पीएसी की बैठक में नहीं पहुंचीं सेबी प्रमुख, वेणुगोपाल के खिलाफ भाजपा ने लोस अध्यक्ष से शिकायत की
हक प्रशांत
- 24 Oct 2024, 09:14 PM
- Updated: 09:14 PM
नयी दिल्ली, 24 अक्टूबर (भाषा) भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधवी पुरी बुच के बृहस्पतिवार को संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के समक्ष उपस्थित होने में असमर्थता जताने के कारण समिति के प्रमुख के.सी. वेणुगोपाल ने इसकी बैठक स्थगित कर दी।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने वेणुगोपाल पर एकतरफा तरीके से निर्णय लेने और असंसदीय आचरण करने का आरोप लगाते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से शिकायत की।
समिति की यह दूसरी बैठक थी और इसमें भी गतिरोध बना रहा। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के प्रमुख कुछ देर के लिए उपस्थित हुए। राजग के सदस्य यह मांग करते रहे कि वेणुगोपाल नियामक निकायों के प्रमुखों को बुलाने जैसे एजेंडे पर मतदान की अनुमति दें। कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के सांसदों ने सत्तापक्ष के सदस्यों की मांग का विरोध किया।
सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य वेणुगोपाल ने इस बात पर जोर दिया कि समिति द्वारा पहले ही अनुमोदित विषयों पर कोई मतदान नहीं हो सकता है। इससे बुच को फिर से बुलाने की संभावना खुली रहेगी।
सूत्रों ने कहा कि बुच ने पीएसी अध्यक्ष को लिखे अपने एक पत्र में हिंडनबर्ग मुद्दे का भी जिक्र किया और कुछ बातों का उल्लेख किया। समिति के कुछ सदस्य आश्चर्यचकित रह गए क्योंकि समिति ने अब तक इस विवादास्पद मुद्दे का कोई आधिकारिक उल्लेख नहीं किया गया है।
बैठक के दौरान भाजपा सदस्य निशिकांत दुबे ने संसदीय नियमों का हवाला देते हुए समिति द्वारा अपने वार्षिक एजेंडे के लिए चुने गए 161 विषयों में से पांच को हटाने का प्रस्ताव पेश किया और मतदान का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि ये विषय पीएसी के दायरे से बाहर हैं।
समिति में भाजपा के नेतृत्व वाले राजग के सदस्यों का बहुमत है। समिति के अध्यक्ष ने अपनी शक्तियों का हवाला देते हुए प्रस्ताव की अनुमति नहीं दी और प्रतीक्षा कर रहे ट्राई के अध्यक्ष अनिल कुमार लाहोटी को उपस्थित होने के लिए बुलाया।
इसके बाद सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्यों के लगातार विरोध के बीच उन्होंने बैठक रद्द कर दी।
समिति की बैठक सुबह 11 बजे जैसे ही शुरू हुई, दोनों पक्षों के बीच तीखी नोकझोंक हुई। वेणुगोपाल ने शोर-शराबे के बीच ही बुच का पत्र पढ़कर सुनाया और कार्यवाही तुरंत स्थगित कर दी।
वेणुगोपाल का कहना था कि बुच की तरफ से आज सुबह साढ़े नौ बजे सूचित किया कि वह निजी कारणों के चलते पीएसी की बैठक में शामिल नहीं हो सकेंगी, जिसके बाद बैठक को स्थगित करने का फैसला किया गया।
वेणुगोपाल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘समिति की पहली बैठक में हमने फैसला किया था कि पहले विषय के रूप में हमारी नियामक संस्थाओं की समीक्षा की जाए। इसलिए हमने आज सेबी की प्रमुख को इस संस्था की समीक्षा के लिए बुलाया था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सबसे पहले, समिति के समक्ष पेश होने से सेबी प्रमुख के लिए छूट की मांग की गई जिससे हमने इनकार कर दिया। इसके बाद, उन्होंने पुष्टि की थी कि वह समिति के समक्ष पेश होंगी। आज सुबह साढ़े नौ बजे सेबी प्रमुख और इसके अन्य सदस्यों की ओर से सूचित किया गया कि निजी कारणों से वह दिल्ली की यात्रा नहीं कर सकतीं।’’
वेणुगोपाल ने कहा कि एक महिला के आग्रह को ध्यान में रखते हुए बृहस्पतिवार की बैठक को स्थगित करने का फैसला किया गया।
भाजपा सदस्यों का आरोप है कि वेणुगोपाल ने ‘‘स्वत: संज्ञान’’ लेते हुए बैठक स्थगित करने का फैसला किया और इस संबंध में उनकी राय नहीं ली।
भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘‘यह बहुत बड़ा विषय है। उनका कहना है कि स्वत: संज्ञान लेते हुए फैसला किया गया। आपने कैसे निर्णय लिया? पीएसी का काम सीएजी (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) रिपोर्ट पर विचार-विमर्श करना है।’’
उन्होंने कहा कि अलग-अलग संस्थाओं के कामकाज को देखने के लिए संबंधित विभागों की स्थायी समितियां हैं।
प्रसाद ने कहा, ‘‘हमें विश्वस्त सूत्रों से यह जानकारी मिली है कि सीएजी रिपोर्ट में सेबी के बारे में कोई पैराग्राफ नहीं है।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि पीएसी प्रमुख का आचरण पूरी तरह से असंसदीय है।
बाद में, भाजपा और उसके कुछ सहयोगी दलों के नेताओं ने वेणुगोपाल के आचरण को लेकर लोकसभा अध्यक्ष के समक्ष विरोध दर्ज कराया।
पीएसी की बैठक के एजेंडे में ‘‘संसद के अधिनियम द्वारा स्थापित नियामक निकायों के कामकाज की समीक्षा’’ के लिए समिति के निर्णय के हिस्से के रूप में वित्त मंत्रालय और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के प्रतिनिधियों के मौखिक साक्ष्य शामिल थे।
इस एजेंडे में संचार मंत्रालय और भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण के प्रतिनिधियों के मौखिक साक्ष्य भी शामिल थे।
एजेंडे में कानून द्वारा स्थापित नियामक निकायों के कामकाज की समीक्षा को शामिल करने के समिति के फैसले का कोई विरोध नहीं था। लेकिन, बुच को बुलाने का वेणुगोपाल का निर्णय सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्यों को पसंद नहीं आया।
बुच अमेरिकी संस्था ‘हिंडनबर्ग’ के आरोपों से उत्पन्न हुए राजनीतिक विवाद के केंद्र में रही हैं।
बुच के खिलाफ अमेरिकी शॉर्ट-सेलर कंपनी ने हितों के टकराव के आरोप लगाए थे जिसके बाद कांग्रेस ने उन पर और सरकार पर तीखे हमले किए थे।
भाषा हक