एनएससीएन-आईएम की संघर्ष विराम समझौता तोड़ने की चेतावनी के बाद कांग्रेस ने केंद्र की आलोचना की
देवेंद्र वैभव
- 08 Nov 2024, 10:56 PM
- Updated: 10:56 PM
नयी दिल्ली, आठ नवंबर (भाषा) नगा उग्रवादी समूह एनएससीएन (आईएम) द्वारा संघर्ष विराम समझौता तोड़ने की चेतावनी के बाद केंद्र पर निशाना साधते हुए कांग्रेस ने शुक्रवार को याद दिलाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2015 में इस समझौते को बाजी पलटने वाला बताते हुए इसकी सराहना की थी।
कांग्रेस ने कहा कि ‘‘झांसा देना और शासन करना’’ मोदी की पहचान है’’।
नगा उद्रवादी समूह एनएससीएन (आईएम) ने अलग “ध्वज और संविधान” की मांग नहीं माने जाने पर सरकार के साथ 27 वर्ष पुराना संघर्ष विराम समझौता तोड़ने और “सशस्त्र संघर्ष” की ओर लौटने की चेतावनी दी है।
वर्ष 1947 में भारत की स्वतंत्रता के कुछ समय बाद से नगालैंड में हिंसक उग्रवाद में शामिल समूह ने सरकारी वार्ताकारों के साथ लंबी शांति वार्ता शुरू करने से पहले 1997 में संघर्ष विराम समझौता किया था।
तीन अगस्त, 2015 को एनएससीएन (आईएम) ने स्थायी समाधान खोजने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में सरकार के साथ एक रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘तीन अगस्त, 2015 को ‘नॉन-बायोलॉजिकल’ प्रधानमंत्री ने दावा किया था कि यह कदम बाजी पलटने वाला साबित होगा जो पूर्वोत्तर को बदल देगा। नौ साल बाद भी हम समझौते के विवरण के बारे में अंधेरे में हैं।’’
रमेश ने कहा, ‘‘झांसा देना और शासन करना मोदी की पहचान है।’’
शुक्रवार को जारी एक बयान में समूह के महासचिव और मुख्य राजनीतिक वार्ताकार टी. मुइवा ने कहा कि वह और पूर्व अध्यक्ष दिवंगत इसाक चिशी सू शांतिपूर्ण बातचीत के माध्यम से संघर्ष के समाधान के लिए बातचीत की मेज पर आए थे और सशस्त्र आंदोलन को छोड़कर शांतिपूर्ण राजनीतिक बातचीत के माध्यम से मुद्दे को हल करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्रियों पी. वी. नरसिम्हा राव, एच. डी. देवेगौड़ा, अटल बिहारी वाजपेयी और अन्य की प्रतिबद्धता का भी सम्मान किया।
उन्होंने कहा कि इसके बाद एक अगस्त, 1997 को राजनीतिक वार्ता शुरू हुई और तब से भारत तथा विदेश दोनों में बिना किसी पूर्व शर्त के 600 से अधिक दौर की वार्ता हुई, जिसके परिणामस्वरूप तीन अगस्त, 2015 के रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
मुइवा ने आरोप लगाया कि अधिकारियों और सरकार में नेतृत्व ने नगा "संप्रभु राष्ट्रीय ध्वज और संप्रभु राष्ट्रीय संविधान" को मान्यता देने और स्वीकार करने से इनकार करके रूपरेखा समझौते की भावना के साथ "जानबूझकर विश्वासघात" किया है।
अधिकारियों ने नई दिल्ली में कहा कि एनएससीएन-आईएम के साथ शांति वार्ता फिलहाल आगे नहीं बढ़ रही है, क्योंकि समूह अलग नगा ध्वज और संविधान की मांग पर जोर दे रहा है, जिसे केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया है।
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