सीबीआई, पुलिस वीडियो कॉल के जरिए लोगों को गिरफ्तार नहीं करती: भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र
आशीष नरेश
- 06 Oct 2024, 05:20 PM
- Updated: 05:20 PM
नयी दिल्ली, छह अक्टूबर (भाषा) भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) ने देश में ‘डिजिटल अरेस्ट’ अपराध के बढ़ते मामलों के मद्देनजर जारी एक परामर्श में कहा है कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), पुलिस, सीमा शुल्क विभाग, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) या न्यायाधीश वीडियो कॉल के जरिए लोगों को गिरफ्तार नहीं करते हैं।
संघीय साइबर सुरक्षा एजेंसी ने इसे ‘‘स्कैम’’ करार देते हुए लोगों को इंटरनेट का इस्तेमाल करके किए जाने वाले ऐसे अपराधों के जाल में फंसने के प्रति चेताया है। शनिवार को जारी सार्वजनिक परामर्श में कहा गया है, ‘‘घबराइए नहीं, सतर्क रहिए। सीबीआई, पुलिस, सीमा शुल्क विभाग, ईडी, न्यायाधीश आपको वीडियो कॉल पर गिरफ्तार नहीं करेंगे।’’
परामर्श में व्हाट्सएप और स्काइप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लोगो का इस्तेमाल करके यह दर्शाया गया है कि इस तरह के धोखाधड़ी के मामलों के लिए कॉल ऐसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके किए जाते हैं। इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने पूर्व में कहा है कि वे ऐसे अपराधों के खिलाफ उपयोगकर्ताओं को बेहतर सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकार की साइबर सुरक्षा एजेंसियों के साथ समन्वय कर रहे हैं।
आई4सी ने लोगों से ऐसे अपराधों की सूचना केंद्रीय हेल्पलाइन नंबर या वेबसाइट पर देने का आग्रह किया।
‘डिजिटल अरेस्ट’ साइबर अपराध तकनीक को दिया गया नाम है, जिसमें धोखेबाज कानून लागू करने वाली एजेंसी के अधिकारी बनकर किसी व्यक्ति को एसएमएस भेजते हैं या वीडियो कॉल करते हैं, तथा दावा करते हैं कि उस व्यक्ति या उसके करीबी परिवार के सदस्यों को किसी सरकारी जांच एजेंसी ने मादक पदार्थों की तस्करी या धन शोधन जैसी आपराधिक गतिविधि में पकड़ा है।
इसके बाद साइबर अपराधी व्यक्ति को ‘डिजिटल अरेस्ट’ के तहत अपने मोबाइल फोन के कैमरे को चालू रखने के लिए कहकर उसे अपने परिसर तक ही सीमित कर देते हैं, तथा फिर पीड़ित को इस स्थिति से बाहर निकालने के लिए ऑनलाइन अंतरण के माध्यम से धन की मांग करते हैं। देश के विभिन्न इलाकों से प्रतिदिन बड़ी संख्या में साइबर अपराध की खबरें आती हैं।
भाषा आशीष