जीएसटी छूट लागू होने पर बीमा कंपनियों को संचित आईटीसी पड़ेगा लौटाना
निहारिका अजय रमण
- 04 Sep 2025, 02:56 PM
- Updated: 02:56 PM
नयी दिल्ली, चार सितंबर (भाषा) जीएसटी छूट लागू होने के बाद जीवन एवं स्वास्थ्य बीमा कंपनियों को 21 सितंबर, 2025 तक संचित इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) को वापस लौटाना होगा। इससे कंपनियों पर लागत का बोझ बढ़ेगा। कर विशेषज्ञों ने यह बात कही है।
व्यक्तिगत जीवन एवं स्वास्थ्य बीमा पॉलिसीधारकों को हालांकि लाभ होगा क्योंकि 22 सितंबर से प्रीमियम भुगतान पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) छूट लागू हो जाएगी। वर्तमान में ऐसी पॉलिसी के प्रीमियम भुगतान पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि संचित आईटीसी का उपयोग केवल 21 सितंबर, 2025 तक की गई वस्तुओं/सेवाओं या दोनों की आपूर्ति के लिए बाहरी देयताओं के भुगतान हेतु ही किया जा सकता है।
इसने कहा, ‘‘ हालांकि, परिवर्तित दर लागू होने यानी 22 सितंबर, 2025 को या उसके बाद...सीजीएसटी अधिनियम, 2017 के प्रावधानों के तहत आईटीसी को वापस करना होगा।’’
केंद्र एवं राज्यों के वित्त मंत्रियों वाली जीएसटी परिषद ने बुधवार को जीएसटी को पांच और 18 प्रतिशत की दो-स्तरीय संरचना में बदलने को मंजूरी दे दी। इसमें तंबाकू और उससे जुड़े उत्पादों एवं अति-विलासिता वाली वस्तुओं पर 40 प्रतिशत की विशेष दर शामिल है। नई दरें 22 सितंबर से प्रभावी होंगी।
वर्तमान में जीएसटी 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत के स्लैब में लगाया जाता है।
कर की दरों में बदलाव के तहत जीवन बीमा पर जीएसटी से छूट दी गई है जिसमें टर्म, यूलिप, एंडोमेंट प्लान और पुनर्बीमा सेवाएं शामिल हैं। वर्तमान में ऐसी पॉलिसी के प्रीमियम भुगतान पर 18 प्रतिशत कर लगता है।
एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ भागीदार रजत मोहन ने कहा कि बीमा कंपनियां बड़ी मात्रा में सामान्य ‘इनपुट’ सेवाओं जैसे आईटी मंचों, पेशेवर सेवाएं और शाखा संचालन से निपटती हैं जिससे ऋण का पृथक्करण जटिल हो जाता है।
उन्होंने कहा कि बिना किसी ‘रिफंड’ व्यवस्था के अप्रयुक्त ऋण के पूरे पूल को वापस करने की अचानक आवश्यकता इस क्षेत्र के लिए वित्तीय झटका होगी।
मोहन ने कहा, ‘‘ उपभोक्ता हित एवं उद्योग स्थिरता के बीच संतुलन बनाने के लिए सरकार छूट की तारीख से पहले वैध रूप से अर्जित ऋण के लिए चरणबद्ध वापसी या सीमित वापसी खिड़की पर विचार कर सकती है।’’
नांगिया एंडरसन एलएलपी के साझेदार (अप्रत्यक्ष कर) राहुल शेखर ने कहा, ‘‘...कंपनियों को अनुपालन बनाए रखने के लिए आईटीसी को वापस लेने तथा क्रेडिट को सीमित करने के लिए तैयार रहना चाहिए।’’
डेलॉयट इंडिया के साझेदार एवं अप्रत्यक्ष कर प्रमुख महेश जयसिंह ने कहा कि उच्च दरों पर संचित आईटीसी का उपयोग जारी रखा जा सकता है, लेकिन जिन आपूर्तियों पर छूट मिलती है उनसे संबंधित आईटीसी को 22 सितंबर से आनुपातिक रूप से वापस किया जाना चाहिए।
भाषा निहारिका अजय