शैक्षणिक संस्थानों में परामर्शदाताओं के लिए जनहित याचिका पर केंद्र और राजस्थान सरकार को नोटिस
स. पृथ्वी शफीक
- 19 Sep 2025, 11:38 PM
- Updated: 11:38 PM
कोटा, 19 सितंबर (भाषा) राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर पीठ ने राजस्थान के सरकारी और निजी शैक्षणिक संस्थानों में परामर्शदाताओं (काउंसलर) और मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों के अनुरोध वाली जनहित याचिका पर केंद्र और राजस्थान सरकार को नोटिस जारी किए।
न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा और न्यायमूर्ति संजीत पुरोहित की पीठ ने कोटा के अधिवक्ता सुजीत स्वामी व सात अन्य मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए आठ हफ्ते में जवाब मांगा है।
याचिका में राजस्थान भर के सभी सरकारी और निजी स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और कोचिंग संस्थानों में प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक परामर्शदाताओं की नियुक्ति व मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना का अनुरोध किया गया है। साथ ही मानसिक स्वास्थ्य पाठ्यक्रम कार्यान्वयन की मांग की गई है।
तीन राज्यों के आठ मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा एक अगस्त 2025 को दायर जनहित याचिका में जयपुर (दक्षिण), जोधपुर (पूर्व और पश्चिम), सीकर, कोटा, झालावाड़ और बारां जिलों में बच्चों और युवाओं में आत्महत्या की चिंताजनक दर पर प्रकाश डाला गया है।
याचिकाकर्ताओं में सुजीत स्वामी, पृथ्वीराज सिंह हाड़ा, रजत सुलोदिया, सुमित कुमार, पौरुष शर्मा, निमिषा खंडेलवाल, निशा शेखावत व आयुषी भारद्वाज हैं जिन्होंने शैक्षणिक संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य सहायता की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया है।
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार ने इस मुद्दे पर ध्यान देते हुए पहले ही कोचिंग सेंटर विनियमन विधेयक पारित कर दिया है। जवाब में केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल आर डी रस्तोगी ने अदालत को सूचित किया कि यह मामला छात्रों के विशिष्ट मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित है।
सुनवाई के दौरान मौजूद याचिकाकर्ता सुजीत स्वामी ने शुक्रवार शाम ‘पीटीआई- भाषा’ को बताया कि पीठ ने इसके बाद भारत सरकार, राजस्थान के स्कूल शिक्षा निदेशक, राजस्थान के उच्च शिक्षा निदेशक, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) आदि को नोटिस जारी किया और प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक विद्यालय और कॉलेज के छात्रों के लिए मानसिक स्वास्थ्य सहायता में सुधार के लिए सुझाव मांगे।
राज्य सरकार को मनोवैज्ञानिक परामर्शदाताओं की नियुक्ति और मानसिक स्वास्थ्य सहायता के लिए समान पाठ्यक्रम लागू करने की अपनी स्थिति और नीतियों के बारे में आठ सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया गया है।
सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के माध्यम से प्राप्त आंकड़ों से पता चलता है कि 2015 और 2023 के बीच कोटा, बारां और झालावाड़ जिलों में 12-30 वर्ष की आयु वर्ग में 1,799 आत्महत्या दर्ज की गईं। इसके अलावा 2021 से मार्च 2025 तक सीकर (464), जयपुर दक्षिण (172), जोधपुर पूर्व (187) और जोधपुर पश्चिम (374) में 10 से 30 वर्ष आयु वर्ग में 1,197 आत्महत्याएं दर्ज की गईं।
भाषा स. पृथ्वी