धारावी परियोजना के प्रावधान ने अदाणी नीत विशेष इकाई को 5,000 करोड़ रुपये का प्रीमियम दिया:आदित्य
सुभाष धीरज
- 07 Oct 2024, 09:47 PM
- Updated: 09:47 PM
मुंबई, सात अक्टूबर (भाषा) शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने सोमवार को आरोप लगाया कि धारावी पुनर्विकास परियोजना के एक प्रावधान से 5,000 करोड़ रुपये का प्रीमियम अदाणी समूह के नेतृत्व वाली विशेष इकाई (एसपीवी) को मिलेगा, न कि बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) को, जिसके पास झुग्गियों की मौजूदगी वाली जमीन के 70 प्रतिशत हिस्से का स्वामित्व है।
ठाकरे ने पत्रकारों से बात करते हुए दावा किया कि धारावी झुग्गी बस्तियों के पुनर्विकास के लिए जारी निविदा में कहा गया है कि भूमि उपयोग से प्राप्त प्रीमियम विशेष इकाई को वापस दिया जाएगा, जिसमें अदाणी समूह बड़ा हिस्सेदार है।
ठाकरे ने कहा, ‘‘इसका मतलब है कि अदाणी समूह पुनर्विकास से पैसा कमाएगा और पुनर्विकास कार्य के लिए प्रीमियम राशि का बड़ा हिस्सा भी प्राप्त करेगा। बीएमसी के पास, धारावी झुग्गी बस्ती की लगभग 70 प्रतिशत भूमि का स्वामित्व है। बीएमसी को 5,000 करोड़ रुपये की प्रीमियम राशि मिलनी चाहिए थी, जो अदाणी के एसपीवी को जा रही है।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘एकनाथ शिंदे सरकार ने पहले ही सीढ़ियों और खुले स्थान के प्रीमियम को माफ कर दिया है। अब, हमने यह नयी छूट देखी है, जो और भी अधिक चौंकाने वाली है। बीएमसी और म्हाडा (महाराष्ट्र गृह निर्माण एवं क्षेत्र विकास प्राधिकरण) ऐसी संस्थाएं हैं जो लोगों के लिए परियोजनाएं बनाती हैं। अगर बीएमसी और म्हाडा को भूमि उपयोग प्रीमियम दिया जाता है, तो इससे उनकी वित्तीय स्थिति में सुधार होगा और नागरिकों को बेहतर सेवाएं मिलेंगी।’’
आदित्य ठाकरे ने वादा किया कि महा विकास आघाडी (एमवीए) के सत्ता में आने के बाद निविदा में जरूरी बदलाव किए जाएंगे। एमवीए में शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और राकांपा (शरदचंद्र पवार) शामिल हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ भाजपा और शिंदे नीत शिवसेना के कुछ विधायकों ने कहा था कि धारावी के निवासियों को मुलुंड और कुर्ला जैसे क्षेत्रों में नहीं भेजा जाएगा, लेकिन राज्य सरकार ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई निर्णय नहीं लिया है, जिसका मतलब है कि ये विधायक ‘‘मतदाताओं को गुमराह करने के लिए झूठ फैला रहे हैं।’’
शिवसेना (यूबीटी) नेता ने सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के विधायकों पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘उन्हें यह समझने की जरूरत है कि अदाणी उनके राजनीतिक आका हैं, इसलिए ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया जाएगा।’’
भाषा सुभाष