भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के ‘विजन’ में सिंगापुर प्रमुख साझेदार: मुर्मू
सुरेश खारी
- 04 Sep 2025, 10:48 PM
- Updated: 10:48 PM
नयी दिल्ली, चार सितंबर (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत और सिंगापुर के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी के विभिन्न पहलुओं पर जोर देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि सिंगापुर, भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति और हिंद-प्रशांत क्षेत्र की परिकल्पना में एक प्रमुख साझेदार है।
मुर्मू ने कहा कि सिंगापुर, भारत के लिए निवेश का एक प्रमुख स्रोत है और देश में सिंगापुर का निवेश भी बढ़ रहा है।
उन्होंने बढ़ते रक्षा सहयोग पर प्रकाश डाला, जिसमें द्विपक्षीय अभ्यास और प्रशिक्षण शामिल हैं।
सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग यहां राष्ट्रपति भवन में मुर्मू से मिले।
राष्ट्रपति ने वोंग का स्वागत करते हुए सिंगापुर में बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीयों द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका की भी सराहना की और कहा कि इन प्रवासी भारतीयों ने दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
उन्होंने कहा कि भारत और सिंगापुर एक-दूसरे के लिए महत्वपूर्ण साझेदार हैं और ‘‘सिंगापुर भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति और हिंद-प्रशांत क्षेत्र की परिकल्पना में भी एक प्रमुख साझेदार है।’’
राष्ट्रपति ने कहा कि 2025 विशेष महत्व वाला वर्ष है, क्योंकि यह दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ भी है।
सिंगापुर के राष्ट्रपति थर्मन षणमुगरत्नम ने जनवरी में भारत का दौरा किया था।
राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, विदेश मंत्री विवियन बालाकृष्णन सहित छह वरिष्ठ मंत्रियों ने कुछ ही सप्ताह पहले दिल्ली में आयोजित तीसरे भारत-सिंगापुर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया था।
मुर्मू ने कहा कि पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सिंगापुर यात्रा के दौरान भारत-सिंगापुर संबंधों को एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी के रूप में विकसित किया गया था।
राष्ट्रपति को यह जानकर खुशी हुई कि वांग और मोदी ने बृहस्पतिवार को संयुक्त रूप से इस साझेदारी के लिए एक ‘रोडमैप’ तैयार किया, जो वास्तव में द्विपक्षीय सहयोग की गहराई और विस्तार को दर्शाता है।
मुर्मू ने कहा कि बृहस्पतिवार को संपन्न हुए द्विपक्षीय समझौते हरित अर्थव्यवस्था, अंतरिक्ष, नागर विमानन, वित्तीय प्रौद्योगिकी और कौशल विकास जैसे नए और उभरते क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देंगे।
दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि उच्चतम राजनीतिक स्तरों पर नियमित बातचीत भारत-सिंगापुर संबंधों की पहचान है।
बयान में कहा गया कि उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत-सिंगापुर संबंध भविष्य में भी फलते-फूलते रहेंगे।
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