दस लाख से कम कीमत वाली कारों की बिक्री घटना चिंता का कारण: मारुति सुजुकी चेयरमैन
रमण अजय
- 29 Oct 2024, 07:44 PM
- Updated: 07:44 PM
नयी दिल्ली, 29 अक्टूबर (भाषा) मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) के चेयरमैन आर सी भार्गव ने मंगलवार को कहा कि 10 लाख रुपये से कम कीमत वाली कारों की बिक्री घटना चिंता का विषय है। एक समय कुल बिक्री में इन कारों की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत होती थी, लेकिन अब यह लगातार घट रही है।
उन्होंने कहा कि इसका कारण लोगों के पास खर्च योग्य आय का कम होना है।
भार्गव ने कहा, ‘‘कुल मिलाकर इस खंड में बिक्री में कमी के कारण कार बाजार में समग्र वृद्धि नहीं हो रही है। बाजार में इस स्तर में वृद्धि को वापस लेने के लिए लोगों के पास अधिक खर्च योग्य आय की आवश्यकता है। हालांकि, कंपनी को उम्मीद है कि त्योहारों के दौरान कुल खुदरा बिक्री में 14 प्रतिशत की वृद्धि होगी।’’
उन्होंने तिमाही नतीजों पर संवाददाताओं से ‘कॉन्फ्रेंस कॉल में कहा, ‘‘ सचाई यह है कि 10 लाख रुपये से कम के दाम वाली कारों का बाजार नहीं बढ़ रहा है। वास्तव में, यह घट रहा है। यह चिंता की बात है क्योंकि जब तक बाजार के इस खंड में वृद्धि नहीं होती, समग्र वृद्धि पर असर होगा।’’
सियाम (सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैनुफैक्चरर्स) के आंकड़ों के अनुसार बाजार में 10 लाख रुपये कम कीमत वाले कारों की हिस्सेदारी 2018-19 में 80 प्रतिशत थी। उस दौरान यात्री वाहनों की थोक बिक्री भारत में 33,77,436 इकाई थी।
दस लाख रुपये से कम के यात्री वाहनों की हिस्सेदारी अब बाजार में 50 प्रतिशत से भी कम है। वित्त वर्ष 2023-24 में, देश में यात्री वाहनों की थोक बिक्री 42,18,746 इकाइयों की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गयी थी।
भार्गव ने कहा, ‘‘इस खंड का बाजार फिलहाल नहीं बढ़ रहा है। यह चिंता का कारण है...सचाई यह है कि वृद्धि केवल महंगी कारों में हो रही है। मुझे लगता है कि इससे मुझे बहुत ज्यादा खुशी नहीं मिलती।’’
उनसे यह पूछा गया था कि क्या घरेलू यात्री वाहन बाजार में नरमी चिंता का कारण है।
मारुति सुजुकी इंडिया परंपरागत रूप से छोटी और कॉम्पैक्ट कार बाजार में अगुवा रही है। लेकिन अब 10 लाख रुपये से कम कीमत वाले वाहन खंड में बिक्री नहीं बढ़ रही है।
यह पूछे जाने पर कि 10 लाख रुपये से कम दाम के वाहनों की बिक्री में गिरावट का कारण क्या है और लोग उस श्रेणी में कार क्यों नहीं खरीद रहे हैं, उन्होंने कहा, इसका कारण ‘किफायत’ का मामला है। खर्च योग्य आय कम होने के कारण लोग खरीद नहीं पा रहे हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या इस क्षेत्र में बिक्री को बढ़ावा देने के लिए सरकार से कुछ प्रोत्साहन की आवश्यकता है, उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि क्या आवश्यक है, लेकिन हमें ऐसे लोगों की जरूरत है जिनके पास अधिक खर्च योग्य आय हो।’’
भार्गव ने त्योहारों के दौरान बिक्री के बारे में कहा कि यह ‘काफी अच्छी’ रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘श्राद्ध समाप्त होने से लेकर दिवाली के अंत तक पिछले साल की समान अवधि की तुलना में हमारी खुदरा बिक्री में लगभग 14 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है।’’
भाषा रमण