हिंदी दिवस पर अमित शाह की अपील: सभी भारतीय भाषाओं का करें सम्मान
जोहेब नेत्रपाल
- 14 Sep 2025, 12:48 PM
- Updated: 12:48 PM
(फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, 14 सितंबर (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं दीं और सभी से सभी भारतीय भाषाओं का सम्मान करने तथा एक आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी व विकसित देश बनाने की दिशा में आगे बढ़ने का आह्वान किया।
शाह ने कहा कि हिमालय की ऊंचाइयों से लेकर दक्षिण के विशाल समुद्र तटों तक, रेगिस्तान से लेकर बीहड़ जंगलों और गांव की चौपालों तक, भाषाओं ने हर परिस्थिति में मनुष्य को संगठित रहने और संवाद एवं अभिव्यक्ति के माध्यम से एकजुट होकर आगे बढ़ने का मार्ग दिखाया है।
उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं की सबसे बड़ी ताकत यह है कि उन्होंने हर वर्ग और समुदाय को अभिव्यक्ति का अवसर दिया है।
उन्होंने हिंदी दिवस के अवसर पर एक संदेश में कहा, ‘‘हमारा देश मूलतः एक भाषा-प्रधान देश है। हमारी भाषाएं सदियों संस्कृति, इतिहास, परंपराओं, ज्ञान, विज्ञान, दर्शन और अध्यात्म को पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ाने का सशक्त माध्यम रही हैं।’’
हिंदी दिवस की शुभकामनाएं देते हुए, गृह मंत्री ने कहा कि उन्हें दृढ़ विश्वास है कि भाषाएं एक-दूसरे की साथी बनकर और एकता के सूत्र में बंधकर एकसाथ आगे बढ़ रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हिंदी दिवस के इस अवसर पर, आइए हम हिंदी समेत सभी भारतीय भाषाओं का सम्मान करें और एक आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी तथा विकसित भारत की ओर आगे बढ़ें।’’
शाह ने कहा कि ‘‘साथ चलें, साथ सोचें और साथ बोलें’’ भारत की भाषाई-सांस्कृतिक चेतना का मूल मंत्र रहा है।
उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर में बिहू के गीत, तमिलनाडु में ओवियालु की आवाज, पंजाब में लोहड़ी के गीत, बिहार में विद्यापति के पद, बंगाल में बाउल संतों के भजन, कजरी गीत और भिखारी ठाकुर का ‘बिदेसिया’ - इन सभी ने देश की संस्कृति को जीवंत और कल्याणकारी बनाए रखा है।
गृह मंत्री ने कहा कि दक्षिण की तरह उत्तर में भी संत तिरुवल्लुवर के पद उतनी ही श्रद्धा से गाए जाते हैं और कृष्णदेवराय दक्षिण में भी उतने ही लोकप्रिय थे जितने उत्तर में।
उन्होंने कहा, ‘‘सुब्रमण्यम भारती की देशभक्तिपूर्ण रचनाएं हर क्षेत्र के युवाओं में राष्ट्रीय गौरव जगाती हैं। गोस्वामी तुलसीदास हर भारतीय के लिए पूजनीय हैं और संत कबीर के दोहे तमिल, कन्नड़ और मलयाली में अनुवादित हैं।’’
शाह ने कहा कि सूरदास की कविताएं आज भी दक्षिण भारत के मंदिरों और संगीत परंपराओं में प्रचलित हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘असम के श्रीमंत शंकरदेव और महापुरुष माधवदेव को हर वैष्णव जानता है, और भूपेन हजारिका के गीत हरियाणा के युवा भी गुनगुनाते हैं।’’
गृह मंत्री ने कहा कि गुलामी के कठिन दौर में भी, भारतीय भाषाएं प्रतिरोध की आवाज़ बनीं।
उन्होंने कहा, ‘‘स्वतंत्रता आंदोलन को एक राष्ट्रव्यापी प्रयास बनाने में हमारी भाषाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने क्षेत्रों और गांवों की भाषाओं को स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ा।’’
गृह मंत्री ने कहा कि हिंदी के साथ-साथ, सभी भारतीय भाषाओं के कवियों, साहित्यकारों और नाटककारों ने लोक भाषाओं, लोककथाओं, लोकगीतों और लोकनाट्यों के माध्यम से हर आयु वर्ग, वर्ग और समुदाय में स्वतंत्रता के संकल्प को मज़बूत किया।
उन्होंने कहा, ‘‘वंदे मातरम और जय हिंद जैसे नारे हमारी भाषाई चेतना से उभरे और स्वतंत्र भारत के गौरव के प्रतीक बन गए।’’
शाह ने कहा कि जब देश को आज़ादी मिली, तो संविधान निर्माताओं ने भाषाओं की क्षमता और महत्व पर व्यापक विचार-विमर्श किया तथा 14 सितंबर, 1949 को देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को राजभाषा के रूप में अपनाया।
उन्होंने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 351 हिंदी को भारत की सामासिक संस्कृति का एक प्रभावी माध्यम बनाने के लिए इसके प्रचार-प्रसार की ज़िम्मेदारी सौंपता है।
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले दशक में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, भारतीय भाषाओं और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का एक स्वर्णिम युग आया है। चाहे वह संयुक्त राष्ट्र का मंच हो, जी-20 शिखर सम्मेलन हो, या शंघाई सहयोग संगठन को संबोधित करना हो, मोदी जी ने हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में संवाद करके उनका गौरव बढ़ाया है।’’
गृह मंत्री ने कहा कि आजादी के अमृत काल में, मोदी ने देश को गुलामी के प्रतीकों से मुक्त कराने के लिए पंच प्रण लिए हैं, जिनमें भाषाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें संचार और संवाद के माध्यम के रूप में भारतीय भाषाओं को अपनाना होगा।’’
शाह ने कहा कि राजभाषा हिंदी के 76 गौरवशाली वर्ष पूरे हो गए हैं और राजभाषा विभाग ने अपनी स्थापना के 50 स्वर्णिम वर्ष पूरे करते हुए हिंदी को जन-जन की भाषा और जनचेतना की भाषा बनाने में उल्लेखनीय कार्य किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘2014 से सरकारी कामकाज में हिंदी के उपयोग को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है।’’
गृह मंत्री ने कहा कि 2024 में हिंदी दिवस पर, सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं के बीच निर्बाध अनुवाद सुनिश्चित करने के उद्देश्य से भारतीय भाषा अनुभाग की स्थापना की गई।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि हिंदी और अन्य भारतीय भाषाएं न केवल संचार का माध्यम बल्कि प्रौद्योगिकी, विज्ञान, न्याय, शिक्षा और प्रशासन की आधारशिला बनें।’’
शाह ने कहा कि डिजिटल इंडिया, ई-गवर्नेंस, कृत्रिम मेधा और मशीन लर्निंग के इस युग में, सरकार भारतीय भाषाओं को भविष्य के लिए सक्षम, प्रासंगिक और भारत को वैश्विक तकनीकी प्रतिस्पर्धा में अग्रणी बनाने की प्रेरक शक्ति के रूप में विकसित कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘मिथिला के कवि विद्यापति जी ने ठीक ही कहा है: ‘देसिल बयाना सब जन मीठा’ अर्थात अपनी भाषा सबसे मीठी होती है।’’
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जोहेब