उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों को लॉटरी की अनुमति नहीं देने का निर्देश दे असम सरकार : अदालत
रंजन रंजन वैभव
- 03 Oct 2024, 08:31 PM
- Updated: 08:31 PM
गुवाहाटी, तीन अक्टूबर (भाषा) गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को असम सरकार को निर्देश दिया कि वह सभी उपायुक्तों एवं पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दे कि वे किसी भी व्यक्ति को ऑनलाइन या ऑफलाइन लॉटरी आयोजित करने की अनुमति न दें।
रूपम बोरबोरा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई एवं न्यायमूर्ति एन उन्नी कृष्णन नायर की पीठ ने सरकार से एक सप्ताह के भीतर सभी जिलों को आवश्यक आदेश जारी करने का निर्देश दिया है।
बिश्नोई ने प्रतिवादियों का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता से कहा, ‘‘राज्य सरकार सभी डीसी (उपायुक्तों) और एसपी (पुलिस अधीक्षकों) को निर्देश जारी करेगी कि वे किसी भी व्यक्ति को ऑनलाइन या ऑफलाइन लॉटरी आयोजित करने की अनुमति न दें।’’
उन्होंने कहा कि उपायुक्तों एवं पुलिस अधीक्षक उन लोगों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करेंगे जो अवैध रूप से ऑनलाइन या ऑफलाइन लॉटरी आयोजित कर रहे हैं।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘‘राज्य सरकार द्वारा एक सप्ताह की अवधि के भीतर उक्त निर्देश जारी किया जाना आवश्यक है।’’
उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने जनहित याचिका पर कोई जवाब दाखिल नहीं किया है, हालांकि कुछ जिलों ने अलग से कुछ हलफनामे पेश किए हैं।
बिश्नोई ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि राज्य सरकार को इस जनहित याचिका पर जवाबी हलफनामे के रूप में अपना जवाब दाखिल करना चाहिए कि राज्य सरकार असम में अवैध ऑनलाइन और ऑफलाइन लॉटरी के आयोजन से निपटने के लिए कैसे आगे बढ़ रही है।’’
न्यायालय ने राज्य सरकार को जनहित याचिका पर हलफनामा दाखिल करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया।
इससे पहले, न्यायमित्र एच के दास ने अदालत को बताया कि कई मामलों में, संगठन या व्यक्ति ऑनलाइन अथवा ऑफलाइन लॉटरी के लिए उपायुक्त से अनुमति मांगते हैं, और कुछ उपायुक्त बिना किसी अधिकार के अनुमति दे रहे हैं।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्यायमित्र ने अनुरोध किया है कि अदालत द्वारा सख्त निषेधात्मक आदेश पारित किया जाना चाहिए ताकि राज्य के गरीब लोग अवैध लॉटरी से ठगे न जाएं।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘प्रतिवादी अधिवक्ता ने कहा कि उन्हें 25 उपायुक्तों से जवाब मिले, जिन्होंने कहा कि आज तक ऐसी कोई अनुमति नहीं दी गई है। इस जनहित याचिका पर राज्य की ओर से कोई प्रतिक्रिया दाखिल नहीं की गई है।’’
भाषा रंजन रंजन