जम्मू-कश्मीर में ‘अपनी सरकार’ बनाने के लिए मतदाताओं में दिखा उत्साह
शफीक दिलीप
- 01 Oct 2024, 08:58 PM
- Updated: 08:58 PM
जम्मू, एक अक्टूबर (भाषा) शहर की संकरी गलियों से लेकर पाकिस्तान की सीमा के पास फैले खेतों तक, जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के तीसरे और अंतिम चरण में मंगलवार को मतदाता लगभग छह साल के केंद्रीय शासन के बाद ‘‘अपनी सरकार’’ चुनने के लिए पूरे उत्साह के साथ मतदान केंद्रों पर उमड़े।
राज्य का दर्जा बहाल करना, भूमि और नौकरियों की सुरक्षा, मादक पदार्थों का खतरा और बढ़ती बेरोजगारी जैसे मुद्दों को मतदाताओं ने प्राथमिकता दी, जिन्होंने जम्मू क्षेत्र के जम्मू, उधमपुर, कठुआ और सांबा जिलों के 24 विधानसभा क्षेत्रों में अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
जम्मू के सुदूर पहाड़ी क्षेत्रों में आतंकवादी हमलों में हाल में हुई वृद्धि भी ग्रामीण क्षेत्रों में मतदाताओं के उत्साह को कम करने में विफल रही, जहां आधे दिन तक मतदान प्रतिशत 50 प्रतिशत के आंकड़े को पार कर चुका था। यह पुलिस और अर्धसैनिक बलों द्वारा मतदाताओं में पैदा की गई सुरक्षा की भावना को दर्शाता है।
भारत और पाकिस्तान के बीच जारी संघर्ष विराम के मद्देनजर सीमावर्ती क्षेत्रों के निवासियों ने भी शांतिपूर्ण माहौल में मतदान किया तथा कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की खबर नहीं आई।
पुराने शहर के एक व्यवसायी अमित खजूरिया ने कहा, ‘‘एक लोकप्रिय सरकार होना एक ऐसी चीज है, जिसकी हमें बहुत लंबे समय से कमी महसूस हो रही है। पिछला विधानसभा चुनाव 2014 में हुआ था और इसलिए हम 10 साल में पहली बार अपनी सरकार के लिए मतदान कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि जून 2018 में तत्कालीन पीडीपी-भाजपा सरकार के गिरने के बाद उन्हें कई तरह की स्थितियों का सामना करना पड़ा।
खजूरिया ने कहा, ‘‘हम उपराज्यपाल के नेतृत्व वाले प्रशासन की दया पर थे लेकिन अब सब कुछ बदलने जा रहा है और हमारे पास एक ऐसी सरकार होगी, जो हमारी आकांक्षाओं को ध्यान में रखेगी।’’
गृहिणी पिंकी शर्मा ने कहा कि उन्होंने ‘‘नौकरशाही शासन से मुक्ति’’ के लिए मतदान किया। क्षेत्र में शांति, समृद्धि और विकास के लिए वोट डालने के बाद उन्होंने कहा, ‘‘बेरोजगारी, मादक पदार्थों का खतरा और महंगाई जैसे कई मुद्दे हैं। हमें उम्मीद है कि नई सरकार इन मुद्दों पर काबू पा लेगी।’’
व्हीलचेयर पर मतदान करने पहुंचीं कुमारी मंजू ने कठुआ के बानी निर्वाचन क्षेत्र में अपने गांव के पास एक मतदान केंद्र पर अपना वोट डाला। मंजू ने 1994 में एक आतंकवादी हमले में अपना एक पैर खो दिया था।
मंजू ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘मैं अपनी सरकार के लिए अपना वोट डालने में खुश और उत्साहित महसूस कर रही हूं। यह हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है और हमें उम्मीद है कि जो लोग जीतेंगे, वे जनता की उम्मीदों पर खरा उतरेंगे और लोगों को राहत प्रदान करने के लिए ईमानदारी से काम करेंगे।’’
कठुआ जिले के बिलावर निवासी मोहम्मद लतीफ ने कहा कि विधानसभा चुनाव के लिए लंबा इंतजार आखिरकार खत्म हो गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास उपराज्यपाल के नेतृत्व वाले प्रशासन की जगह एक लोकप्रिय सरकार होगी...उपराज्यपाल का दरवाजा खटखटाने की तुलना में निर्वाचित विधायक से संपर्क करना कहीं अधिक आसान है।’’
भाषा शफीक