पिछड़ी जातियों का सामाजिक-शैक्षिक सर्वेक्षण स्थगित नहीं किया जाएगा: सिद्धरमैया
नोमान अविनाश
- 19 Sep 2025, 07:11 PM
- Updated: 07:11 PM
बेंगलुरु, 19 सितंबर (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शुक्रवार को कहा कि पिछड़े वर्गों का सामाजिक-शैक्षिक सर्वेक्षण स्थगित नहीं किया जाएगा।
उन्होंने यह टिप्पणी कैबिनेट में इस मुद्दे पर मतभेद की खबरों के बीच की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सर्वेक्षण कैसे किया जाएगा, इस बारे में फैसला पिछड़ा वर्ग आयोग करेगा।
उनसे पत्रकारों ने पूछा कि कुछ मंत्रियों ने सर्वेक्षण का विरोध किया और इसे स्थगित करने की मांग की है। इसके जवाब में सिद्धरमैया ने कहा, "हम इसे नहीं टालेंगे। पिछड़ा वर्ग आयोग संविधान के तहत गठित एक वैधानिक संस्था है। हम इसे कोई निर्देश नहीं दे सकते। हम इसे नहीं टालेंगे। उन्होंने राय मांगी है। आयोग ही इस बारे में फैसला करेगा।"
सर्वेक्षण से मंत्रियों के नाखुश होने के दावों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा, "भाजपा राजनीति कर रही है... वे कांग्रेस सरकार को हिंदू विरोधी बता रहे हैं। मैंने मंत्रियों से कहा कि वे इसकी निंदा करें और उन्हें उचित जवाब दें।"
कैबिनेट की बृहस्पतिवार को हुई बैठक में इस सर्वेक्षण के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया, जिसे जातिगत जनगणना के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, कुछ मंत्रियों ने वोक्कालिगा ईसाई, लिंगायत ईसाई, विश्वकर्मा ब्राह्मण ईसाई, गनीगा ईसाई और माडिवाला ईसाई को शामिल करने पर चिंता जताई है।
इस बीच, केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने सर्वेक्षण को लेकर मुख्यमंत्री की आलोचना करते हुए कहा, "जब भी सिद्धरमैया असफल होते हैं, तो वे जाति कार्ड का इस्तेमाल करते हैं।"
करंदलाजे ने आरोप लगाया कि सिद्धरमैया ने 2013 से 2018 तक अपने पिछले कार्यकाल के दौरान लिंगायत और वीरशैव समुदायों को विभाजित करने की कोशिश की थी, और इस मुद्दे को गांव स्तर तक फैलाने का भी प्रयास किया गया था।
उन्होंने आरोप लगाया, "अब फिर से सिद्धरमैया सभी जातियों को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। वोक्कलिगा, लिंगायत और गनीगा जातियों के अंदर उप-जातियों को बांटने के बाद, सिद्धरमैया ने वोक्कालिगा ईसाई, लिंगायत ईसाई और गनीगा ईसाई जैसे नए नाम गढ़ लिए हैं। वे ऐसा क्यों कर रहे हैं? उनका मकसद हमारा आरक्षण छीनना है।"
मंत्री ने कहा, "अगर कोई व्यक्ति ईसाई है, तो उसे वही लिखना चाहिए और मुझे इस पर कोई आपत्ति नहीं है। जो लोग एससी/एसटी और ओबीसी से ईसाई धर्म में परिवर्तित हुए हैं, उन्हें खुद को ईसाई लिखना चाहिए। उन्हें अल्पसंख्यक श्रेणी में सुविधाएं मिलेंगी।"
करंदलाजे ने दावा किया, "ईसाई धर्म अपनाने वालों को आरक्षण देने के लिए एससी/एसटी और ओबीसी के आरक्षण को छीनने की एक सुनियोजित साजिश है।"
उन्होंने कहा, "अब समय आ गया है कि सभी हिंदू अपनी जाति-उपजाति की सीमाओं से ऊपर उठकर एकजुट हो जाएं, वरना हम लोग बिखर जाएंगे और लोग हमें बांट देंगे। ब्रिटिश सरकार ने जो किया था, सिद्धरमैया सरकार भी वही ब्रिटिश मानसिकता रखती है। हम इसे होने नहीं देंगे।"
भाषा नोमान