राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार हिंदू नेता को जमानत देने से बांग्लादेश की अदालत का इनकार
वैभव धीरज
- 26 Nov 2024, 06:37 PM
- Updated: 06:37 PM
ढाका, 26 नवंबर (भाषा) बांग्लादेश की एक अदालत ने मंगलवार को प्रमुख हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को जमानत देने से इनकार कर दिया जिन्हें राजद्रोह के आरोपों में गिरफ्तार किया गया है।
ढाका और चटगांव समेत अनेक स्थानों पर हिंदू समुदाय के सदस्यों के विरोध प्रदर्शनों के बीच ब्रह्मचारी को जेल भेज दिया गया।
बांग्लादेश पुलिस ने हिंदू संगठन ‘सम्मिलित सनातनी जोत’ के नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को ढाका में हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से सोमवार को गिरफ्तार किया था, जब वह चटगांव जा रहे थे। उन्हें चटगांव लाया गया।
अधिकारियों ने कहा कि दास को कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत ले जाया गया, जहां वकीलों सहित उनके कई समर्थक उनकी गिरफ्तारी के विरोध में नारे लगा रहे थे।
चश्मदीदों के अनुसार अदालत परिसर में जमा समर्थकों का दास ने हाथ जोड़कर अभिवादन किया। दास के समर्थक नारे लगा रहे थे। दास ने उनसे धार्मिक नारे नहीं लगाने की अपील की।
दास के वकीलों ने सुनवाई के दौरान चटगांव के छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम से अनुरोध किया कि उनके लिए भी गिरफ्तारी वारंट जारी किए जाएं।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मैं उनके प्रति आपकी भावनाओं का सम्मान करता हूं।’’
इसके बाद इस्लाम ने कुछ देर के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी। कार्यवाही फिर शुरू होने पर उन्होंने वकीलों से जमानत अर्जी पेश करने को कहा। इस दौरान दास ने एक बयान भी दिया।
दलीलें समाप्त होने के बाद इस्लाम ने दास की जमानत याचिका खारिज कर दी।
न्यायाधीश ने कहा कि चूंकि दास को शहर के बाहर से गिरफ्तार किया गया है, तो कानून के अनुसार उन्हें 24 घंटे न्यायिक हिरासत में रखा जाना आवश्यक है।
इसके बाद अदालत ने दास को जेल ले जाने का आदेश दिया और जेल अधिकारियों को निर्देश दिया कि हिंदू धर्मगुरु को जेल संहिता के अनुसार उनके धार्मिक रीतिरिवाज का अनुसरण करने की अनुमति दी जाए।
‘द डेली स्टार’ अखबार के अनुसार दोपहर के आसपास अदालत के आदेश के तत्काल बाद दास के अनुयायियों ने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। उन्होंने दास को लेकर जा रहे कैदी वाहन को रोका। प्रदर्शनकारी उनकी रिहाई की मांग करते हुए नारे लगा रहे थे।
अखबार की खबर के अनुसार पुलिस और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के सदस्यों ने गाड़ी का मार्ग प्रशस्त करने के लिए प्रदर्शनकारियों पर आवाज करने वाले गोले बरसाए और लाठियां भांजीं। वाहन अंतत: अपराह्न तीन बजे के आसपास अदालत परिसर से बाहर जा सका।
दास ने वाहन के अंदर से अपने समर्थकों से शांति बरतने की अपील की।
उनके हवाले से अखबार ने लिखा, ‘‘हम राज्य और सरकार के खिलाफ नहीं हैं। हम सनातनी राज्य का हिस्सा हैं। हम राज्य को अस्थिर करने और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को नष्ट करने के लिए कुछ नहीं करेंगे। हम अपनी भावनाओं को काबू में रखकर और उन्हें अपनी शक्ति बनाकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करेंगे।’’
प्रदर्शनकारी ‘जय श्री राम’ समेत अनेक नारे लगा रहे थे।
दास की रिहाई की मांग को लेकर ढाका, चटगांव, कुमिला, खुलना, दिनाजपुर और कॉक्स बाजार समेत विभिन्न जिलों में प्रदर्शन हो रहे हैं।
सोमवार को चटगांव में चेरागी पहाड़ चौराहे पर हिंदू समुदाय के सैकड़ों लोगों ने सड़कों पर उतरकर दास की तत्काल रिहाई की मांग की। इसी तरह ढाका में हिंदू समुदाय के लोगों ने गिरफ्तारी का विरोध करते हुए शाहबाग चौराहे को जाम कर दिया।
बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद ने भी दास की गिरफ्तारी का विरोध किया और उनकी तत्काल रिहाई की मांग की।
दास और 18 अन्य लोगों के खिलाफ 30 अक्टूबर को पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के एक नेता की शिकायत पर चटगांव के कोतवाली पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया था। उन पर 25 अक्टूबर को हिंदू समुदाय की एक रैली के दौरान शहर के लालदीघी मैदान में बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप लगाया गया था।
स्थानीय शासन मामलों के सलाहकार और भेदभाव-रोधी छात्र आंदोलन के नेता आसिफ महमूद ने कहा कि दास को किसी समुदाय के नेता के तौर पर गिरफ्तार नहीं किया गया है, बल्कि राजद्रोह के लिए गिरफ्तार किया गया है।
उन्होंने उत्तर पश्चिम रंगपुर शहर में एक जनसभा के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘अगर कोई राजद्रोह जैसी किसी घटना में संलिप्त है तो उसे बख्शा नहीं जाएगा।’’
महमूद ने कहा, ‘‘यदि बांग्लादेश की संप्रभुता और आजादी खतरे में पड़ती हैं या देश की अवमानना या अपमान होता है तो सरकार निश्चित रूप से कदम उठाएगी।’’
दास इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) के सदस्य भी थे, जिसने हाल ही में उन्हें निष्कासित कर दिया था।
बांग्लादेश में इस्कॉन के अधिकारियों की इस पर तत्काल प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी।
इस बीच, भारत ने मंगलवार को दास की गिरफ्तारी और उन्हें जमानत देने से इनकार करने पर ‘गहरी चिंता’ व्यक्त की और बांग्लादेशी अधिकारियों से हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘यह घटना बांग्लादेश में चरमपंथी तत्वों द्वारा हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर कई हमलों के बाद हुई है।’’
भाषा वैभव