गायिका हेमलता के जीवन के अनजान पहलुओं को उजागर करती है 'दास्तान-ए-हेमलता'
आशीष संतोष
- 25 Nov 2024, 08:11 PM
- Updated: 08:11 PM
नयी दिल्ली, 25 नवंबर (भाषा) ‘अंखियों के झरोखों से’ जैसे कई मशहूर गानों को आवाज देने वालीं गायिका हेमलता के बारे में एक नयी किताब ‘दास्तान-ए-हेमलता’ पाठकों को उनके जीवन के कई अनजान पहलुओं से अवगत कराएगी।
हाल में संपन्न ‘‘साहित्य आजतक’’ में शनिवार को इस पुस्तक का विमोचन किया गया जिसे पत्रकार-जीवनी लेखक अरविंद यादव ने लिखा है।
हेमलता के कई गाने 1970 के दशक में बहुत चर्चित हुए थे और आज भी सुने जाते हैं। तेरह साल की उम्र में अपना पहला फिल्मी गाना रिकॉर्ड करने वालीं हेमलता ने अपने दो दशक के शानदार करियर में 38 भाषाओं में 5,000 से ज़्यादा गाने गाए हैं। भारतीय भाषाओं के अलावा, उन्होंने अंग्रेजी, फ्रेंच, इतालवी, डच, जुलु, मॉरीशस क्रियोल, सिराइकी और मुल्तानी जैसी विदेशी भाषाओं में भी गाने गाए हैं।
हेमलता को 1977 में फिल्म ‘‘चितचोर’’ के ‘‘तू जो मेरे सुर में’’ गाने के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका का पुरस्कार मिला। यह के जे येसुदास के साथ उनका युगल गीत था, जिसे रवींद्र जैन ने संगीतबद्ध किया था।
हेमलता की मधुर आवाज टीवी धारावाहिक ‘‘रामायण’’ के माध्यम से घर-घर तक पहुंच गई, जिसमें उन्होंने कई लोकप्रिय गीत, दोहे और चौपाई गाए।
यादव ने एक बयान में कहा, ‘‘पुस्तक में हेमलता के जीवन का प्रामाणिक विवरण है, जिसमें कई दिलचस्प किस्से हैं, जिनमें से कुछ ऐसे भी हैं जिनके बारे में उनके करीबी लोग भी नहीं जानते। यह किताब हेमलता के पिता पंडित जयचंद भट्ट के जीवन पर भी प्रकाश डालती है, तथा साहित्य और संगीत प्रेमियों को कई रोचक जानकारियां प्रदान करती है।’’
मशहूर गायक येसुदास के साथ हेमलता ने सबसे अधिक गाने गाए। उनके अन्य प्रसिद्ध गानों में ‘कौन दिशा में ले के चला रे बटोहिया’, ‘तू इस तरह से मेरी जिंदगी में शामिल है’, ‘सुन के तेरी पुकार’ और ‘मेघा ओ रे मेघा’ शामिल हैं।
यादव ने प्रसिद्ध वैज्ञानिक और भारत रत्न से सम्मानित प्रोफेसर सीएनआर राव और डॉ. एसआई पद्मावती की जीवनी भी लिखी है, जिन्हें व्यापक रूप से भारत का पहला हृदय रोग विशेषज्ञ माना जाता है।
भाषा आशीष