अदालत ने बच्चे की मौत के मामले में परिजनों को 22 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया
योगेश देवेंद्र
- 25 Nov 2024, 08:08 PM
- Updated: 08:08 PM
नयी दिल्ली, 25 नवंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को 2016 में एक गड्ढे में गिरने से नौ वर्षीय एक बच्चे की मौत के मामले में परिजनों को 22 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया और कहा कि डीजेबी की लापरवाही साबित हो चुकी है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि डीजेबी की प्राथमिक जिम्मेदारी थी कि वह गड्ढे वाले स्थान के आस-पास सुरक्षित परिस्थितियां बनाए रखे और आवश्यक सावधानियां बरते, लेकिन अधिकारी ऐसा करने में विफल रहे।
गड्ढे में गिर जाने से गंवाने वाले बच्चे के परिजनों ने अदालत में याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई के दौरान अदालत ने डीजेबी को यह निर्देश दिया।
याचिका में बच्चे के परिजनों ने आरोप लगाया था अधिकारियों की घोर लापरवाही और कर्तव्यहीनता के कारण बारिश के पानी से भरे गड्ढे में गिरकर उनके बच्चे की मौत हो गई।
यह घटना जुलाई 2016 में हुई थी। बच्चा अन्य बच्चों के साथ पतंग उड़ा रहा था और पतंग का पीछा करने के लिए वह डीजेबी के स्वामित्व वाले खाली मैदान की ओर भागा और वहां खोदे गए गड्ढे में गिर गया।
जब वह घर वापस नहीं लौटा, तो उसके परिजनों ने दूसरे बच्चों से पूछताछ की और खाली पड़ी जमीन पर गए, जहां उसका शव गड्ढे में मिला।
परिजनों ने डीजेबी की कथित लापरवाही के कारण अपने बच्चे की मौत के लिए मुआवजे की मांग करते हुए अदालत का रुख किया।
अदालत ने कहा, "डीजेबी की प्राथमिक जिम्मेदारी थी कि वह गड्ढे वाले स्थान के आस-पास सुरक्षित परिस्थितियां बनाए रखे और आवश्यक सावधानियां बरते, लेकिन अधिकारी ऐसा करने में विफल रहे।"
न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने कहा, "इसके अलावा, यदि डीजेबी के अनुसार, ‘टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन प्राइवेट लिमिटेड’ (टीपीडीडीएल) ने भूमि के रखरखाव में लापरवाही बरती है, तो डीजेबी कानून के अनुसार भूमि से संबंधित किसी भी लापरवाही के लिए टीपीडीडीएल या उसके ठेकेदारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने के लिए स्वतंत्र है।"
उन्होंने कहा कि डीजेबी की लापरवाही साबित हो चुकी है।
डीजेबी ने दावा किया कि घटना के समय घटनास्थल वाली भूमि टीपीडीडीएल के कब्जे में थी और आरोप लगाया कि यह दुखद घटना टीपीडीडीएल की लापरवाही के कारण हुई।
टीपीडीडीएल के अधिवक्ता ने कहा कि उसके खिलाफ याचिका विचारणीय नहीं है और याचिकाकर्ताओं ने न तो उसके खिलाफ कोई आरोप लगाया है और न ही उसकी लापरवाही को लेकर कोई विशेष बात कही है।
उन्होंने कहा कि जिस स्थान पर यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई, वह न तो टीपीडीडीएल की थी और न ही उसके कब्जे में है।
भाषा
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