अधिकरण के कामकाज में 'गंभीर बाधा' डाल रहा पर्यावरण मंत्रालय : एनजीटी
सिम्मी नेत्रपाल
- 30 Nov 2024, 10:51 AM
- Updated: 10:51 AM
नयी दिल्ली, 30 नवंबर (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने कहा है कि केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय शैक्षणिक संस्थानों में ‘एस्बेस्टस शीट’ के उपयोग के कारण छात्रों के स्वास्थ्य के लिए पैदा होने वाले खतरों के संबंध में ‘‘उचित जवाब’’ न देकर अधिकरण के कामकाज में ‘‘गंभीर बाधा’’ पैदा कर रहा है।
‘एस्बेस्टस’ नामक पदार्थ को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है।
अधिकरण ने कहा कि जुलाई की शुरुआत में हरित इकाई ने मंत्रालय से यह पता लगाने को कहा था कि क्या एस्बेस्टस के इस्तेमाल से छात्रों के लिए पैदा होने वाले खतरे उन औद्योगिक श्रमिकों को होने वाले खतरों से अलग हैं जो एस्बेस्टस संबंधी काम करते हैं।
एनजीटी ने कहा कि अगर स्वास्थ्य संबंधी जोखिम अलग-अलग हैं तो मंत्रालय को वैज्ञानिक अध्ययन करके यह प्रस्तुत करना होगा।
न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद की पीठ ने 26 नवंबर के आदेश में कहा कि मंत्रालय के 24 सितंबर के जवाब में वैज्ञानिक अध्ययन के संबंध में कोई विशिष्ट उत्तर नहीं दिया गया।
पीठ ने कहा कि अगले दिन अधिकरण ने अपने आदेश में मंत्रालय को बहु-विषयक विशेषज्ञों की एक समिति गठित कर अध्ययन करने तथा दो महीने के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
इसने कहा कि मंत्रालय के वकील ने कहा कि 12 सदस्यीय समिति गठित की गई है लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि कोई अध्ययन किया गया या नहीं।
अधिकरण ने अपने पहले के आदेश के अनुपालन के बारे में एनजीटी को अवगत कराने के लिए मंत्रालय के किसी भी अधिकारी के उपस्थित नहीं होने पर गौर किया।
इसने कहा, ‘‘इन तथ्यों और परिस्थितियों में, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से उचित प्रतिक्रिया के अभाव के कारण अधिकरण इस मामले में आगे बढ़ने की स्थिति में नहीं है और यह अधिकरण के कामकाज में पर्यावरण मंत्रालय द्वारा पैदा की गई गंभीर बाधा है।’’
एनजीटी ने कहा, ‘‘इन तथ्यों और परिस्थितियों में कोई अन्य विकल्प न होने के कारण हम पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के एक अधिकारी, जो संयुक्त सचिव के पद से नीचे का न हो और जो इस मुद्दे से अच्छी तरह परिचित हो, को अगली तारीख पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने और यह बताने का निर्देश देने के लिए बाध्य हैं कि 25 सितंबर के आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया, जबकि अधिकरण के आदेश का पालन न करना अपराध है।’’
मामले में आगे की सुनवाई के लिए 17 दिसंबर की तारीख तय की गई।
भाषा सिम्मी