के अधिकारों की रक्षा और बार की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए समिति के प्रयासों का सम्मान करता हूं।’’
उन्होंने कहा, “थानों से वीडियो कॉन्फ्रेंस के ज़रिए पुलिस गवाहों की गवाही के मुद्दे पर चिंता जताकर, समिति ने एक वास्तविक चिंता को उजागर किया है। और हमारी जानकारी के अनुसार, कुछ हफ़्ते पहले केंद्रीय गृह मंत्री (अमित शाह) के साथ समिति की एक बैठक हुई थी।”
पत्र में कहा गया है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने चार जुलाई की अपनी अधिसूचना के माध्यम से वीडियो कॉन्फ्रेंस के लिए प्रक्रिया निर्धारित की है और निर्दिष्ट स्थानों की पहचान की है जिनमें जेल, फोरेंसिक विभाग, अभियोजन कार्यालय और थाने शामिल हैं।
पत्र में कहा गया है कि इसके बाद, उपराज्यपाल (एलजी) ने 13 अगस्त को एक अधिसूचना जारी कर दिल्ली के सभी थानों को निर्दिष्ट स्थानों के रूप में नामित किया, जिसका व्यापक विरोध हुआ और अगस्त में छह दिनों की हड़ताल भी हुई। इस हड़ताल को केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा यह आश्वासन दिए जाने के बाद स्थगित कर दिया गया कि बार की चिंताओं को सुना जाएगा, और पुलिस आयुक्त के कार्यालय ने स्पष्ट किया कि सभी हितधारकों को सुने बिना आदेश को लागू नहीं किया जाएगा।
पत्र में कहा गया है कि चार सितंबर को आयुक्त कार्यालय ने एक परिपत्र जारी कर यह स्पष्ट किया कि केवल औपचारिक पुलिस गवाहों का ही वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से परीक्षण किया जाएगा, जबकि पुलिस के अहम गवाह अदालत में आकर गवाही दे सकते हैं। इसमें कहा गया है कि इसके अलावा, यदि बचाव पक्ष पुलिस के गवाह को अदालत में बुलाने का अनुरोध करता है, तो पीठासीन न्यायाधीश गुण-दोष के आधार पर इस पर विचार कर सकते हैं और अदालत में आकर गवाही की अनुमति दे सकते हैं।
पत्र में कहा गया है, "इन प्रावधानों से पता चलता है कि बार की चिंताओं का समाधान कर दिया गया है और मांग का एक बड़ा हिस्सा पूरा कर दिया गया है।"
इसमें कहा गया है कि काम से बार-बार विरत रहने से विचाराधीन कैदियों और अपराध पीड़ितों सहित वादियों को गंभीर कठिनाई हो रही है, तथा उन वकीलों को भी कठिनाई हो रही है जो अपने पेशेवर कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए उत्सुक हैं।
पत्र में कहा गया है, "कृपया याद रखें कि यह (2025 में ही)चौथा या पांचवां अवसर है जब समिति ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का आह्वान किया है। जैसा कि हम सभी जानते हैं, उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि वकीलों को हड़ताल करने या अदालतों के बहिष्कार का आह्वान करने का कोई अधिकार नहीं है।"
पत्र में कहा गया है, "इसलिए, मैं समन्वय समिति से प्रस्तावित हड़ताल को स्थगित करने/वापस लेने का अनुरोध करता हूं, और मैं इसे सोमवार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया और दिल्ली राज्य बार काउंसिल के साथ एक संयुक्त बैठक में भाग लेने के लिए आमंत्रित करता हूं।"
भाषा
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