अदालत ने 2015 के सट्टेबाजी रैकेट मामले में पूर्व सांसद डी.पी. यादव को बरी किया
सुरेश माधव
- 09 Sep 2025, 10:30 PM
- Updated: 10:30 PM
नयी दिल्ली, नौ सितंबर (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने पूर्व सांसद डी.पी. यादव को कथित ऑनलाइन सट्टेबाजी मामले में यह कहते हुए बरी कर दिया है कि उनके खिलाफ आरोप तय करने के लिए प्रथम दृष्टया कोई सबूत नहीं मिला।
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया पूर्व सांसद यादव और अन्य के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रहे थे। उनके खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के अलावा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और जुआ अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज किया गया था।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, 26 और 27 अगस्त, 2015 की मध्यरात्रि को एक छापेमारी के दौरान ‘गेम’ नामक एक वेबसाइट के माध्यम से एक जुआ रैकेट का पता चला, जिसके बाद 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 13.24 लाख रुपये नकद जब्त किए गए।
अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि कुछ आरोपियों ने सरकारी अधिकारी बनकर वेबसाइट को कानूनी बताकर लोगों को धोखा दिया। एक आरोपी ने हिरासत में पूछताछ के दौरान खुलासा किया कि वह यादव के लिए काम करता था, जिसे 40 प्रतिशत हिस्सा मिलता था।
यादव की ओर से अधिवक्ता राजीव मोहन, ऋषभ भाटी और रेहान खान ने जिरह की।
अदालत ने आठ सितंबर के अपने आदेश में कहा, ‘‘रिकॉर्ड पर लाई गयी फाइल का अवलोकन किया गया और यह स्पष्ट है कि वर्तमान मामले में जुए के संबंध में डी.पी. यादव की निकटता साबित करने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सामग्री नहीं है।’’
अदालत ने कहा कि एक भी प्रत्यक्षदर्शी या ऐसा कोई गवाह नहीं था जिसने स्वयं यादव के खिलाफ गवाही दी हो और न ही उसकी ओर से कोई पेश हुआ हो।
अदालत ने बयानों पर गौर करते हुए कहा कि यादव का नाम सुरक्षा के लिए और उनके प्रतिद्वंद्वियों में भय पैदा करने के लिए लिया गया था।
न्यायाधीश ने आगे कहा, ‘‘बातचीत की विषय-वस्तु के अभाव में, केवल कॉल का विस्तृत विवरण (सीडीआर) ही अपराध में संलिप्तता स्थापित करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता।’’
अदालत ने कहा, ‘‘मात्र संदेह के आधार पर उनके (यादव के) खिलाफ आरोप तय नहीं किए जा सकते।’’
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