हाशिये पर जीवन: भूस्खलन के बाद चूरलमाला के लोगों का जीवन संघर्षों से भरा
राखी सुरेश
- 18 Sep 2025, 11:14 PM
- Updated: 11:14 PM
वायनाड, 18 सितंबर (भाषा) केरल के वायनाड में पिछले साल आए भीषण भूस्खलन में 298 लोगों की जान जाने के बाद सरकार द्वारा घोषित ‘‘निषेध क्षेत्र’’ के किनारे रह रहे चूरलमाला के कई परिवार हर सुबह इस डर के साथ उठते हैं कि कहीं अगली बारिश उनके घरों को बहा न ले जाए।
यद्यपि तकनीकी रूप से यह इलाका खतरे के दायरे से कुछ ही मीटर दूर है, लेकिन यहां के लोग लगातार खौफ में जी रहे हैं और सरकार से यह मांग कर रहे हैं कि उन्हें सुरक्षित जगह पर बसाया जाए।
मुंडक्कई और चूरलमाला क्षेत्रों में 30 जुलाई 2024 को आए भूस्खलन ने इन गांवों को लगभग पूरी तरह तबाह कर दिया था।
मुंडक्कई में जाने को लेकर अब भी सख्त पाबंदियां लागू हैं।
पूर्व निवासी सिर्फ सामान लेने के लिए थोड़ी देर के लिए लौट सकते हैं, जबकि पत्रकारों को 'पास' लेकर शाम तीन बजे तक ही प्रवेश मिलता है।
फौज ने भूस्खलन के बाद यहां 190 फुट लंबा बैली पुल बनाया था, जिससे भारी मशीनें और एंबुलेंस गांव तक पहुंच सकें।
गांव में अब सन्नाटा पसरा रहता है, बीच-बीच में सिर्फ सूखी पत्तियों और टहनियों पर पड़ते कदमों की आहट सुनाई देती है।
चारों ओर आधे गिरे मकान और दबे हुए वाहन तबाही की गवाही देते हैं।
कुछ मकानों के दरवाज़े पर अब भी ताले लगे हैं।
यह इस बात का सबूत कि लोगों की लौटने की उम्मीद अब भी जिंदा है।
चाय बागान मज़दूर के. हम्सा ने अपनी बहन, बहनोई और भांजी को इस हादसे में खो दिया था।
उन्होंने कहा, ‘‘हम लगातार डर में जी रहे हैं कि अगर यह (भूस्खलन) दोबारा हुआ तो क्या हम बच पाएंगे। यही वजह है कि हम यहां से हटना चाहते हैं, लेकिन हम उस योग्य नहीं हैं।’’
उनके पड़ोसी 48-वर्षीय सुधीर एम ने बताया कि भूस्खलन में दो स्कूल और कुछ सरकारी दफ्तर तबाह हो गए थे, जिन्हें अब 13 किलोमीटर दूर मेप्पाडी में स्थानांतरित किया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘हर दिन बच्चों को छोड़ने और लाने जाना पड़ता है। यह बहुत मुश्किल काम हो गया है।’’
चाय बागान में काम करने वाले 64-वर्षीय उमर का कहना है कि चिह्नित क्षेत्र की सीमा को और बढ़ाया जाना चाहिए, ताकि किनारे पर रह रहे लोगों को भी शामिल किया जा सके।
राजस्व मंत्री के. राजन ने बताया कि सरकार को कई अनुरोध मिले हैं और वे विचाराधीन हैं।
उन्होंने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘इन अपीलों की दो बार समीक्षा हो चुकी है। आपदा प्रबंधन के प्रधान सचिव व्यक्तिगत रूप से वायनाड जाकर हर मामले का आकलन करेंगे, उसके बाद अंतिम फैसला लिया जाएगा।’’
राजन ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता हमेशा प्रभावित और संवेदनशील क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की भलाई होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘बाकी नजदीकी इलाकों में रहने वालों को अलग योजनाओं के तहत शामिल किया जा सकता है या मुआवजा दिया जा सकता है।’’
राजस्व विभाग के अंतर्गत आने वाला राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण इस पूरी प्रक्रिया को देख रहा है।
मंत्री ने बताया कि 30 जुलाई को भूस्खलन की पहली बरसी पर सरकार ने 49 और लोगों को लाभार्थी सूची में शामिल किया है, जिन्हें वायनाड के कलपेट्टा स्थित एलस्टोन एस्टेट में बनने वाले नये टाउनशिप में आवास मिलेगा।
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने 27 मार्च को इस मॉडल टाउनशिप की आधारशिला रखी थी।
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाद्रा भी इस मौके पर मौजूद थीं।
भाषा राखी