दिल्ली के श्रमबल में महिलाओं की सहभागिता बढ़ी, लेकिन मेहनताना पुरुषों से कम : रिपोर्ट
राजकुमार मनीषा
- 19 Sep 2025, 05:44 PM
- Updated: 05:44 PM
नयी दिल्ली, 19 सितंबर (भाषा) दिल्ली सरकार की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि राष्ट्रीय राजधानी के श्रम बल में महिला श्रमिकों का अनुपात बढ़ा है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में कुछ उतार-चढ़ाव के बावजूद उनका मेहनताना पुरुषों की तुलना में कम ही है।
आर्थिकी एंव सांख्यिकी निदेशालय ने हाल में टिकाऊ विकास लक्ष्यों की स्थिति पर ‘दिल्ली राज्य प्रारुप संकेतक’ रिपोर्ट जारी की है जो दर्शाती है कि 2017-18 में श्रम बल में महिला और पुरुष भागीदारी दर का अनुपात 0.19 था, जो 2023-24 में बढ़कर 0.28 हो गया।
इसके अलावा रिपोर्ट दर्शाती है कि महिला श्रम बल भागीदारी दर 2017-18 में 11.2 प्रतिशत थी, जो 2023-24 में बढ़कर 14.5 प्रतिशत हो गई। यह 2018-19 में 13.7 प्रतिशत, 2019-20 में 12.8 प्रतिशत, 2020-21 में 10.7 प्रतिशत, 2021-22 में 9.4 प्रतिशत और 2022-23 में 11.3 प्रतिशत थी।
महिला और पुरुष श्रम बल भागीदारी दर का अनुपात आर्थिक रूप से सक्रिय जनसंख्या में पुरुषों की तुलना में महिलाओं के सापेक्ष अनुपात को दर्शाता है।
वर्ष 2017-18 की जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान मजदूरों की मजदूरी (प्रतिदिन) पुरुषों के लिए 403 रुपये और महिलाओं के लिए 300 रुपये थी। वर्ष 2023-24 की इसी अवधि में, मज़दूरी बढ़कर पुरुषों के लिए 548 रुपये और महिलाओं के लिए 500 रुपये हो गयी।
आंकड़ों के अनुसार, इसी तरह 2017-18 की अप्रैल-जून तिमाही में पुरुषों ने 376 रुपये प्रतिदिन और महिलाओं ने 400 रुपये प्रतिदिन कमाए। वर्ष 2023-24 की अप्रैल-जून तिमाही के दौरान, पुरुषों का पारिश्रमिक बढ़कर 556 रुपये और महिलाओं का 500 रुपये हो गया।
आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय ने देश में लागू किए जा रहे सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने की दिशा में हुई प्रगति की निगरानी के लिए दिल्ली राज्य संकेतक प्रारुप 2024 विकसित किया है।
रिपोर्ट में राष्ट्रीय कानूनों के अनुसार महिलाओं को आर्थिक संसाधनों पर समान अधिकार प्रदान करने के साथ-साथ भूमि और अन्य प्रकार की संपत्ति, वित्तीय सेवाओं, विरासत और प्राकृतिक संसाधनों पर स्वामित्व और नियंत्रण तक पहुंच प्रदान करने के लिए सुधार करने का लक्ष्य रखा गया है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पेशेवर और तकनीकी कार्यों में पुरूषों की तुलना में महिलाओं का अनुपात 2020-21 में 28.5 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 21.3 प्रतिशत हो गया है।
भाषा
राजकुमार