एफएसएसएआई का जैतून तेल को ‘चुनिंदा तौर पर बढ़ावा देना’ गलत : सोयाबीन प्रसंस्करणकर्ता
हर्ष राजकुमार
- 08 Sep 2025, 10:03 PM
- Updated: 10:03 PM
इंदौर (मप्र), आठ सितंबर (भाषा) सोयाबीन प्रसंस्करणकर्ताओं के एक संगठन ने भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) पर जैतून के तेल (ऑलिव ऑयल) को ‘चुनिंदा रूप से बढ़ावा देने’ का आरोप लगाते हुए सोमवार को कहा कि देश में बहुत छोटा और समृद्ध वर्ग ही इस महंगे खाद्य तेल का उपभोग करता है।
इंदौर स्थित ‘सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा)’ ने एफएसएसएआई के आधिकारिक खाते से सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर साझा पोस्ट को लेकर आपत्ति जताते हुए यह बात कही।
एफएसएसएआई के ‘ईट राइट इंडिया’ अभियान के तहत साझा पोस्ट में जैतून के तेल को खाना पकाने के स्वास्थ्यवर्धक तेल के उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
इस पोस्ट में कहा गया,‘‘आप कौन-सा तेल चुनते हैं और इसका इस्तेमाल कैसे करते हैं, उसका आपके स्वास्थ्य पर बहुत बड़ा असर पड़ता है। खाना पकाने के तेल को बार-बार इस्तेमाल करने से बचें। इसके बजाय अपने रोजाना के भोजन में जैतून के तेल जैसे खाना पकाने के स्वास्थ्यवर्धक तेलों का इस्तेमाल करें। यह एक साधारण बदलाव है जो बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है।’’
सोपा के कार्यकारी निदेशक डी एन पाठक ने बताया कि इस संगठन की ओर से एफएसएसएआई को लिखे पत्र में कहा गया है कि भारत में जैतून का तेल सबसे महंगे खाद्य तेलों में से एक है जिसका उपभोग समाज का बहुत छोटा और समृद्ध वर्ग ही करता है तथा देश की अधिकांश आबादी इसे नहीं खरीद सकती।
उन्होंने कहा कि एफएसएसएआई द्वारा खाना पकाने के स्वास्थ्यवर्धक तेल के उदाहरण के रूप में जैतून के तेल का विशिष्ट उल्लेख अन्य तेलों के साथ ‘अन्याय’ है।
पाठक ने कहा,‘‘देश में कई प्रकार के खाद्य तेलों का उत्पादन और उपभोग किया जाता है जिनमें सोयाबीन, सरसों, मूंगफली और सूरजमुखी के तेल शामिल हैं। ये सभी तेल जब संतुलित तरीके से उपयोग किए जाते हैं, तो स्वास्थ्यवर्धक होते हैं। महज जैतून के तेल को स्वास्थ्यवर्धक बताया जाना एक भ्रामक धारणा बनाता है और अन्य तेलों पर जनता के विश्वास को कम करता है।’’
उन्होंने कहा कि चूंकि जैतून का तेल भारत में बड़े पैमाने पर आयात किया जाता है, इसलिए घरेलू रूप से उत्पादित तेलों की तुलना में इसे चुनिंदा रूप से बढ़ावा देने से ‘निहित स्वार्थों के प्रभाव’ की धारणा बनती है जो एफएसएसएआई सरीखे सार्वजनिक क्षेत्र के नियामक प्राधिकरण के लिए अनुचित है।
सोपा ने एफएसएसएआई से मांग की है कि जैतून के तेल से संबद्ध सोशल मीडिया पोस्ट को तत्काल वापस लिया जाए और भारत के इस शीर्ष खाद्य नियामक की ओर से यह पुष्टि करने वाला स्पष्टीकरण जारी किया जाए कि देश में उपलब्ध सभी खाद्य तेल संतुलित रूप और सीमित मात्रा में सेवन किए जाने पर सुरक्षित एवं स्वास्थ्यवर्धक हैं।
भाषा हर्ष