मोदी ने ऊर्जा सुरक्षा के लिए पश्चिम एशिया को बताया महत्वपूर्ण
प्रेम प्रेम रमण
- 04 Oct 2024, 09:59 PM
- Updated: 09:59 PM
(तस्वीरों के साथ)
नयी दिल्ली, चार अक्टूबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव और रूस-यूक्रेन युद्ध का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए कहा कि ये दोनों क्षेत्र वैश्विक अर्थव्यवस्था और ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं।
उनकी यह टिप्पणी पश्चिम एशिया में संघर्ष के तीव्र होने की आशंकाओं के बीच आई है। ईरान के हमले के बाद इजरायल की तरफ से जवाबी कार्रवाई करने और फिर संघर्ष बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है। ऐसा होने पर कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आ सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने यहां 'कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन' के तीसरे संस्करण को संबोधित करते हुए घरेलू मोर्चे पर भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने में मदद करने के लिए संरचनात्मक सुधारों को जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई।
उन्होंने किसी देश का नाम लिए बगैर कहा, "यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब दुनिया के दो बड़े क्षेत्र युद्ध जैसी स्थिति के करीब हैं। ये दो बड़े क्षेत्र वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ ऊर्जा सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।"
भारत अपनी 85 प्रतिशत से अधिक पेट्रोलियम जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर है। कच्चे तेल और गैस का बड़ा हिस्सा पश्चिम एशिया से आयात किया जाता है लिहाजा इजराइल-ईरान संघर्ष लंबा खिंचने पर आपूर्ति प्रभावित हो सकती है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा, "इन बड़ी वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच हम सभी यहां 'भारतीय युग' को देख रहे हैं, भारत पर चर्चा कर रहे हैं। यह भारत के प्रति विश्वास को दर्शाता है। चाहे विज्ञान, प्रौद्योगिकी या नवाचार हो, भारत स्पष्ट रूप से एक अच्छी स्थिति में है। ‘सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन’ के आदर्श वाक्य के साथ हम भारत को आगे ले जाने के लिए फैसले ले रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि भारत आज सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था है और सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) के मामले में भारत पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल में 'साहसिक नीतिगत बदलाव' किए हैं और नौकरियों एवं कौशल को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने भारत को उच्च वृद्धि पथ पर आगे बढ़ने में मदद करने के लिए टिकाऊ वृद्धि और नवाचार पर ध्यान केंद्रित किया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सरकार ने अपने पहले तीन महीनों में 15 लाख करोड़ रुपये के निवेश वाली योजनाओं के बारे में फैसले किए हैं।
मोदी ने कहा, "आज भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत बड़े रूपांतरकारी बदलाव से गुजर रही है। मजबूत आर्थिक बुनियाद के आधार पर भारतीय अर्थव्यवस्था निरंतर उच्च वृद्धि की राह पर है। आज भारत केवल शीर्ष पर पहुंचने के लिए नहीं बल्कि शीर्ष पर बने रहने के लिए तैयारी कर रहा है। हर क्षेत्र में अपार अवसर हैं।"
उन्होंने कहा कि वैश्विक नेता और वित्तीय विशेषज्ञ भारत की वृद्धि को लेकर आशावादी नजरिया रखते हैं और निवेशकों का मानना है कि भारत में निवेश करने का यह सही समय है।
मोदी ने कहा, "यह संयोग नहीं है। बल्कि यह पिछले दशक में भारत में हुए सुधारों का परिणाम है।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि 'पीएम इंटर्नशिप योजना' के पोर्टल पर 111 कंपनियों ने पंजीकरण कराया है। बजट में घोषित इस योजना का उद्देश्य युवाओं को कंपनियों में इंटर्नशिप दिलाने में मदद करना है।
उन्होंने कहा कि भारत सेमीकंडक्टर विनिर्माण संयंत्र लगा रहा है और जल्द ही 'मेड इन इंडिया' चिप्स दुनिया भर में उपलब्ध होंगे। विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए भारत ने उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना शुरू की, जिससे 1.25 लाख करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित हुआ।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की वृद्धि गाथा में 'समावेश की भावना' एक और उल्लेखनीय कारक है। उन्होंने कहा कि वृद्धि के साथ समावेश भी होता है। इसके परिणामस्वरूप पिछले 10 वर्षों में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं।
उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार ने बैंक व्यवस्था को मजबूत किया है, जीएसटी लागू किया है, दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता लेकर आई है, निजी निवेश के लिए खनन एवं रक्षा क्षेत्र को खोला है, विदेशी निवेश नियमों को अधिक उदार बनाया है और अनुपालन बोझ को भी कम किया है।
भाषा प्रेम प्रेम