एबीवीपी सदस्य ने मंत्री ओपी राजभर को कानूनी नोटिस भेजा
राजेंद्र नरेश दिलीप
- 05 Sep 2025, 05:21 PM
- Updated: 05:21 PM
लखनऊ, पांच सितंबर (भाषा) अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के एक सदस्य ने उत्तर प्रदेश के मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर पर इस विद्यार्थी संगठन के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाते हुए उन्हें कानूनी नोटिस भेजा है।
एबीवीपी के सदस्य आदर्श तिवारी की ओर से यह नोटिस उनके वकील सिद्धार्थ शंकर दुबे और अनिमेष उपाध्याय द्वारा चार सितंबर को जारी किया गया है, जिसमें आरोप है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की विद्यार्थी शाखा एबीवीपी के कार्यकर्ताओं को राजभर द्वारा कथित तौर पर गुंडा कहना और विद्यार्थी प्रदर्शन में इनकी भूमिका की आलोचना इस संगठन से जुड़े लाखों विद्यार्थियों की मानहानि और अपमान जैसा है।
इस नोटिस में राजभर की टिप्पणियों को “विद्यार्थी आंदोलन की लोकतांत्रिक परंपराओं पर हमला” बताते हुए कहा गया है कि उन्होंने एबीवीपी और इसके कार्यकर्ताओं की छवि खराब करने का प्रयास किया।
नोटिस के मुताबिक, ऐसी टिप्पणियां कानून की नजर में ना केवल अपमानजनक हैं, बल्कि लाखों विद्यार्थी कार्यकर्ताओं की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए जानबूझकर किया गया प्रयास है।
एबीवीपी ने इस नोटिस में कहा कि यह संगठन हमेशा से ही लोकतांत्रिक तरीकों से अकादमिक और विद्यार्थियों के मुद्दे उठाता रहा है और इसके सदस्यों के लिए अपमान सूचक शब्दों का प्रयोग करना, इस संगठन की विरासत और राष्ट्र निर्माण में इसकी भूमिका का अपमान है।
नोटिस में राजभर से अपनी टिप्पणियां वापस लेने और यह नोटिस प्राप्त करने के पांच दिनों के भीतर सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग की गई है। नोटिस में राजसभर से सात दिनों में यह आश्वासन देने की भी मांग की गई है कि एबीवीपी या किसी अन्य छात्र संगठन के खिलाफ भविष्य में ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा, अन्यथा राजभर के खिलाफ मानहानि के लिए दीवानी और फौजदारी मुकदमे शुरू किए जाएंगे।
उल्लेखनीय है यह नोटिस तब भेजा गया, जब इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक माहौल गर्म है। बुधवार को एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने लखनऊ में राजभर के आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था।
इससे पूर्व, सप्ताह की शुरुआत में इस विश्वविद्यालय में गैर मान्य विधि पाठ्यक्रमों को पढ़ाए जाने के आरोपों को लेकर विद्यार्थियों ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया था, जिसमें पुलिस द्वारा बल प्रयोग किए जाने से कई छात्र घायल हो गए थे। इसके बाद उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा आयोग ने इस मामले की जांच का आदेश दिया और बिना मंजूरी के विद्यार्थियों का दाखिला लेने के लिए विश्वविद्यालय के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
भाषा राजेंद्र नरेश