सरकार ने वक्फ पर न्यायालय के आदेश का स्वागत किया, विपक्ष ने कहा- ‘विकृत मंशा’ नाकाम हुई
हक नरेश
- 15 Sep 2025, 06:37 PM
- Updated: 06:37 PM
नयी दिल्ली, 15 सितंबर (भाषा) विपक्षी दलों ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर उच्चतम न्यायालय के अंतरिम आदेश का स्वागत करते हुए सोमवार को कहा कि इसने संशोधित कानून के पीछे छिपी ‘विकृति मंशा’ को काफी हद तक नाकाम कर दिया है।
सरकार ने भी फैसले का स्वागत किया और कहा कि यह लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत है तथा अधिनियम के प्रावधान पूरे मुस्लिम समुदाय के लिए लाभकारी हैं।
कई मुस्लिम संगठनों ने न्यायालय के आदेश का स्वागत किया। हालांकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने निराशा जताई और कहा कि व्यापक संवैधानिक चिंताओं का समाधान नहीं करने के कारण कई प्रावधानों का दुरुपयोग होगा जबकि इस पूरे कानून को ही निरस्त करने की जरूरत है।
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के कई महत्वपूर्ण प्रावधानों पर रोक लगा दी जिनमें यह प्रावधान भी शामिल है कि पिछले पांच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहे लोग ही वक्फ बना सकते हैं। हालांकि, शीर्ष अदालत ने पूरे कानून पर स्थगन से इनकार कर दिया।
न्यायालय ने वक्फ संपत्तियों की स्थिति पर निर्णय करने के लिए जिलाधिकारी को दी गई शक्तियों पर भी रोक लगा दी और वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम भागीदारी के विवादास्पद मुद्दे पर फैसला सुनाते हुए निर्देश दिया कि केंद्रीय वक्फ परिषद में 20 में से चार से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होने चाहिए और राज्य वक्फ बोर्डों में 11 में से तीन से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होने चाहिए।
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत है।
उन्होंने कहा कि अधिनियम के प्रावधान पूरे मुस्लिम समुदाय के लिए लाभकारी हैं।
मंत्री ने कहा, ‘‘वक्फ बोर्ड के माध्यम से संपत्ति पर कब्जा करने सहित होने वाले दुरुपयोग पर अब इस नए कानून के जरिए रोक लगेगी। उच्चतम न्यायालय पूरे मामले से भलीभांति अवगत था।’’
वक्फ विधेयक पर विचार करने वाली संयुक्त संसदीय समिति के प्रमुख रहे भाजपा सांसद जगदम्बिका पाल ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले से संसद द्वारा पारित कानून पर मुहर लगा दिया है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘माननीय उच्चतम न्यायालय ने आज अपने अंतरिम आदेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के अपने संकल्प की पुष्टि की है। यही वह मुद्दा है जिसके लिए विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ एकजुट खड़ा हुआ है।’’
उन्होंने दावा किया कि भाजपा ने एक विभाजनकारी कानून को मनमाने तरीके से लागू करने की कोशिश की थी जिसका उद्देश्य केवल सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काना और उन मुद्दों को फिर से खोलना था जिन्हें भारत ने लंबे समय से सुलझा लिया था।’’
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘वक्फ़ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर उच्चतम न्यायालय का आज का आदेश केवल उन दलों की जीत नहीं है ,जिन्होंने संसद में इस मनमाने क़ानून का विरोध किया था, बल्कि उन सभी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के सदस्यों की भी जीत है जिन्होंने विस्तृत असहमति नोट प्रस्तुत किए थे। उन नोट को तब नज़रअंदाज़ कर दिया गया था लेकिन अब वे सही साबित हुए हैं।’’
उन्होंने कहा कि यह आदेश इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मूल कानून के पीछे छिपी विकृत मंशा को काफी हद तक निष्फल करता है।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘विपक्षी दलों की ओर से पेश वकीलों ने दलील दी थी कि यह कानून ऐसी व्यवस्था बनाएगा, जिसमें कोई भी व्यक्ति कलेक्टर के समक्ष संपत्ति की स्थिति को चुनौती दे सकेगा और मुकदमेबाज़ी के दौरान संपत्ति की स्थिति अनिश्चित बनी रहेगी। इसके अतिरिक्त, केवल वही व्यक्ति वक्फ़ में दान कर सकेगा जो पांच वर्षों से ‘मुसलमान’ होने का सबूत दे सकेगा।’’
रमेश ने दावा किया कि इन धाराओं के पीछे की मंशा हमेशा स्पष्ट थी कि मतदाताओं को भड़काए रखना और ऐसा प्रशासनिक ढांचा बनाना जो धार्मिक विवादों को हवा देने वालों को संतुष्ट कर सके।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘हम न्याय, समानता और बंधुता के संवैधानिक मूल्यों की जीत के रूप में इस आदेश का स्वागत करते हैं।’’
एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि यह सिर्फ़ एक अंतरिम आदेश है, हम चाहते हैं कि उच्चतम न्यायालय इस पर अंतिम फ़ैसला दे और सुनवाई शुरू हो। इस क़ानून से वक़्फ़ संपत्तियों की सुरक्षा नहीं होगी बल्कि अतिक्रमणकारियों को फायदा होगा और वक़्फ़ संपत्तियों पर कोई विकास नहीं होगा।’’
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय को इस पर जल्द अंतिम फैसला सुनाना चाहिए।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने भी आदेश का स्वागत किया। माकपा महासचिव एम ए बेबी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘माननीय उच्चतम न्यायालय ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी है, जिसमें वह प्रावधान भी शामिल है जिसके अनुसार किसी विवादित संपत्ति को तब तक वक्फ नहीं माना जाएगा जब तक कि कार्यपालिका जांच के बाद इसकी अनुमति ना दे।’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘माकपा आंशिक रूप से रोक लगाने का स्वागत करती है।’’
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और द्रमुक नेता एम के स्टालिन ने उच्चतम न्यायालय के अंतरिम आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि यह ‘‘भाजपा सरकार द्वारा किए गए असंवैधानिक और अवैध संशोधनों को रद्द करने’’ की दिशा में एक बड़ा कदम है।
कई प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने भी इस अंतरिम आदेश का स्वागत किया। हालांकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने निराशा जताई।
शीर्ष अदालत में इस विवादित अधिनियम को चुनौती देने वाली जमीयत के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि उनका संगठन इस ‘काले कानून’ के ख़त्म होने तक ‘अपनी क़ानूनी और लोकतांत्रिक जद्दोजहद को जारी रखेगा।”
वहीं, ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि उसे अदालतों पर पूरा भरोसा है और इंसाफ मिलने की उम्मीद है।
ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव यासूब अब्बास ने कहा, "हम उच्चतम न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हैं। हमें अपनी अदालतों पर पूरा भरोसा है और हमें न्याय मिलने की पूरी उम्मीद है।"
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