अवैध व्यापार सामाजिक-आर्थिक और सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं को बढ़ा रहा: न्यायमूर्ति मनमोहन
संतोष नरेश
- 19 Sep 2025, 08:34 PM
- Updated: 08:34 PM
नयी दिल्ली, 19 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति मनमोहन ने शुक्रवार को इस बात को रेखांकित किया कि देश में अवैध व्यापार के परिणामस्वरूप ना केवल अर्थव्यवस्था और रोजगार पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, बल्कि आपराधिक गिरोहों में भी तेज बढ़ोतरी हुई है।
वे फिक्की ‘कैस्केड’ (अर्थव्यवस्था को नष्ट करने वाली तस्करी और जालसाजी गतिविधियों के विरुद्ध समिति) द्वारा आयोजित ‘तस्करी और अवैध व्यापार के विरुद्ध आंदोलन’ (एमएएससीआरएडीई) नामक एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हमारे पास अब अवैध व्यापार का अनुमान है, और कुछ लोगों के अनुसार यह सालाना तीन ट्रिलियन डॉलर का है। यह देश के लिए केवल राजस्व का नुकसान नहीं है, बल्कि इससे भी आगे, इसका वास्तविक परिणाम नौकरियों में कमी, नवाचार के दोहन और आपराधिक गिरोहों के विकास के रूप में मिलता है। यह एक बहुत बड़ी समस्या है। जब हम व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखते हैं, तो हम जानते हैं कि यहां सामाजिक-आर्थिक और सुरक्षा संबंधी चिंताएं हैं।’’
न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा कि अवैध व्यापार मानव जीवन को भी खतरे में डालता है। उन्होंने कहा, ‘‘कल्पना कीजिए कि आप बीमार हैं और दवा ले रहे हैं, लेकिन फिर भी ठीक नहीं हो रहे हैं क्योंकि यह एक नकली उत्पाद है। तो इससे बहुत गंभीर समस्याएं जुड़ी हैं।’’
उन्होंने कहा कि ऐसे उत्पादों से सरकार को कोई कर नहीं मिलता, न ही इन पर कोई वारंटी होती है, और अगर कुछ गड़बड़ हो जाती है, तो लोग असहाय हो जाते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए इस (अवैध व्यापार) पर अंकुश लगाने की ज़रूरत है। नागरिक समाज को एकजुट होने की जरूरत है। इससे निपटने के लिए हमारे पास पहले से ही एक कानूनी ढांचा है, हमारे पास सुरक्षा और संरक्षा अधिनियम है, हमारे पास भारतीय दंड संहिता है, हमारे पास आईटी अधिनियम, भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम भी हैं, और मुझे बताया गया है कि कृषि संबंधी सामग्रियों पर भी कुछ अधिनियम लागू होने वाले हैं।’’
उन्होंने एक अन्य मुद्दा भी उठाया।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हम अब एक आभासी दुनिया में रह रहे हैं, और अधिकतर चीजें ऑनलाइन दुनिया में हो रही हैं। अब नुकसान और भी अधिक है, और इस बड़ी चुनौती से निपटने के लिए एक नए दृष्टिकोण की जरूरत है।’’
फिल्म उद्योग पर पड़ रहे नकारात्मक प्रभाव की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘कहा जाता है कि फिल्म उद्योग लगभग 2.5 अरब डॉलर का है, और इसमें कॉपीराइट का कारोबार दो अरब डॉलर का है। आज, चुनौतियां बिल्कुल अलग हैं। जब मैं वकालत करता था, तो उल्लंघन पालिका बाजार में बेची जाने वाली डीवीडी से जुड़ा था, और उल्लंघन का यही एकमात्र तरीका था। आज, यह कैसे हो रहा है? यह देश के बाहर स्थित विभिन्न सर्वर के जरिए हो रहा है, उन जगहों से जहां हम नहीं पहुंच सकते, जहां कोई पुलिस या अदालत नहीं पहुंच सकती।’’
यह ‘तस्करी और अवैध व्यापार के विरुद्ध आंदोलन’ का यह 11वां संस्करण है जिसके तहत दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में माल एवं सेवा कर से जुड़े सुधार को लेकर एक रिपोर्ट भी जारी की गई।
भाषा संतोष