वैज्ञानिकों ने चूहों के आर-पार देखने का तरीका खोजा - भविष्य में क्या मनुष्य हो सकते हैं अदृश्य
माधव
- 28 Sep 2024, 05:34 PM
- Updated: 05:34 PM
(टिमोथी हर्न, एंग्लिया रस्किन विश्वविद्यालय)
कैंब्रिज, 28 सितंबर (द कन्वरसेशन) कल्पना कीजिए कि आप अपनी त्वचा के आर-पार और अपनी मांसपेशियों या अंगों को क्रियाशील देख पा रहे हैं। यह विज्ञान कथा जैसा लगता है, लेकिन स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के एक समूह ने हाल में जीवित चूहों की त्वचा को प्रकाश की कुछ खास स्थितियों में पारदर्शी बनाने में सफलता प्राप्त की है।
इस सफलता ने निस्संदेह जैविक अनुसंधान और मेडिकल इमेजिंग में नयी संभावनाओं को खोल दिया है। उन्होंने यह कैसे किया, और क्या इससे मनुष्य भी कभी अदृश्य हो सकता है?
हम जब वस्तुओं को देखते हैं, तो प्रकाश उनसे परावर्तित होता है, जिससे हमारी आंखें वस्तुएं और रंगों को देख पाती हैं। हालांकि, त्वचा जैसे उत्तक अलग-अलग तरह से व्यवहार करते हैं क्योंकि इसमें पानी, प्रोटीन और लिपिड (वसा) जैसी चीजें शामिल होती हैं, जो सभी अलग-अलग कोणों पर प्रकाश को मोड़ देती हैं। इसका मतलब यह है कि प्रकाश को त्वचा द्वारा छितरा दिया गया है, जिससे हम बिना सर्जरी के शरीर के अंदर गहराई तक देख सकते हैं।
इस समस्या से निपटने के लिए, वैज्ञानिकों ने पिछले कुछ वर्षों में दो-फोटोन माइक्रोस्कोपी और निकट-अवरक्त प्रतिदीप्ति (नियर इंफ्रारेड फ्लोरोसेंस) जैसी अधिक परिष्कृत इमेजिंग तकनीकें विकसित की हैं। लेकिन उन्हें अक्सर हानिकारक रसायनों की आवश्यकता होती है या वे केवल मृत ऊतकों पर काम करते हैं। इसके बजाय, लक्ष्य जीवित जीवों में सुरक्षित पारदर्शिता प्राप्त करने का एक तरीका खोजना रहा है।
स्टैनफोर्ड के अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने एक आश्चर्यजनक उपकरण का उपयोग किया: खाद्य रंग। टार्ट्राजिन (जिसे ई102 के रूप में भी जाना जाता है), एक पीला खाद्य रंग है जो शीतल पेय में पाया जाता है। इसमें एक अनोखा गुण है। जब इसे पानी में घोलकर त्वचा के ऊतकों पर लगाया जाता है, तो यह जैविक पदार्थ के साथ प्रकाश के संपर्क के तरीके को बदल देता है।
यह प्रकाश अवशोषण और अपवर्तन की भौतिकी में निहित है, जिसे विशेष रूप से "क्रेमर्स-क्रोनिग संबंध" कहा जाता है, जो वर्णन करता है कि कैसे पदार्थ विभिन्न तरंगदैर्ध्य में प्रकाश के साथ अंतःक्रिया करते हैं।
पानी में टार्ट्राजीन मिलाकर और इसे बेहोश किये गये जीवित चूहों के ऊतकों पर लगाने से, शोधकर्ता ऊतक में पानी के अपवर्तनांक को बदलने में सफल रहें, जिसका मतलब है कि यह प्रकाश को किस हद तक मोड़ता है। इससे इसका अपवर्तनांक लिपिड के करीब आ गया, जिससे प्रकाश चूहों की त्वचा से होकर अधिक आसानी से गुजरने लगा और उनके आर-पार देखा जा सका।
यह खोज क्रांतिकारी हो सकती है। कल्पना कीजिए कि बिना किसी सर्जरी प्रक्रिया के अंग के कामकाज की निगरानी करना या रक्त निकालने के लिए नस को ठीक से देखना संभव हो। यह इस बात को समझने में भी सफलता का मार्ग प्रशस्त कर सकता है कि रोग सूक्ष्म स्तर पर शरीर को कैसे प्रभावित करते हैं।
अगला पड़ाव, अदृश्यता?
यह सब जितना भी दिलचस्प है, मनुष्य को पूरी तरह से अदृश्य बनाना कई कारणों से असंभव है।
पहला यह कि, स्टैनफोर्ड के अध्ययन में प्राप्त पारदर्शिता स्पष्ट रूप से पूर्ण अदृश्यता नहीं है। और चूंकि टार्ट्राजीन प्रकाश को ऊतकों से गुजरने देता है, यह प्रकाश की विशिष्ट तरंगदैर्ध्य के साथ सबसे अच्छा काम करता है, मुख्य रूप से स्पेक्ट्रम के लाल और अवरक्त क्षेत्रों में।
इसका मतलब है कि प्रकाश की सामान्य स्थितियों के तहत, चूहे वास्तव में अदृश्य नहीं होंगे। हालांकि, डिजाइन किए गए विशिष्ट इमेजिंग उपकरणों के तहत वे पारदर्शी हैं।
दूसरा, यह पारदर्शिता केवल उन ऊतकों को प्रभावित करती है जहां डाई लगाई गई है, और फिर भी यह इस बात पर निर्भर करता है कि डाई कितनी गहराई तक प्रवेश कर सकती है। मानव शरीर चूहों की तुलना में काफी जटिल है और त्वचा अपेक्षाकृत अधिक मोटी है। मानव को पारदर्शी बनाने के लिए एक अलग स्तर के अनुप्रयोग और प्रौद्योगिकी की आवश्यकता होगी।
तो क्या मानव अदृश्य हो सकता है? जैसा हम फिल्मों में देखते हैं, वैसा तो नहीं। लेकिन भविष्य में हम ऐसे और विकास देख सकते हैं जो जीवों में पारदर्शिता की संभावनाओं को आगे बढ़ाएंगे।
(द कन्वरसेशन) सुभाष