‘‘मान ली गई सहमति’’ से मरणोपरांत कॉर्निया दान के सुझाव पर विचार कर रहा एनओटीटीओ : निदेशक
हर्ष रंजन
- 24 Oct 2024, 09:11 PM
- Updated: 09:11 PM
इंदौर (मध्यप्रदेश), 24 अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (एनओटीटीओ) के एक शीर्ष अधिकारी ने बृहस्पतिवार को कहा कि इस सुझाव पर विचार किया जा रहा है कि अगर किसी मरीज की अस्पताल में मौत होती है, तो उसकी ‘‘मान ली गई सहमति’’ के आधार पर उसका कॉर्निया दान किए जाने की कानूनी व्यवस्था बनाई जाए।
अधिकारी ने अंधत्व निवारण के लिए कॉर्निया दान को बढ़ावा दिए जाने की अहम जरूरत को रेखांकित करते हुए यह बात कही।
एनओटीटीओ के निदेशक डॉ. अनिल कुमार ने इंदौर में एक कार्यशाला के दौरान संवाददाताओं को बताया, ‘‘हमें अपने एक चिंतन शिविर में सुझाव मिला है कि अस्पताल में इलाज के दौरान किसी व्यक्ति की मौत होने पर उसकी मान ली गई सहमति के आधार पर उसका कॉर्निया दान किए जाने की कानूनी व्यवस्था बनाई जाए।’’
कुमार ने कहा, ‘‘सुझाव में यह भी कहा गया है कि अगर इस व्यक्ति ने अपनी मौत से पहले कॉर्निया दान के लिए लिखित रूप से इनकार किया हो, तो उसकी इच्छा के मुताबिक उसका (मरणोपरांत) कॉर्निया दान नहीं किया जाए।"
उन्होंने बताया कि एनओटीटीओ इस सुझाव पर विचार कर रहा है, लेकिन इसे अमली जामा पहनाने के लिए मानव अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम में बदलाव करना होगा।
एनओटीटीओ निदेशक ने बताया कि फिलहाल किसी व्यक्ति के दिमागी रूप से मृत होने के बाद उसके अलग-अलग अंगों या कॉर्निया जैसे ऊतकों के दान के लिए मृतक के परिवार की सहमति कानूनन अनिवार्य है।
उन्होंने रेखांकित किया कि देश में कॉर्निया की बीमारियों के चलते अंधापन बड़ी समस्या है और एक अनुमान के मुताबिक हर साल प्रत्यारोपण के लिए कम से कम एक लाख कॉर्निया की जरूरत होती है।
कुमार ने कॉर्निया प्रत्यारोपण की मौजूदा व्यवस्था में पारदर्शिता की कमी की बात स्वीकार की। उन्होंने कहा,‘‘हम चाहते हैं कि देश के सारे नेत्र बैंक और कॉर्निया प्रत्यारोपण केंद्र एनओटीटीओ की रजिस्ट्री से जुड़ें और इसमें मरीजों की जानकारी दर्ज करें। इसके लिए हमने देश की सभी प्रदेश सरकारों को पत्र भी लिखा है।’’
कुमार ने यह भी बताया कि देश के करीब 650 अंग प्रत्यारोपण केंद्र एनओटीटीओ से जुड़े हैं जिनमें महज 15 प्रतिशत सरकारी क्षेत्र के हैं।
एनओटीटीओ निदेशक ने कहा,‘‘हम चाहते हैं कि सरकारी अस्पतालों में अंगदान और अंग प्रत्यारोपण को बढ़ावा दिया जाए। लेकिन सरकारी अस्पतालों में अंग प्रत्यारोपण के लिए प्रशिक्षित कार्य बल की कमी एक बड़ी समस्या है।’’
उन्होंने कहा कि एनओटीटीओ हर राज्य के कम से कम एक सरकारी अस्पताल में अलग-अलग अंगों के प्रत्यारोपण की सुविधा वाला केंद्र शुरू कराने का प्रयास कर रहा है।
भाषा हर्ष