एडीबी ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के वृद्धि दर के अनुमान को सात प्रतिशत पर कायम रखा
निहारिका अजय
- 25 Sep 2024, 03:20 PM
- Updated: 03:20 PM
नयी दिल्ली, 25 सितंबर (भाषा) एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत के वृद्धि दर के अनुमान को सात प्रतिशत पर बरकरार रखा है।
एडीबी ने बुधवार को कहा कि बेहतर कृषि उत्पादन तथा उच्च सरकारी खर्च से आगामी तिमाहियों में अर्थव्यवस्था में तेजी आने की उम्मीद है।
सितंबर के अपने एशियाई विकास परिदृश्य (एडीओ) में एडीबी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2024-25 में निर्यात पूर्व के अनुमान से अधिक रहेगा, जिसका श्रेय सेवाओं के निर्यात में वृद्धि को जाता है। हालांकि, अगले वित्त वर्ष 2025-26 में वस्तु निर्यात वृद्धि अपेक्षाकृत धीमी रहेगी।
एडीबी ने कहा, ‘‘ वित्त वर्ष 2024-25 (31 मार्च, 2025 को समाप्त वर्ष) में जीडीपी वृद्धि सात प्रतिशत और वित्त वर्ष 2025-26 में 7.2 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। दोनों ही अनुमान अप्रैल, 2024 के समान हैं। साथ ही भारत की वृद्धि संभावनाएं मजबूत बनी हुई हैं।’’
भारतीय अर्थव्यवस्था गत वित्त वर्ष 2023-24 में 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान लगाया है।
इसमें कहा गया, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि धीमी होकर 6.7 प्रतिशत रह गई, लेकिन कृषि क्षेत्र में सुधार तथा उद्योग व सेवाओं के लिए काफी हद तक मजबूत परिदृश्य से आने वाली तिमाहियों में इसमें तेजी आने की उम्मीद है।
एडीबी के भारत के निदेशक मियो ओका ने कहा, ‘‘ भारत की अर्थव्यवस्था ने वैश्विक भू-राजनीतिक चुनौतियों के बीच उल्लेखनीय जुझारु क्षमता दिखाई है और यह स्थिर वृद्धि के लिए तैयार है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ कृषि सुधारों से ग्रामीण व्यय में वृद्धि होगी, जो उद्योग तथा सेवा क्षेत्रों के मजबूत प्रदर्शन के प्रभावों के अनुरूप है।’’
रिपोर्ट में कहा गया, देश के अधिकतर हिस्सों में औसत से अधिक मानसून से कृषि क्षेत्र में मजबूत वृद्धि होगी जिससे वित्त वर्ष 2024-25 में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।’’
रिपोर्ट में निजी उपभोग में सुधार की भी उम्मीद जताई गई है। इसकी प्रमुख वजह मजबूत कृषि से प्रेरित ग्रामीण मांग तथा पहले से ही मजबूत शहरी मांग रहेगी।
निजी निवेश का परिदृश्य सकारात्मक है, लेकिन सार्वजनिक पूंजीगत व्यय में वृद्धि, जो अब तक ऊंची रही है अगले वित्त वर्ष में धीमी हो जाएगी।
इसमें कहा गया, श्रमिकों तथा कंपनियों को रोजगार से जुड़े प्रोत्साहन की पेशकश करने वाली हाल ही में घोषित नीति से श्रम मांग को बढ़ावा मिल सकता है और अगले वित्त वर्ष में रोजगार के अधिक अवसर सृजित हो सकते हैं।
उद्योग तथा सेवाओं का प्रदर्शन लगातार मजबूत रहने की उम्मीद है। मजबूत सेवा निर्यात और विदेश में रहने वाले भारतीयों द्वारा भेजे गए धन (रेमिटेंस) की वजह से चालू खाते का घाटा (कैड) कम रहेगा।
खाद्य पदार्थों की बढ़ी हुई कीमतों से चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति के पहले के अनुमान से अधिक रहने की आशंका है, हालांकि अगले वित्त वर्ष में इसके कम होने की उम्मीद है।
भाषा निहारिका