खरीफ आवक के साथ मूंगफली लगभग दस साल के निचले स्तर पर, किसान चिंतित
राजेश राजेश रमण
- 19 Sep 2025, 08:41 PM
- Updated: 08:41 PM
नयी दिल्ली, 19 सितंबर (भाषा) खरीफ तिलहन फसलों की मंडियों में आवक शुरु होने के साथ घरेलू बाजार में शुक्रवार को मूंगफली के दाम लगभग 10 साल के निचले स्तर तक लुढ़क गये। इससे देशी तेल-तिलहन किसानों में चिंता बढ़ गयी है।
मूंगफली के दाम धराशायी होने तथा विदेशों में गिरावट के रुख के बीच देश की प्रमुख मंडियों में एक ओर जहां मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल तथा बिनौला तेल कीमतों में गिरावट आई वहीं दूसरी ओर ऊंचे दाम पर कमजोर कामकाज के बीच सरसों तेल-तिलहन तथा कमजोर मांग के कारण सोयाबीन तिलहन के दाम स्थिर बने रहे।
शिकागो और मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट है। बृहस्पतिवार रात भी शिकागो एक्सचेंज गिरावट के साथ बंद हुआ था।
बाजार सूत्रों ने कहा कि मूंगफली की खरीफ फसलों की मंडियों में आवक शुरु हो गयी है। अभी ये आवक लगभग 10 प्रतिशत ही है लेकिन अगले 10-15 दिनों में खरीफ मूंगफली और सोयाबीन की फसल की आवक बढ़ेगी। मौजूदा समय में जिस तरह से मूंगफली लुढ़का है उससे इन देशी फसलों के किसानों की चिंता बढ़ने लगी है कि उनके दाम उन्हें वापस मिलेंगे भी या नहीं।
उन्होंने कहा कि फसल वर्ष 2025-2026 के लिए मूंगफली का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 7,263 रुपये क्विंटल तय किया गया है। लेकिन हाजिर मंडियों में इसके दाम अभी 4,500-5,000 रुपये क्विंटल के बीच हैं। अभी खरीफ फसल का लगभग 10 प्रतिशत ही मंडियों में आया है अगले कुछ दिनों में आवक बढ़ने के बाद क्या स्थिति पैदा होगी, इसको लेकर मूंगफली और सोयाबीन किसानों के माथे पर शिकन बढ़ रही है।
सूत्रों ने कहा कि मूंगफली का उपयोग गुजरात में अधिक है और इसकी निर्यात मांग कम है। फिर इसके लिए सरकार क्या रास्ता निकालेगी कि किसानों को भी उनकी लागत निकल सके इसकी बाजार में खपत बढ़े और निर्यात का रास्ता खुले, इसे अभी देखा जाना बाकी है।
दूसरी ओर, थोक दाम जमीन पर होने के बावजूद खुदरा दाम ऊंचा बना हुआ है। इसके लिए भी कोई ठोस कदम उठाये जाने की सरकार से अपेक्षा की जाती है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए सरकार को देशी तेल-तिलहन किसानों, व्यापारियों, आयातकों, मिल वालों के हित में ठोस नीति अपनाते हुए देशी तेल-तिलहनों का बाजार बनाने की सतत कोशिश के साथ साथ आयातित तेलों पर यथासंभव शुल्क लगाने के बारे में विचार करना होगा जिससे देश को राजस्व की भी प्राप्ति होगी।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन - 7,175-7,225 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली - 5,325-5,700 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 12,800 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल - 2,125-2,425 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 15,250 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,560-2,660 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,560-2,695 रुपये प्रति टिन।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,450 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,050 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,280 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 11,750 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,600 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,450 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 12,375 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना - 4,500-4,550 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,200-4,300 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश