राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति चुनावों में मतदान अनिवार्य किया जाए: शिवसेना(उबाठा)
सुभाष पवनेश
- 12 Sep 2025, 05:08 PM
- Updated: 05:08 PM
मुंबई, 12 सितंबर (भाषा) शिवसेना (उबाठा) ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनावों में मतदान को अनिवार्य करने की मांग करते हुए शुक्रवार को कहा कि निर्वाचकों की ‘‘खरीद-फरोख्त’’ में शामिल और इन शीर्ष संवैधानिक पदों के लिए मतदान से दूर रहने वाले राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द कर देना चाहिए।
पार्टी ने अपने मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में कहा कि के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) के नेतृत्व वाली भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस), बीजू जनता दल (बीजद) और अन्य दल ‘‘हमेशा की तरह’’ केंद्रीय जांच एजेंसियों से ‘‘डर गए’’ और 9 सितंबर के उपराष्ट्रपति चुनाव से दूर रहने का फैसला किया।
संपादकीय में तर्क दिया गया, ‘‘यह (मतदान से दूर रहना) असंवैधानिक है।’’
बीजद और बीआरएस ने उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान से दूरी बना ली थी, जहां सत्तारूढ़ भाजपा नीत राजग के उम्मीदवार सी पी राधाकृष्णन ने विपक्ष के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों के अंतर से हराकर जीत हासिल की।
भाजपा के पूर्व सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने चुनाव का बहिष्कार करते हुए दावा किया था कि पंजाब के बाढ़ प्रभावित लोगों को राज्य सरकार, केंद्र या कांग्रेस से कोई मदद नहीं मिली है।
‘सामना’ के संपादकीय में कहा गया, ‘‘ऐसा प्रावधान होना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति (राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में) मतदान में अनुपस्थित न रह सके। एक ओर, जहां मतदान (लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों में) को अनिवार्य बनाने की मांग की जा रही है, वहीं दूसरी ओर पार्टियां खरीद-फरोख्त में शामिल हो जाती हैं और चुनावों का बहिष्कार करती हैं। ऐसी पार्टियों का पंजीकरण रद्द किया जाना चाहिए।’’
राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें संसद के निर्वाचित सदस्य और राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं। उपराष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचक मंडल में संसद के दोनों सदनों के सदस्य शामिल होते हैं।
शिवसेना (उबाठा) ने शुक्रवार को शपथ लेने वाले नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन से राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति जैसे शीर्ष संवैधानिक पदों के चुनावों में सत्तारूढ़ दलों द्वारा ‘‘खरीद-फरोख्त’’ रोकने के लिए एक कानून बनाने की भी मांग की।
उपराष्ट्रपति चुनाव के नतीजों की घोषणा करते हुए, राज्यसभा के महासचिव और निर्वाचन अधिकारी पी. सी. मोदी ने कहा कि कुल 781 मतदाताओं में से 767 सांसदों ने अपने वोट डाले। उन्होंने बताया कि 752 मत वैध और 15 अवैध थे। राधाकृष्णन को 452 और रेड्डी को 300 मत मिले।
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने कहा कि अधिकतर अवैध वोट रेड्डी को मिले।
संपादकीय में सवाल किया गया कि जब भाजपा के सहयोगी दलों (शिवसेना का परोक्ष संदर्भ) ने ‘‘खरीद-फरोख्त’’ का दावा किया, तब निर्वाचन आयोग क्या कर रहा था?
विपक्षी दल ने कहा कि आयोग राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के लिए भी गंभीरता से चुनाव नहीं करा सकता।
पार्टी ने कहा कि दो से पांच सांसदों को छोड़कर, विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन के किसी भी सांसद ने उपराष्ट्रपति चुनाव में ‘‘विश्वासघात’’ नहीं किया।
संपादकीय में आरोप लगाया गया कि जिन सांसदों ने ‘क्रॉस-वोटिंग’ की, उनके लिए विदेश यात्राओं की व्यवस्था की गई।
भाषा सुभाष