हिंदी विज्ञान, न्यायपालिका और पुलिस की भाषा होनी चाहिए: शाह
सुमित नरेश
- 14 Sep 2025, 05:46 PM
- Updated: 05:46 PM
गांधीनगर, 14 सितंबर (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं के बीच कोई टकराव नहीं है और यह केवल बोलचाल की भाषा न रहकर, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, न्यायपालिका और पुलिस की भाषा भी बननी चाहिए।
पांचवें अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि भारतीयों को अपनी भाषाओं को संरक्षित करना चाहिए और उन्हें अमर बनाना चाहिए। उन्होंने अभिभावकों से बच्चों से उनकी मातृभाषा में बात करने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा, "हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के बीच कोई संघर्ष नहीं है। दयानंद सरस्वती, महात्मा गांधी, केएम मुंशी, सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे विद्वानों ने हिंदी को अपनाया और इसका प्रचार-प्रसार किया। गुजरात, जहां गुजराती और हिंदी सह-अस्तित्व में हैं, दोनों भाषाओं के विकास का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।"
केंद्रीय मंत्री ने कहा, "हिंदी केवल एक बोली या प्रशासन की भाषा नहीं है। हिंदी को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, न्याय और पुलिस की भी भाषा बनना चाहिए। जब ये सभी कार्य भारतीय भाषाओं में होंगे, तब जनता से जुड़ाव स्वतः ही स्थापित हो जाएगा।"
शाह ने कहा कि संस्कृत ने हमें ज्ञान की गंगा दी और हिंदी ने इस ज्ञान को हर घर तक पहुंचाया और यह ज्ञान स्थानीय भाषाओं के माध्यम से लोगों तक पहुंचा है।
उन्होंने कहा कि माता-पिता को बच्चों से सदैव उनकी मातृभाषा में बात करनी चाहिए।
शाह ने कहा, "यह बच्चे के भविष्य के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि कई मनोवैज्ञानिकों और शिक्षाशास्त्रियों ने यह माना है कि बच्चा अपनी मातृभाषा में सोचता है। जैसे ही आप बच्चे पर कोई दूसरी भाषा थोपते हैं उसका 25 से 30 प्रतिशत मानसिक बल अनुवाद में खर्च हो जाता है।"
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्थानीय भाषाओं को तकनीक के माध्यम से सशक्त बनाने का काम किया है और गृह मंत्रालय ने भारतीय भाषा अनुभाग की स्थापना की है, जो हिंदी और अन्य भाषाओं को बढ़ावा देगा।
उन्होंने कहा, "इसके लिए हम विज्ञान और तकनीक का भरपूर उपयोग कर रहे हैं।"
शाह ने कहा कि गुजरात में शिक्षा में हिंदी को स्थान मिला है और यह इसलिए संभव हुआ क्योंकि महात्मा गांधी, दयानंद सरस्वती जैसे नेताओं ने लोगों से आग्रह किया कि वे एक-दूसरे से हिंदी में संवाद करें और सभी राज्यों में हिंदी को बढ़ावा दें।
उन्होंने कहा, "इसके परिणामस्वरूप, गुजरात का कोई भी बच्चा देश में कहीं भी जाकर व्यापार कर सकता है और स्वीकार किया जाता है।"
गृह मंत्री ने बताया कि बहुभाषीय अनुवाद सारथी नामक ‘सॉफ्टवेयर’ का उपयोग किया जा रहा है, जो उन्नत तकनीक पर आधारित अनुवाद प्रणाली है।
शाह ने कहा, "इस ‘सॉफ्टवेयर’ को प्रशिक्षित करके हम इसे लगातार बेहतर बनाएंगे और आने वाले दिनों में देश के नागरिक अपनी-अपनी भाषाओं में संवाद कर सकेंगे।"
उन्होंने कहा कि अगर संवाद की भाषा अपनी नहीं है तो स्वतंत्रता और आत्मसम्मान की आकांक्षा अधूरी रह जाती है।
शाह ने बताया कि ‘हिंदी शब्द सिंधु’ शब्दकोश 51,000 शब्दों से शुरू हुआ था, जो अब सात लाख शब्दों को पार कर चुका है और 2029 तक यह दुनिया का सबसे बड़ा शब्दकोश बन जाएगा।
गृह मंत्री ने कहा, "मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि 2029 तक 'हिंदी शब्द सिंधु' दुनिया का सबसे बड़ा शब्दकोश बन जाएगा। इस शब्दकोश के माध्यम से हमने हिंदी को लचीला बनाया है। कई हिंदी विद्वान चाहते हैं कि हिंदी में संस्कृत शब्दों की प्रधानता हो, इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं है लेकिन जहां खाली स्थान है वहां अन्य भारतीय भाषाओं के शब्दों से भराव करना होगा। तभी हिंदी सभी भारतीयों के लिए आत्मीय भाषा बनेगी और हिंदी तभी एक व्यवहारिक बोली बन पाएगी जब उसमें लचीलापन होगा।"
उन्होंने कहा, "हमें समय के साथ कई बदलाव करने होंगे। जो समय के साथ नहीं बदलते वे इतिहास बन जाते हैं। मैं मानता हूं कि हमारी भाषा इतिहास भी है, वर्तमान भी है और भविष्य भी। इसी वजह से 'शब्द सिंधु' के प्रयोग का उद्देश्य हिंदी को उपयोगी, लचीली और जन-सामान्य की भाषा बनाना है।"
भाषा सुमित