सर्वदलीय बैठक में सरकार ने सभी दलों से संसद का सुचारू संचालन सुनिश्चित करने की अपील की
आशीष सुरेश
- 24 Nov 2024, 07:25 PM
- Updated: 07:25 PM
(फोटो सहित)
नयी दिल्ली, 24 नवंबर (भाषा) विपक्षी दलों ने रविवार को केंद्र से अदाणी समूह के खिलाफ अमेरिकी अभियोजकों के रिश्वतखोरी के आरोपों पर संसद में चर्चा कराने की मांग की, वहीं केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू ने स्पष्ट किया कि दोनों सदनों में उठाए जाने वाले मामलों पर संबंधित अध्यक्ष की सहमति से उनकी अधिकृत समितियां निर्णय लेंगी।
सोमवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र की पूर्व संध्या पर परंपरा के अनुसार सर्वदलीय बैठक हुई। बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने संवाददाताओं को बताया कि सरकार ने सभी दलों से संसद का सुचारू संचालन सुनिश्चित करने की अपील की है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता एवं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में 30 दलों के 42 नेताओं ने भाग लिया।
मणिपुर में अशांति सहित अन्य कई मामलों के अलावा अदाणी मुद्दे पर ‘‘प्राथमिकता’’ के आधार पर चर्चा कराने की कांग्रेस की मांग पर रीजीजू ने कहा कि सदनों की संबंधित कार्य मंत्रणा समितियां लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति की सहमति से संसद में चर्चा किए जाने वाले मामलों पर निर्णय लेंगी।
बैठक में इस मामले को उठाते हुए लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने अदाणी मुद्दे को घोटाला करार दिया और कहा कि सरकार को किसी भी तकनीकी आधार पर उनकी मांग को अस्वीकार या नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह भारतीय संस्थाओं और निवेशकों से जुड़ा मामला है।
अमेरिकी अभियोजकों ने उद्योगपति गौतम अदाणी पर भारत के चार राज्यों में सौर ऊर्जा अनुबंधों के लिए अनुकूल शर्तों के बदले भारतीय अधिकारियों को 26.5 करोड़ अमरीकी डॉलर (लगभग 2,200 करोड़ रुपये) की रिश्वत देने की योजना का कथित रूप से हिस्सा होने का आरोप लगाया है।
अदाणी समूह ने आरोप से इनकार करते हुए कहा है कि अमेरिकी अभियोजकों द्वारा लगाए गए आरोप निराधार हैं और समूह सभी कानूनों का अनुपालन कर रहा है।
कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने भी कहा कि सरकार को अन्य कार्यों को अलग रखकर इस मुद्दे पर प्राथमिकता के आधार पर चर्चा करानी चाहिए।
राज्यसभा सदस्य ने कहा कि यह देश के आर्थिक और सुरक्षा हितों से जुड़ा एक गंभीर मुद्दा है, क्योंकि कंपनी ने अपनी सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए अनुकूल सौदा पाने को लेकर नेताओं और नौकरशाहों को कथित तौर पर 2,300 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया।
मणिपुर हिंसा का मुद्दा उठाते हुए गोगोई ने कहा कि केंद्र सरकार ने झारखंड के मुख्यमंत्री (हेमंत सोरेन) को जेल में डाल दिया और विभिन्न कारणों से जम्मू-कश्मीर में बदलाव किए, लेकिन हिंसा में कथित संलिप्तता के बावजूद मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह पर अपना भरोसा बनाए रखा।
उन्होंने कहा कि इस मामले पर संसद में चर्चा होनी चाहिए।
संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है और 20 दिसंबर तक चलेगा।
बैठक में आंध्र प्रदेश में भाजपा के दो सहयोगी दलों तेलुगुदेशम पार्टी (तेदेपा) और जन सेना पार्टी ने आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम के तहत 2014 में राज्य के विभाजन के दौरान किए गए वादों के लंबित कार्यान्वयन का मुद्दा उठाया और कहा कि संसद को उनकी वर्तमान स्थिति पता होनी चाहिए।
तेदेपा नेता एल. श्रीकृष्ण देवरायलु ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि सरकार स्थिति को रिकॉर्ड पर रखे।’’ उन्होंने कहा कि कुछ वादे पूरे किए गए हैं और कुछ पर काम चल रहा है, लेकिन कुछ अब भी अधूरे हैं।
जन सेना नेता बालाशोवरी वल्लभनेनी ने भी इसी तरह की बात कही। देवरायलु ने कहा कि पोलावरम सिंचाई परियोजना ठप हो गई है। उन्होंने कहा कि संसद को आपदा प्रबंधन पर भी चर्चा करनी चाहिए, क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारण भारी बारिश की वजह से कई दक्षिणी शहर प्रभावित हो रहे हैं।
अदाणी मुद्दे पर उनकी पार्टी के रुख के बारे में पूछे जाने पर देवरायलु ने कहा कि अधिक विवरण सामने आने की जरूरत है, लेकिन उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी नहीं चाहती कि राज्य की छवि को नुकसान पहुंचे।
बैठक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष जे पी नड्डा, कांग्रेस नेता जयराम रमेश, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के तिरुचि शिवा, शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल और लोजपा (रामविलास) सांसद अरुण भारती सहित अन्य नेता शामिल हुए।
शिवा ने केंद्र से वक्फ (संशोधन) विधेयक वापस लेने को कहा, जिसे सरकार कई मुस्लिम संगठनों के विरोध के बावजूद सत्र में पेश करने के लिए उत्सुक है। भारती ने बिहार में लगातार बाढ़ के संकट का मुद्दा उठाया और राहत पैकेज की मांग की। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जातियों और जनजातियों के हितों की रक्षा के लिए ‘लेटरल एंट्री’ प्रावधान को संवैधानिक दर्जा दिया जाना चाहिए।
इस सत्र के लिए वक्फ संशोधन विधेयक समेत 16 विधेयक सूचीबद्ध किए गए हैं।
लंबित विधेयकों में वक्फ (संशोधन) विधेयक भी शामिल है, जिसे दोनों सदनों की संयुक्त समिति द्वारा लोकसभा में अपनी रिपोर्ट सौंपने के बाद विचार और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है। समिति को शीतकालीन सत्र के पहले सप्ताह के आखिरी दिन अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है।
समिति के विपक्षी सदस्य समिति की रिपोर्ट प्रस्तुत करने की समयसीमा बढ़ाए जाने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि समिति के अध्यक्ष और भाजपा के सांसद जगदंबिका पाल समिति की बैठकों में बाधा डाल रहे हैं और उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से हस्तक्षेप करने की मांग की है।
रीजीजू ने कहा कि संयुक्त समिति का कार्यकाल बढ़ाने का प्रावधान है, लेकिन अभी तक इस पर कोई चर्चा नहीं हुई है। उन्होंने उल्लेख किया कि लोकसभा की कार्य मंत्रणा समिति ही समिति के कार्यकाल विस्तार के मुद्दे पर चर्चा करने का मंच है।
वर्ष 2024-25 के लिए ‘अनुदानों की अनुपूरक मांगों के प्रथम बैच’ पर प्रस्तुति, चर्चा और मतदान को भी सूचीबद्ध किया गया है। सरकार द्वारा सूचीबद्ध अन्य विधेयक पंजाब न्यायालय (संशोधन) विधेयक है। इसके अलावा, तटीय नौवहन विधेयक और भारतीय बंदरगाह विधेयक को भी पेश और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
वक्फ (संशोधन) विधेयक और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक सहित आठ विधेयक लोकसभा में लंबित हैं और दो अन्य विधेयक राज्यसभा में लंबित हैं।
देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए प्रस्तावित विधेयक अभी सूची का हिस्सा नहीं हैं, हालांकि कुछ खबरों से पता चला है कि सरकार आगामी सत्र में प्रस्तावित कानून ला सकती है।
भाषा आशीष