तेलंगाना की पामतेल पर आयात शुल्क, उर्वरक सब्सिडी बढ़ाने की मांग
राजेश राजेश अजय
- 03 Sep 2025, 08:07 PM
- Updated: 08:07 PM
नयी दिल्ली, तीन सितंबर (भाषा) तेलंगाना के कृषि मंत्री तुम्मला नागेश्वर राव ने बुधवार को केंद्र से, घरेलू खेती को प्रोत्साहित करने के लिए कच्चे पाम तेल पर आयात शुल्क बढ़ाने की मांग की तथा गैर-यूरिया उर्वरकों पर सब्सिडी बढ़ाने की अपेक्षा जताई।
राव ने राष्ट्रीय राजधानी में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ एक बैठक में ये मांगें उठाईं।
तेलंगाना में, 71,985 किसान 63,567 हेक्टेयर में पाम तेल की खेती कर रहे हैं और वर्ष 2025-26 में 50,000 एकड़ अतिरिक्त भूमि पर पाम तेल की खेती करने के प्रयास चल रहे हैं।
राव ने कहा, ‘‘इस संदर्भ में, आयात शुल्क एक समस्या बन गया है।’’ उन्होंने केंद्रीय मंत्री से पाम तेल किसानों को 25,000 रुपये प्रति टन का न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान करने के लिए पाम तेल पर आयात शुल्क बढ़ाकर 44 प्रतिशत करने पर विचार करने की अपील की।
उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘इससे राज्य में पाम तेल की खेती बढ़ेगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।’’
यूरिया और गैर-यूरिया उर्वरकों के बीच मूल्य संतुलन बनाए रखने के लिए, तेलंगाना के मंत्री ने केंद्र सरकार से पोषक तत्व आधारित सब्सिडी योजना के तहत फॉस्फोरस और पोटेशियम पर सब्सिडी बढ़ाने की मांग की।
मंत्री ने कहा, ‘‘यह किसानों के लिए बहुत फायदेमंद होगा और मिट्टी की रक्षा करने का अवसर प्रदान करेगा।’’
उन्होंने कहा कि सब्सिडी बढ़ाना किसानों को अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों के प्रभाव से बचाने का सबसे अच्छा तरीका है।
उन्होंने हाल ही में शुरू की गई प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (पीएमडीडीकेवाई) के तहत भद्राद्री कोठागुडेम, नारायणपेट, मुलुगु, कोमुरमभीम आसिफाबाद और संगारेड्डी जिलों को शामिल करने की भी मांग की।
इन जिलों के किसान वर्षा आधारित फसलें उगाते हैं और सीमित बुनियादी ढांचे के कारण उपज कम होती है।
उन्होंने कहा, ‘‘इन जिलों को पीएमडीडीकेवाई योजना में शामिल करने से कृषि उत्पादन बढ़ेगा और किसानों को लाभ होगा।’’
बैठक में, राव ने केंद्रीय मंत्री को बताया कि कृषि मशीनरी पर 12 प्रतिशत जीएसटी तेलंगाना के किसानों पर वित्तीय बोझ बढ़ा रहा है।
यह छोटे और सीमांत किसानों के लिए विशेष रूप से परेशानी का सबब बन गया है, जिसका असर सूक्ष्म सिंचाई उपकरण, ट्रैक्टर और अन्य कृषि उपकरणों पर पड़ रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे समय में जब आधुनिक कृषि पद्धतियों और मशीनरी के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, उच्च जीएसटी दर किसानों के लिए परेशानी का सबब बन गई है। इसके कारण, किसानों को पारंपरिक तरीकों पर निर्भर रहना पड़ेगा।’’ उन्होंने कृषि मशीनरी और सूक्ष्म सिंचाई उपकरणों पर 12 प्रतिशत जीएसटी माफ करने की मांग की।
भाषा राजेश राजेश