द्रमुक ने ‘राज्य भाषाओं की अनदेखी करने’ और हिंदी माह मनाने के लिए केंद्र की आलोचना की
पारुल अविनाश
- 20 Nov 2024, 06:27 PM
- Updated: 06:27 PM
चेन्नई, 20 नवंबर (भाषा) तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार पर बुधवार को आरोप लगाया कि उसने तमिल सहित अन्य राज्य भाषाओं की अनदेखी की और हिंदी माह एवं सप्ताह मनाया।
पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं से 2026 के विधानसभा चुनावों के लिए तुरंत अभियान शुरू करने और लोगों को महत्वपूर्ण योजनाओं एवं मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के दूरदर्शी नेतृत्व के बारे में बताने का आग्रह किया।
सरकारी बसों में महिलाओं के लिए मुक्त यात्रा और ‘कलैगनार मगलिर उरीमाई थोगई’ (महिलाओं के अधिकार के लिए कलैगनार योजना) के तहत महिलाओं को हर महीने 1,000 रुपये की आर्थिक सहायता द्रमुक सरकार की प्रमुख योजनाओं में शामिल है।
द्रमुक ने मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष एमके स्टालिन की अध्यक्षता में अपनी उच्च स्तरीय बैठक में जाति जनगणना में ‘देरी’ को लेकर भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा।
बैठक में विभिन्न मुद्दों पर पार्टी के रुख को रेखांकित करने वाले विभिन्न प्रस्ताव पारित किए गए। इनमें से एक प्रस्ताव में 9.2 फीसदी बेरोजगारी दर और “तमिल एवं अन्य राज्य भाषाओं की अनदेखी करने तथा हिंदी माह एवं हिंदी सप्ताह से जुड़े कार्यक्रम आयोजित करने” सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर केंद्र की निंदा की गई।
सत्तारूढ़ दल ने प्रस्तावित वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर भी केंद्र की आलोचना की और कहा कि यह अल्पसंख्यकों के अधिकारों को छीनने के समान है।
पार्टी ने भाजपा नीत केंद्र सरकार की “लोकतंत्र विरोधी, जन विरोधी और संविधान विरोधी” गतिविधियों के लिए उसकी आलोचना की। साथ ही आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के सभी विभागों में आरक्षण से जुड़े नियम पूरी तरह से लागू नहीं किए गए हैं।
द्रमुक ने केंद्र सरकार पर रेल हादसे रोकने में नाकाम रहने का आरोप भी लगाया। पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर में सभी वर्गों के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह भी किया।
पार्टी ने ‘एक देश, एक चुनाव’ अवधारणा को लेकर अपना विरोध दोहराया। उसने समग्र शिक्षा जैसी केंद्रीय योजनाओं के तहत राज्य को धन जारी नहीं किए जाने की निंदा की।
द्रमुक ने केंद्र सरकार पर संविधान द्वारा राज्यों को दिए गए अधिकारों को छीनने और गैर-भाजपा शासित राज्यों को आपदा राहत निधि जारी करने में ‘पक्षपातपूर्ण’ रवैया अपनाने का आरोप लगाया।
पार्टी ने बजट में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) योजना के लिए धन आवंटन में कमी करने का आरोप लगाया। उसने आरोप लगाया कि भाजपा शासन केवल अपने “सांप्रदायिक विचारों” को लागू करने पर आमादा है, और दावा किया कि 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा द्वारा किए गए किसी भी वादे को लागू नहीं किया गया है।
द्रमुक ने 16वें वित्त आयोग से केंद्रीय करों में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी की राज्य सरकार की मांग का हवाला देते हुए कहा कि केंद्र को इसे अवश्य स्वीकार करना चाहिए।
द्रमुक ने केंद्र से श्रीलंका में कैद तमिलनाडु के मछुआरों की रिहाई के लिए कदम उठाने का आग्रह किया। पार्टी ने यह भी कहा कि मछुआरों की जब्त नौकाओं को छुड़ाने के लिए भी पहल की जानी चाहिए।
बैठक में उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन, दुरईमुरुगन, टीआर बालू, ए राजा, आरएस भारती, कनिमोई समेत अन्य पार्टी नेताओं ने हिस्सा लिया।
भाषा पारुल