तिरुपति प्रसादम का मामला बहुत ही चिंताजनक : रामनाथ कोविंद
सं आनन्द नोमान
- 21 Sep 2024, 10:41 PM
- Updated: 10:41 PM
वाराणसी (उप्र) 21 सितंबर (भाषा) पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तिरुपति के वेंकटेश्वर मंदिर के लड्डुओं में कथित रूप से पशु चर्बी मिलाये जाने की खबरों की पृष्ठभूमि में शनिवार को कहा कि प्रसाद श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रतीक है और इसमें मिलावट करना निंदनीय है।
कोविंद ने यह भी आशंका जताई कि यह समस्या सिर्फ एक मंदिर तक सीमित नहीं हो सकती है, बल्कि यह हर मंदिर की कहानी भी हो सकती है।
पूर्व राष्ट्रपति ने यहां काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शताब्दी कृषि विज्ञान प्रेक्षागृह में शनिवार से शुरू हुए दो दिवसीय ‘भारतीय गाय, जैविक कृषि एवं पंचगव्य चिकित्सा’ पर राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए यह बात कही।
कोविंद ने कहा, “हिन्दू शास्त्रों में भी मिलावट को पाप कहा गया है। प्रसाद श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रतीक है और इसमें मिलावट करना निंदनीय है।”
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के इस दावे के बाद बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है कि राज्य में पिछली सरकार के दौरान तिरुपति के श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में प्रसादम् में मिलने वाले लड्डू में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था।
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि तिरूपति तिरुमाला मंदिर के प्रसाद को लेकर जो खबर आई हैं, वह बहुत ही चिंताजनक हैं।
उन्होंने कहा कि हिंदुओं में प्रसाद को लेकर बहुत श्रद्धा होती है, लेकिन ऐसी घटनाएं प्रसाद को लेकर उनके मन में शंकाएं उत्पन्न करती हैं।
कोविंद ने कहा कि उन्हें इस बार यहां बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने का सौभाग्य नहीं मिला, लेकिन उनके कुछ सहयोगी मंदिर में दर्शन करने गए थे और उन्होंने “मुझे प्रसाद लाकर दिया तो मुझे तुरंत तिरुमला प्रसादम की बात खटकी।”
उन्होंने कहा, “मैं अकेला नहीं हूं, शायद आप सब भी ऐसा ही सोचते होंगे। बाबा विश्वनाथ के प्रसाद में बहुत आस्था है। मैं उसमें नहीं जाना चाहता, लेकिन मैं यह कह रहा हूं कि यह हर मंदिर की कहानी हो सकती है, हर तीर्थ स्थान की कहानी हो सकती है।”
पूर्व राष्ट्रपति ने यह भी कहा, “मिलावट अत्यंत अपवित्र चीज है और हिंदू शास्त्र में इसे पाप कहा गया है। यह विचारणीय विषय है और यह एक जगह से उत्पन्न नहीं होता। यह एक दुष्चक्र है।”
भाषा सं आनन्द