खरीफ सत्र 2024-25 में चावल का उत्पादन रिकॉर्ड 11.99 करोड़ टन रहने का अनुमान
राजेश राजेश अजय
- 05 Nov 2024, 07:03 PM
- Updated: 07:03 PM
नयी दिल्ली, पांच नवंबर (भाषा) कृषि मंत्रालय के मंगलवार को जारी पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार अच्छे मानसून के कारण खरीफ सत्र 2024-25 में भारत का चावल उत्पादन रिकॉर्ड 11 करोड़ 99.3 लाख टन रहने की संभावना है।
सरकारी गोदामों में अधिशेष स्टॉक के बीच रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान लगाया गया है।
चावल का उत्पादन पिछले साल के खरीफ मौसम की तुलना में 66.7 लाख टन अधिक होने का अनुमान है। देशभर में इस मुख्य खरीफ फसल की कटाई चल रही है।
मोटे अनाजों में, मक्का का उत्पादन खरीफ सत्र 2024-25 (जुलाई-जून) में दो करोड़ 45.4 लाख टन के सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंचने का अनुमान है। यह पिछले साल के दो करोड़ 22.4 लाख टन से अधिक है।
ज्वार का उत्पादन बढ़कर 21.9 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि बाजरा उत्पादन घटकर 93.7 लाख टन रहने की संभावना है।
कुल मोटे अनाज का उत्पादन एक साल पहले की समान अवधि के पांच करोड़ 69.3 लाख टन के मुकाबले घटकर तीन करोड़ 78.1 लाख टन रहने का अनुमान है।
मंत्रालय का अनुमान है कि खरीफ सत्र 2024-25 में कुल खाद्यान्न उत्पादन 16.47 करोड़ टन रहेगा, जो पिछले साल के 15 करोड़ 57.6 लाख टन से ज्यादा है।
दालों का उत्पादन 69.7 लाख टन की तुलना में लगभग स्थिर 69.5 लाख टन रहने की उम्मीद है, जबकि तिलहन उत्पादन दो करोड़ 41.6 लाख टन से बढ़कर दो करोड़ 57.4 लाख टन रहने की संभावना है।
भारत दालों और तिलहन की घरेलू कमी को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है।
नकदी फसलों में, गन्ने का उत्पादन पिछले साल के 45 करोड़ 31.5 लाख टन से घटकर 43 करोड़ 99.3 लाख टन रहने का अनुमान है।
कपास का उत्पादन तीन करोड़ 25.2 लाख गांठ के मुकाबले घटकर दो करोड़ 99.2 लाख गांठ (170 किलोग्राम प्रत्येक) रहने का अनुमान है, जबकि जूट/मेस्ता उत्पादन 96.9 लाख गांठ से घटकर 84.5 लाख गांठ (180 किलोग्राम प्रत्येक) रह सकता है।
मंत्रालय ने पहली बार डिजिटल कृषि मिशन के तहत डिजिटल फसल सर्वेक्षण (डीसीएस) आंकड़ों का उपयोग करके क्षेत्र के लिए अनुमान तैयार किया है, जिसने मैनुअल गिरदावरी प्रणाली की जगह ले ली।
मंत्रालय ने कहा कि डीसीएस ने खरीफ 2024 में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और ओडिशा के सभी जिलों को कवर किया, जिससे ‘‘विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में चावल के तहत रकबे में पर्याप्त वृद्धि हुई।’’
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