दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी के आंदोलन से जुड़े एनजीओ ने कानूनी दल को सम्मानित किया
प्रशांत सुभाष
- 24 Nov 2024, 07:22 PM
- Updated: 07:22 PM
(फाकिर हसन)
जोहानिसबर्ग, 24 नवंबर (भाषा) महात्मा गांधी के दक्षिण अफ्रीका प्रवास के दौरान उनके द्वारा शुरू किए गए कांग्रेस आंदोलन से जुड़े एक गैर सरकारी संगठन ने गाजा पर इजराइल के हमलों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में देश का प्रतिनिधित्व करने वाली कानूनी टीम को सम्मानित किया है।
गैर सरकारी संगठन कांग्रेस ऑफ बिजनेस एंड इकोनॉमिक्स (सीबीई) के वार्षिक भोज और पुरस्कार समारोह में, दक्षिण अफ्रीका और कई देशों के नौ वरिष्ठ कानूनी विशेषज्ञों, साथ ही इस प्रक्रिया में शामिल सरकारी विभागों को ‘अहमद कथराडा उत्कृष्ट नेतृत्व पुरस्कार’ प्रदान किया गया।
इस पुरस्कार का नाम भारतीय मूल के दिवंगत स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने अपने करीबी मित्र नेल्सन मंडेला के 27 वर्षों से एक वर्ष कम समय जेल में बिताया था।
सीबीई के अध्यक्ष अशफाक दाऊद ने कहा, “कथराडा और मंडेला, दोनों ही गांधीजी के सिद्धांतों से प्रेरित थे, कथराडा अपने जीवनकाल में फलस्तीन मुद्दे के मुखर समर्थक थे। हमारा मानना है कि अगर गांधीजी आज जीवित होते, तो वह फलस्तीन में इजराइली उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व कर रहे होते, ठीक उसी तरह जैसे दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने इस संबंध में वैश्विक नेतृत्व किया है।”
उन्होंने कहा, “सीबीई ने अपनी स्थापना के समय से ही एक कार्यकर्ता संगठन के रूप में अपनी प्रतिष्ठा अर्जित की है, क्योंकि यह हमेशा समानता के सिद्धांतों पर अडिग रहा है तथा किसी भी प्रकार के उत्पीड़न के प्रति जरा भी सहिष्णुता नहीं रखता है। हमने हमेशा उन लोगों के हितों की रक्षा के लिए सरकार के साथ मिलकर काम किया है जिनके पास अपनी आवाज उठाने या अपने अधिकारों की रक्षा करने की क्षमता नहीं है।”
दाऊद ने कहा, “यह महज संयोग नहीं है कि सीबीई ने फलस्तीनी लोगों को आवाज देने और उस उत्पीड़ित राष्ट्र के मामले की पैरवी करने के लिए दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता और आईसीजे टीम को मान्यता देने का निर्णय लिया है। हमें यह स्वीकार करना होगा कि आज हमारी सभी आंतरिक चुनौतियों के बावजूद दक्षिण अफ्रीकी लोग हमारे देश पर गर्व महसूस करते हैं और राष्ट्रवाद की भावना महसूस करते हैं क्योंकि हम सभी अपनी सरकार और इस नरसंहार को रोकने के उसके प्रयासों में एकजुट हैं।”
भाषा प्रशांत