कैरेबियाई नाव को अमेरिका द्वारा नष्ट करना अंतरराष्ट्रीय 'जीवन अधिकार' कानूनों का स्पष्ट उल्लंघन
(द कन्वरसेशन) मनीषा नरेश
- 08 Sep 2025, 05:45 PM
- Updated: 05:45 PM
(मेरी एलेन ओ’कॉन्नेल, यूनिवर्सिटी ऑफ नोत्रे दम)
नोत्रे दम, आठ सितंबर (द कन्वरसेशन) कैरेबियाई सागर में संदिग्ध तौर पर मादक पदार्थ की तस्करी कर रही एक नाव पर अमेरिका के जानलेवा हमले को “नार्को-आतंकवादियों” के खिलाफ कार्रवाई बताने के सरकारी दावे को अंतरराष्ट्रीय कानून के एक विशेषज्ञ ने खारिज कर दिया है।
विशेषज्ञ ने कहा कि भले ही अमेरिका का यह दावा मान लिया जाए कि 2 सितंबर, 2025 को नौसेना की कार्रवाई में मारे गए 11 लोग वेनेजुएला के कुख्यात 'त्रेन दे अरागुआ' गिरोह से जुड़े थे, तब भी अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत राज्य की हिंसात्मक कार्रवाई को वैध नहीं ठहराया जा सकता।
उन्होंने कहा कि किसी अन्य देश द्वारा विरोध न करना कानून की वैधता साबित नहीं करता। उन्होंने कहा “अवैध हत्या, चाहे कोई भी करे, किसी भी उद्देश्य से करे और उस पर कैसी भी प्रतिक्रिया हो — हमेशा अवैध होती है।”
विशेषज्ञ ने कहा कि अमेरिकी घरेलू कानूनों के तहत भी इस कार्रवाई पर सवाल उठाए गए हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह हमला मानव जीवन के अधिकार का उल्लंघन है, जो कि मानवाधिकार संधियों में स्पष्ट रूप से दर्ज है।
युद्ध और शांति में हत्या के नियम
अंतरराष्ट्रीय नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर समझौते (आईसीसीपीआर) का एक पक्षकार अमेरिका भी है। समझौते के अनुच्छेद 6 में कहा गया है: "हर व्यक्ति को जीवन के अंतर्निहित अधिकार का संरक्षण प्राप्त है। इस अधिकार की कानून द्वारा रक्षा की जाएगी। किसी को भी मनमाने ढंग से जीवन से वंचित नहीं किया जाएगा।"
विशेषज्ञ के अनुसार, यह स्थापित है कि किसी हत्या को 'मनमाना' माना जाए या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि क्या वह शांति के समय हुई या सशस्त्र संघर्ष के दौरान।
उन्होंने कहा, “शांति की स्थिति में सरकारें केवल उसी स्थिति में घातक बल का प्रयोग कर सकती हैं, जब किसी जीवन की तत्काल रक्षा के लिए यह एकमात्र उपाय हो।”
विशेषज्ञ ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के कानून प्रवर्तन अधिकारियों के लिए मूल सिद्धांत भी यही बात दोहराते हैं: “जानबूझकर घातक बल का उपयोग केवल तब किया जा सकता है जब यह जीवन की रक्षा के लिए पूर्णतः अपरिहार्य हो।”
अंतरराष्ट्रीय संधियों का उल्लंघन
विशेषज्ञ ने बताया कि अमेरिका और कैरेबियाई देशों के बीच मादक पदार्थ रोकथाम को लेकर द्विपक्षीय संधियाँ मौजूद हैं। 'शिपराइडर समझौते' के तहत अमेरिकी एजेंसियों को संदिग्धों के मौलिक अधिकारों का सम्मान करना होता है।
उन्होंने कहा कि ऐसी द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय संधियों को दरकिनार कर संदिग्धों की समरूप हत्या करना, न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह अमेरिका की संधियों पर आधारित विश्वसनीयता को भी नुकसान पहुंचाता है।
सशस्त्र संघर्ष का दावा भी कमजोर
विशेषज्ञ के अनुसार, सशस्त्र संघर्ष की परिभाषा अंतरराष्ट्रीय कानून में स्पष्ट है जिसके अनुसार, जब दो संगठित सशस्त्र समूह कम से कम एक दिन तक तीव्र लड़ाई में लगे हों। उन्होंने कहा कि अमेरिका का यह दावा कानूनी रूप से टिक नहीं पाता कि यह हमला सशस्त्र संघर्ष के तहत आता है।
उन्होंने यह भी कहा कि तथाकथित 'त्रेन दे अरागुआ' गिरोह एक संगठित अपराध समूह हो सकता है, लेकिन वह युद्धरत पक्ष नहीं है और न ही उसका संघर्ष किसी सरकार के खिलाफ है।
'नार्को-आतंकवादी' जैसे शब्द को अंतरराष्ट्रीय कानून में कोई औपचारिक मान्यता नहीं है, और इससे जीवन के अधिकार से जुड़े मौलिक सिद्धांतों में कोई छूट नहीं बनती।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हत्या चाहे क्षेत्रीय जलक्षेत्र में हुई हो या अंतरराष्ट्रीय समुद्र में, मानव जीवन के अधिकार की वैधता बदलती नहीं है।
जवाबदेही की संभावना कम
विशेषज्ञ ने माना कि अमेरिका ने संभवतः अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय अदालतों (जैसे आईसीसी और आईसीजे) में मुकदमा चलाना बेहद कठिन है। खासकर तब जब पीड़ित आरोपित गिरोह के सदस्य हों और अमेरिका जैसी महाशक्ति का विरोध करने की राजनीतिक इच्छा कम हो।
उन्होंने अंत में कहा, “फिर भी यह हमला यह मांग करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है कि अंतरराष्ट्रीय कानून और जीवन के अधिकार जैसे सिद्धांतों का पूरी तरह सम्मान किया जाए।”
(द कन्वरसेशन) मनीषा