अतिरिक्त एजीआर मांग रद्द करने की वोडाफोन आइडिया की याचिका पर न्यायालय करेगा सुनवाई
पाण्डेय रमण
- 19 Sep 2025, 04:12 PM
- Updated: 04:12 PM
नयी दिल्ली, 19 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय शुक्रवार को दूरसंचार क्षेत्र की प्रमुख कंपनी वोडाफोन आइडिया लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया। याचिका में 2016-17 तक के लिए अतिरिक्त समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) मांगों को रद्द करने का आग्रह किया गया है।
न्यायालय 26 सितंबर को मामले की सुनवाई करेगा।
मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई, न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ दूरसंचार विभाग (डॉट) द्वारा वित्त वर्ष 2016-17 से संबंधित 5,606 करोड़ रुपये की नई मांग के खिलाफ वोडाफोन आइडिया की नई याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (वीआईएल) ने कहा कि 2019 के एजीआर फैसले से बकाया राशि पहले ही तय हो चुकी है और इसे फिर से नहीं खोला जा सकता।
पीठ ने दूरसंचार कंपनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों पर गौर करने के बाद याचिका पर विचार के लिए अगले शुक्रवार की तारीख तय की।
मेहता ने याचिका पर स्थगन का अनुरोध करते हुए कहा कि कंपनी के साथ समाधान निकालने के प्रयास चल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार के पास वोडाफोन आइडिया में लगभग 50 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जिससे वह परिचालक की प्रत्यक्ष हितधारक बन जाती है।
उन्होंने कहा, ''ऐसे में आपकी (न्यायालय) मंजूरी के अधीन कोई समाधान निकालना पड़ सकता है। अगर अगले सप्ताह सुनवाई की तारीख रखी जाए, तो हम कोई समाधान सोच सकते हैं।''
मेहता और दूरसंचार कंपनी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि अब परिस्थितियां बदल गई हैं और पक्षकार समाधान खोजना चाहते हैं।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ''हम इस पर शुक्रवार को विचार करेंगे।''
कंपनी ने आठ सितंबर को एक नई याचिका दायर कर दूरसंचार विभाग (डॉट) को तीन फरवरी, 2020 के 'कटौती सत्यापन दिशानिर्देशों' के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 तक के सभी एजीआर बकाया का व्यापक पुनर्मूल्यांकन करने का अनुरोध किया था।
इस साल की शुरुआत में, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया सहित दूरसंचार कंपनियों को झटका देते हुए उच्चतम न्यायालय ने अपने 2021 के आदेश की समीक्षा करने से इनकार कर दिया था। इस आदेश में न्यायालय ने इन कंपनियों द्वारा देय एजीआर बकाया की गणना में कथित गलतियों को सुधारने के अनुरोध को खारिज कर दिया गया था।
उच्चतम न्यायालय ने 2021 के आदेश की समीक्षा के लिए दायर इन कंपनियों की याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
दूरसंचार कंपनियों ने तर्क दिया था कि गणना में अंकगणितीय त्रुटियों को ठीक किया जाना चाहिए और प्रविष्टियों के दोहराव के मामले थे।
सितंबर 2020 में शीर्ष अदालत ने एजीआर से संबंधित 93,520 करोड़ रुपये के बकाया का भुगतान करने के लिए संघर्ष कर रहे दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को यह राशि देने के लिए 10 साल की समय-सीमा तय की थी।
भाषा पाण्डेय