राज्यों को जीएसटी राजस्व नुकसान का मुआवजा मिले, कटौती का लाभ आम लोगों तक पहुंचे : बालगोपाल
अजय अजय पाण्डेय
- 14 Sep 2025, 01:52 PM
- Updated: 01:52 PM
(मनोज राममोहन)
नयी दिल्ली, 14 सितंबर (भाषा) केरल के वित्त मंत्री के एन बालगोपाल ने कहा है कि जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने का लाभ आम लोगों तक पहुंचाया जाना चाहिए, लेकिन अगर वार्षिक राजस्व हानि की भरपाई नहीं की गई, तो राज्य अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरा करने में असमर्थ होंगे।
केरल के लिए माल एवं सेवा कर (जीएसटी) दरों को युक्तिसंगत बनाने से वार्षिक राजस्व हानि 8,000 करोड़ रुपये से 10,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। इस बात पर जोर देते हुए कि आर्थिक वृद्धि पूरे देश के लिए फायदेमंद होनी चाहिए, बालगोपाल ने रविवार को पीटीआई-भाषा को बताया कि प्रगतिशील कराधान का मतलब सभी के लिए कम कर नहीं होना चाहिए और उच्च आय या उच्च श्रेणी की विलासिता की वस्तुओं पर अधिक कर लगाया जाना चाहिए, जो कि सामान्य अच्छा कराधान अभ्यास है।
केंद्र और राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाली जीएसटी परिषद ने तीन सितंबर को दो-दर वाली जीएसटी संरचना पांच प्रतिशत और 18 प्रतिशत - को मंजूरी दी। 22 सितंबर से प्रभावी होने वाली संशोधित दरें बड़ी संख्या में वस्तुओं की कीमतों में कमी लाएंगी।
केरल ने दरों को युक्तिसंगत बनाने की पहल का स्वागत किया है, लेकिन वह राजस्व हानि की भरपाई के लिए कोई क्षतिपूर्ति व्यवस्था न होने को लेकर चिंतित है। वर्तमान में, चार दर स्लैब हैं - पांच, 12, 18 और 28 प्रतिशत।
रविवार को राष्ट्रीय राजधानी में पीटीआई-भाषा को दिए एक साक्षात्कार में, बालगोपाल ने जोर देकर कहा कि यदि जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने की प्रक्रिया राज्य के लिए सभी सुरक्षा उपायों के साथ काम नहीं करती है, तो भविष्य में यह स्थिति सार्वजनिक वित्त के लिए हानिकारक होगी।
केरल में सत्तारूढ़ माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चा के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘जीएसटी को युक्तिसंगत बनाने से करों में भारी छूट मिलेगी और आने वाले दिनों में कीमतों में कमी आनी चाहिए। इसका लाभ आम उपभोक्ताओं ‘आम आदमी’ को मिलना चाहिए... पहले, जब भी दरों को युक्तिसंगत बनाया गया (2017-18 में), कर के अंतर का लाभ लोगों को नहीं दिया गया।’’
मंत्री ने कहा कि जीएसटी, बिक्री कर और मूल्य वर्धित कर (वैट) राज्यों के लिए राजस्व आय के मुख्य स्रोतों में से हैं, जबकि केंद्र के पास और भी कई विकल्प हैं। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अगर राजस्व हानि की भरपाई नहीं की गई, तो राज्य स्वास्थ्य, शिक्षा और सार्वजनिक वितरण प्रणाली जैसी अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरा नहीं कर पाएंगे।
केरल स्थित गुलाटी इंस्टिट्यूट ऑफ फाइनेंस एंड टैक्सेशन के अनुसार, जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने के कारण राज्य को होने वाला वार्षिक राजस्व घाटा 8,000 करोड़ रुपये से 10,000 करोड़ रुपये के बीच होने का अनुमान है, जिसमें सिर्फ वस्तुओं से संबंधित राजस्व घाटा लगभग 6,300 करोड़ रुपये आंका गया है।
भाषा अजय अजय