मुख्यमंत्री की पत्नी के भूखंडों को वापस लेने का फैसला ‘सबूतों को नष्ट करने जैसा’ : कुमारस्वामी
शफीक अविनाश
- 02 Oct 2024, 07:57 PM
- Updated: 07:57 PM
बेंगलुरु, दो अक्टूबर (भाषा) जनता दल (सेक्युलर) के नेता और केंद्रीय मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती को आंवटित 14 भूखंडों को वापस लेने के एमयूडीए के फैसले पर बुधवार को सवाल उठाया और कहा कि ‘‘ये सबूतों को नष्ट करने के समान’’ है।
उन्होंने मांग की कि मामले की जांच कर रही लोकायुक्त पुलिस इस फैसले के लिए एमयूडीए के आयुक्त को गिरफ्तार करे।
भाजपा की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने भी मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) आयुक्त के फैसले पर आश्चर्य व्यक्त किया और इसे ‘‘अवैध’’ करार दिया।
मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती बी.एम. द्वारा भूखंड लौटाने की पेशकश के बाद एमयूडीए ने मंगलवार को उनको आवंटित 14 भूखंडों को वापस लेने का फैसला किया। एमयूडीए ने इन भूखंडों के बैनामा को रद्द करने का आदेश दिया है।
सोमवार को ईडी ने मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के खिलाफ एमयूडीए द्वारा उनकी पत्नी को 14 भूखंडों के आवंटन में कथित अनियमितताओं को लेकर मामला दर्ज किया था। ईडी ने मुख्यमंत्री और अन्य के खिलाफ पीएमएलए की संबंधित धाराओं में मामला दर्ज किया है।
ईडी द्वारा मामला दर्ज किए जाने के कुछ घंटों बाद पार्वती ने एमयूडीए को पत्र लिखकर 14 भूखंडों का स्वामित्व और कब्जा छोड़ने की पेशकश की थी।
कुमारस्वामी ने मुख्यमंत्री सिद्धरमैया पर सत्ता का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया।
कुमारस्वामी ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘उच्च न्यायालय में उन्होंने (सिद्धरमैया) कहा है कि ये जमीन उनके परिवार की हैं... विशेष जनप्रतिनिधि अदालत ने लोकायुक्त जांच का आदेश दिया है। संपत्ति अब अदालत के अधीन है...वे (मुख्यमंत्री का परिवार) कैसे कह सकते हैं कि वे जमीन वापस देना चाहते हैं, ये जमीनें किसकी हैं। वे कैसे वापस दे सकते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगर लोकायुक्त जांच में पारदर्शिता है तो उन्हें एमयूडीए आयुक्त को तुरंत गिरफ्तार करना चाहिए। एमयूडीए आयुक्त के पास भूखंड वापस लेने का अधिकार कैसे है? दलीलें सुनने के बाद अदालत ने अपना आदेश दिया है, उसके बाद उन्होंने (मुख्यमंत्री के परिवार ने) भूखंड वापस करने का नाटक किया है। किस आधार पर या किस अधिकार के तहत भूखंड वापस लिए गए हैं।’’
भाषा शफीक