मामूली अपराधों को जुर्म की श्रेणी से बाहर करने को जल्द ही ‘जन विश्वास विधेयक’ लाएगी गुजरात सरकार
देवेंद्र पवनेश
- 04 Sep 2025, 05:16 PM
- Updated: 05:16 PM
अहमदाबाद, चार सितंबर (भाषा) गुजरात सरकार जल्द ही एक विधेयक पेश करेगी जिसमें विश्वास-आधारित शासन और व्यापार में सुगमता को बढ़ावा देने के लिए कुछ अपराधों को जुर्म की श्रेणी से बाहर किये जाने का प्रावधान किया गया है। एक मंत्री ने बुधवार को यह जानकारी दी।
विधेयक के दस्तावेज के अनुसार इसमें अनधिकृत निर्माण, सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण, गंदगी न हटाना, सार्वजनिक स्थानों पर मवेशी बांधना और कुछ करों का भुगतान न करने जैसे विभिन्न अपराधों के लिए दंडात्मक कानूनी कार्रवाई के स्थान पर जुर्माना और दंड का प्रावधान किया गया है।
अन्य अपराध जिनके लिए कानूनी कार्रवाई के बजाय जुर्माना लगाया जायेगा, उनमें नगरपालिका की अनुमति के बिना खुले स्थान पर मल या कोई अन्य तरल या सामग्री बहाना, बिना अनुमति के डेयरी उत्पाद बेचना, बिना लाइसेंस के 'स्टीम व्हिसल' का इस्तेमाल करना आदि शामिल है।
विधेयक में बिना अनुमति के किसी भवन में तीर्थयात्रियों को ठहराने, नगरपालिका द्वारा जारी किसी वैध निर्देश या नोटिस का उल्लंघन करने, सड़कों के नाम और संख्या को विकृत करने और अधिकृत व्यक्तियों को किसी परिसर में प्रवेश करने से रोकने जैसे अपराधों के लिए जुर्माने का भी प्रस्ताव किया गया है।
राज्य के संसदीय एवं विधायी मामलों के मंत्री ऋषिकेश पटेल ने गांधीनगर में कहा कि इसका उद्देश्य नियमों और विनियमों को सरल करना, कारोबार को आसान बनाना और अदालतों पर बोझ कम करना है।
राज्य के संसदीय एवं विधायी मामलों के मंत्री ऋषिकेश पटेल ने गांधीनगर में कहा कि विधानसभा के आगामी मानसून सत्र के दौरान राज्य सरकार 11 मौजूदा अधिनियमों के कुछ प्रावधानों में संशोधन के लिए 'गुजरात जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक' पेश करेगी।
पटेल ने संवाददाताओं को बताया कि विधानसभा का मानसून सत्र आठ से 10 सितंबर तक गांधीनगर में होगा और जन विश्वास विधेयक समेत पांच विधेयक सदन में चर्चा और मंजूरी के लिए पेश किए जाएंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा उद्देश्य नियमों और विनियमों को सरल बनाना, कारोबार में आसानी को बढ़ावा देना, अदालतों पर बोझ कम करना और मौजूदा प्रावधानों को तर्कसंगत बनाना है।’’
विधेयक के अनुसार, मामूली अपराधों के लिए कारावास का भय व्यावसायिक पारिस्थितिकी तंत्र और व्यक्तिगत आत्मविश्वास के विकास में बाधा डालने वाला एक प्रमुख कारक है।
इसमें कहा गया है, ‘‘इसलिए सरकार कई मामूली अपराधों को जुर्म की श्रेणी से बाहर करने पर विचार कर रही है और उनकी जगह आर्थिक दंड का प्रावधान कर रही है। ऐसे कदम उठाकर सरकार जीवन और कारोबार को सुगम बनाने और अदालतों पर बोझ कम करने की पूरी कोशिश कर रही है।’’
भाषा
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