उत्तराखंड में बुग्यालों के संरक्षण के लिए ‘एसओपी’ तैयार की जाएगी
सं दीप्ति राजकुमार
- 25 Nov 2024, 08:09 PM
- Updated: 08:09 PM
उत्तरकाशी, 25 नवंबर (भाषा) उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में पाए जाने वाले हरे घास के मैदान यानी बुग्यालों के संरक्षण के लिए वन विभाग मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करेगा।
शीर्ष वन अधिकारियों ने यहां बताया कि राज्य के बुग्यालों में प्राकृतिक और मानवीय कारणों से बढ़ते भूस्खलन और भू-धंसाव को रोकने के लिए विभाग ने यह निर्णय लिया है।
उन्होंने कहा कि बुग्यालों के संरक्षण के संबंध में उच्च न्यायालय की ओर से जारी निर्देशों का पालन भी किया जाएगा ।
उत्तरकाशी जिले में स्थित दयारा बुग्याल का भ्रमण कर लौटे राज्य के वन विभाग के प्रमुख (हॉफ) डॉ धनंजय मोहन और भागीरथी वृत्त के वन संरक्षक धर्म सिंह मीणा ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी ।
मोहन ने कहा, ‘‘दयारा बुग्याल पारिस्थितिकी के लिहाज से एक संवेदनशील क्षेत्र है। इस बुग्याल में पूर्व में जो पारिस्थितिकी पुनर्स्थापना का काम किया गया था, उसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। दयारा के साथ अन्य बुग्यालों में भी इस काम को आगे बढ़ाते हुए भूस्खलन और भू-धंसाव की रोकथाम की जाएगी।’’
उन्होंने दयारा के नीचे गोई नामक स्थान पर भूस्खलन की रोकथाम के लिए उसका उपचार शुरू करने की बात भी कही।
मीणा ने कहा कि बुग्याल संरक्षण योजना में अभी तक 22 बुग्यालों में करीब 83 हेक्टेयर क्षेत्र में काम हुआ है। उनका कहना था कि सभी बुग्यालों में पड़ रहे जैविक दबाव को कम करने के लिए जल्द एक ‘एसओपी’ तैयार की जाएगी।
विभाग के अनुसार गंगोत्री के निकट लंका में निर्माणाधीन हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र का भी अधिकारियों ने निरीक्षण किया।
मोहन ने कहा कि केंद्र के निर्माण के लिए नींव तैयार करने का काम पूरा कर लिया गया है और अब अन्य निर्माण कार्यों में तेजी आएगी ।
उन्होंने उम्मीद जताई कि एक साल में यह केंद्र बनकर तैयार हो जाएगा जो पर्यटकों को क्षेत्र के अद्भुत प्राकृतिक वातावरण से परिचय कराएगा।
मोहन ने कहा कि गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान एक दशक में ‘ट्रांस हिमालयन नेशनल पार्क’ के रूप में उभरा है और भारतीय वन्य जीव संस्थान की ओर से किए गए आकलन में यहां हिम तेंदुओं की भी अच्छी संख्या दर्ज की गई है।
उन्होंने कहा कि एक दशक पूर्व तक पार्क के बारे में लोगों को पता भी नहीं था लेकिन अब धीरे-धीरे पर्यटन बढ़ा है और नेलांग घाटी में सफारी के लिए पर्यटक पहुंच रहे हैं ।
भाषा सं दीप्ति