तीनों सेनाओं की सर्वोत्तम प्रथाओं को शामिल किया जाएगा: सीडीएस ने सशस्त्र बलों के एकीकरण पर कहा
पारुल नेत्रपाल
- 16 Nov 2025, 07:44 PM
- Updated: 07:44 PM
नयी दिल्ली, 16 फरवरी (भाषा) प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने सशस्त्र बलों के एकीकरण की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा है कि इस प्रक्रिया के दौरान सेना का प्रत्येक अंग ‘‘अपनी खुद की पहचान’’ बनाए रखेगा और उसकी सर्वोत्तम प्रथाओं को शामिल किया जाएगा।
जनरल चौहान ने यहां शनिवार को आयोजित एक संवाद सत्र में हाल में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के उदाहरणों का भी हवाला दिया। इस ऑपरेशन के तहत सेना के तीनों अंगों - थलसेना, नौसेना और वायुसेना के बीच एकजुटता प्रदर्शित हुई।
वह रक्षा थिंक-टैंक यूएसआई की ओर से 14-15 नवंबर को आयोजित दो दिवसीय भारतीय सैन्य विरासत उत्सव में शामिल हुए।
जनरल चौहान ने अपनी नयी किताब ‘रेडी, रेलेवेंट एंड रिसर्जेंट 2: शेपिंग ए फ्यूचर रेडी फोर्स’ पर केंद्रित संवाद के दौरान संकेत दिया कि जल्द ही इसका तीसरा खंड भी आएगा, जिसमें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से जुड़े विवरण भी शामिल होंगे।
सशस्त्र बलों की तीनों सेवाओं में एकजुटता और एकीकरण हासिल करने के सरकार के दृष्टिकोण के बारे में पूछे जाने पर जनरल चौहान ने 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत की ओर से की गई सैन्य कार्रवाई और इन सटीक हमलों से पहले के दिनों के कुछ उदाहरण दिए।
भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में कई आतंकवादी ढांचों पर सात मई को हमला किया था।
जनरल चौहान ने कहा कि एकीकरण के दृष्टिकोण के अनुरूप प्रयास जारी हैं, लेकिन प्रत्येक सेवा ‘‘अपनी खुद की पहचान बनाए रखेगी’’, क्योंकि हर सेवा की एक विशिष्ट भूमिका होने के कारण यह बेहद महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम प्रत्येक सेवा की सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने की कोशिश कर रहे हैं... हम लघुत्तम समापवर्त्य (एलसीएम) नहीं, बल्कि महत्तम समापवर्तक (एचसीएफ) अपनाने की कोशिश कर रहे हैं।’’
सीडीएस ने कहा कि 22 अप्रैल से सात मई तक की अवधि के दौरान इस बात का पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता थी कि ‘‘हमें पश्चिमी सीमा पर ले जाने के लिए किन चीजों की आवश्यकता है’’, क्योंकि इसके लिए मुख्य रूप से हवाई मार्ग का इस्तेमाल किया जाना था।
उन्होंने कहा कि यह ‘निर्बाध’ रूप से किया गया और यह एक सितारा (अधिकारी के) स्तर पर ही हो गया।
सीडीएस ने इस बात को भी रेखांकित किया कि एकीकरण के लिए तीनों सेनाओं के पास सतह से हवा में मार करने वाली मध्यम दूरी की मिसाइल (एमआरएसएएम) और ब्रह्मोस जैसे साझा उपकरण हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘(अस्त्र) भंडार उपलब्ध है और हम एक-दूसरे से बात करने में भी सक्षम हैं। इसलिए, हम एकीकरण के एक खास चरण में हैं।’’
जनरल चौहान ने कहा कि नौसेना ने भी ‘‘सीमा पार किए गए कुछ हमलों’’ में हिस्सा लिया था।
सीडीएस ने कहा, ‘‘उन्होंने (नौसेना ने) अपने पास उपलब्ध पाम 400 और पाम 120 जैसे उपकरणों का इस्तेमाल किया, जो लोइटर हथियार (आत्मघाती ड्रोन) हैं, जिनकी मारक क्षमता बहुत अधिक होती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह बात सेना और वायुसेना को ज्ञात नहीं थी। लेकिन, आईडीएस मुख्यालय को इसकी जानकारी थी, क्योंकि हम चीजों को एकीकृत करते हैं। हमने सेना और वायुसेना को इसकी पेशकश की... यह एक संयुक्त अभियान था... मार्कोस वायुसेना और थलसेना के साथ जमीनी सीमाओं पर तैनाती के लिए गए।’’
सीडीएस ने नियोजित एकीकरण (थिएटराइजेशन) के अनुरूप सेना में ‘‘संयुक्त संस्कृति’’ को बढ़ावा देने की भी वकालत की।
उन्होंने कहा, ‘‘मान लीजिए कि भविष्य में आपके पास एक संयुक्त मुख्यालय या थिएटर मुख्यालय हो, तो आपके पास साझा स्टाफ होगा। उसे एक ही तरीके से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए, जो हम एक (संयुक्त) स्टाफ कॉलेज में करने का प्रयास कर रहे हैं। हम एक संयुक्त संस्कृति विकसित कर रहे हैं।’’
जनरल चौहान ने कहा कि युद्ध को समझने में, खास तौर पर उग्रवाद और आतंकवाद रोधी अभियानों के मामले में, भौतिक भूगोल के साथ-साथ ‘‘मानव भूगोल’’ (मानव समाज और पर्यावरण के बीच के जटिल संबंधों का अध्ययन करने वाली भूगोल की शाखा) को समझना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब हम संज्ञानात्मक युद्ध, मनोवैज्ञानिक युद्ध और सोशल इंजीनियरिंग की बात करते हैं, तो जब तक हम उस विशेष स्थान के मानव भूगोल को नहीं समझते, मुझे नहीं लगता कि यह संभव है। इसलिए, दोनों भूगोल महत्वपूर्ण हैं और आने वाले समय में प्रासंगिक बने रहेंगे।’’
जनरल चौहान ने कहा, ‘‘किसी भी तरह के युद्ध में हम कैसे जीतते हैं? हम विरोधी के खिलाफ विषमताएं पैदा करके जीतते हैं। ये विषमताएं नए क्षेत्रों में पैदा करना आसान है, पुराने क्षेत्रों में नहीं।’’
उन्होंने कहा कि जब युद्ध भूमि पर हो रहा था, तो लोगों ने समुद्री क्षेत्र का आविष्कार किया, ताकि वहां विषमताएं पैदा की जा सकें और युद्ध को प्रभावित किया जा सके।
सीडीएस ने कहा, ‘‘इसी तरह, वायु क्षेत्र में युद्ध क्षमताओं का विकास हुआ। लेकिन, आज हम उस मोड़ पर हैं, जहां भूमि, समुद्र और वायु के पारंपरिक क्षेत्र खत्म हो चुके हैं और नए क्षेत्र उभरे हैं, जो बेहद महत्वपूर्ण हैं। अंतरिक्ष एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है और अगर इसमें एकीकरण का अभाव है, तो दूसरे देश इसका फायदा उठाकर पहले आपको अंतरिक्ष में हराएंगे और बाद में अन्य क्षेत्रों में युद्ध लड़ेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पुराने क्षेत्र में लड़ाई हमेशा खूनी, बहुत खूनी होगी। यह कठोर, कड़ी मेहनत वाला संघर्ष होगा। लेकिन नए क्षेत्र में यह स्मार्ट, तेज और प्रौद्योगिकी-प्रधान होगी, इसलिए आप उस नए क्षेत्र में जीतेंगे।’’
भाषा पारुल