दिल्ली बार एसोसिएशन ने पुलिस के पत्र की निंदा की, आठ सितंबर से हड़ताल की घोषणा
नोमान माधव
- 04 Sep 2025, 10:15 PM
- Updated: 10:15 PM
नयी दिल्ली, चार सितंबर (भाषा) दिल्ली पुलिस द्वारा अदालतों में सबूत को डिजिटल तरीके से पेश करने के प्रस्तावित उपायों के बारे में प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीशों को भेजे गए पत्र की निंदा करते हुए, वकीलों की एक संस्था ने आठ सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की है।
एक बयान में कहा गया है, "थानों से ऑडियो-वीडियो और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से पुलिस गवाहों के परीक्षण के संबंध में चार सितंबर को पुलिस आयुक्त कार्यालय से जारी परिपत्र के बाद आज दिल्ली (जिला अदालतों) के सभी जिला बार संघों की समन्वय समिति की एक आपात बैठक हुई।"
इसमें कहा गया है कि समन्वय समिति और दिल्ली बार काउंसिल के प्रतिनिधियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने दो सितंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी और उपराज्यपाल (एलजी) द्वारा 13 अगस्त को जारी की गई अधिसूचना के खिलाफ वकीलों में व्याप्त नाराजगी से उन्हें अवगत कराया था। इस अधिसूचना में दिल्ली के थानों को पुलिस अधिकारियों के साक्ष्य दर्ज करने का स्थान घोषित किया गया था।
समिति के बयान में कहा गया है कि विचार-विमर्श के बाद केंद्रीय गृह मंत्री ने आश्वासन दिया था कि एक आधिकारिक पत्र या परिपत्र जारी कर स्पष्ट किया जाएगा कि पुलिस अधिकारियों का परीक्षण थानों से नहीं होगा।
इसमें कहा गया है, "हालांकि, पुलिस आयुक्त कार्यालय से आज जारी पत्र केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा समिति के प्रतिनिधिमंडल और बार काउंसिल के प्रतिनिधियों को दिए गए आश्वासन के अनुरूप नहीं है।"
बयान में पत्र की "कड़ी निंदा" करते हुए कहा गया कि इसमें औपचारिक और महत्वपूर्ण गवाहों में वर्गीकृत किया गया है, गवाहों की उपस्थिति के बारे में विवेकाधिकार का उल्लेख किया गया है और उनकी उपस्थिति का पूरा अधिकार संबंधित अदालतों पर छोड़ दिया गया है।
बयान में कहा गया है कि बैठक में इन पहलुओं पर कभी चर्चा नहीं की गई। इस बयान पर समिति के अध्यक्ष वी.के. सिंह और सचिव अनिल कुमार बसोया के हस्ताक्षर हैं।
इसमें कहा गया है, "यह निर्णय लिया गया है कि सोमवार यानी आठ सितंबर से दिल्ली की सभी जिला अदालतों में अनिश्चितकाल के लिए कार्य से पूरी तरह अनुपस्थित रहा जाएगा तथा मनमाने और अवैध अधिसूचना के खिलाफ अधिक तीव्र तरीके से आंदोलन किया जाएगा।”
इसमें कहा गया है कि यह अधिसूचना न केवल स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई की अवधारणा के खिलाफ है, बल्कि जनविरोधी है और अभियुक्त के बचाव के अधिकार को कम करती है।
एलजी ने 13 अगस्त को अधिसूचना जारी की, जिसके कारण शहर के वकील हड़ताल पर चले गए।
बाइस अगस्त को शुरू हुई हड़ताल 28 अगस्त को शाह के प्रतिनिधि के साथ बैठक और दिल्ली पुलिस आयुक्त के एक बयान के बाद समाप्त हुई, जिसमें स्पष्ट किया गया था कि सभी हितधारकों की बात सुनने के बाद अधिसूचना लागू होगी।
भाषा नोमान