बीआरएस विधायकों की अयोग्यता: न्यायालय ने तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष को अवमानना नोटिस जारी किया
सुरभि वैभव
- 17 Nov 2025, 01:41 PM
- Updated: 01:41 PM
नयी दिल्ली, 17 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सत्तारूढ़ कांग्रेस में शामिल हुए भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के 10 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने के उसके निर्देश का पालन नहीं करने पर सोमवार को तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया।
प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की पीठ ने 31 जुलाई को विधानसभा अध्यक्ष को बीआरएस के 10 विधायकों की अयोग्यता के मामले में तीन महीने के भीतर फैसला करने का निर्देश दिया था।
प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने बीआरएस नेताओं द्वारा दायर याचिकाओं पर अध्यक्ष और अन्य को नोटिस जारी करते हुए उसके पहले के निर्देशों का पालन नहीं करने को ‘‘घोर अवमानना’’ करार दिया।
हालांकि, पीठ ने तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष और अन्य को अगले आदेश तक व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट दे दी।
पीठ ने विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय की ओर से दायर एक अलग याचिका पर भी नोटिस जारी किया जिसमें अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने के लिए आठ सप्ताह का और समय बढ़ाने का अनुरोध किया गया था।
विधानसभा अध्यक्ष कार्यालय की ओर से वकील श्रवण कुमार के साथ उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और अभिषेक सिंघवी ने कहा कि उन्होंने समय-सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया है।
एक वकील ने बताया कि चार अयोग्यता याचिकाओं पर सुनवाई पूरी हो चुकी है और तीन मामलों में साक्ष्य दर्ज करने का काम पूरा हो चुका है।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह पूरी हो जानी चाहिए थी... यह घोर अवमानना है... यह उन्हें तय करना है कि वे नया साल कहां मनाना चाहते हैं।’’
पीठ ने अब मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद करना तय किया है।
रोहतगी ने पीठ को आश्वासन दिया कि वह व्यक्तिगत रूप से विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय को न्यायालय की भावनाओं से अवगत कराएंगे और उम्मीद है कि चार हफ्ते में फैसला ले लिया जाएगा।
शीर्ष अदालत ने 10 नवंबर को तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अवमानना कार्रवाई के अनुरोध वाली याचिका पर 17 नवंबर को सुनवाई करने पर सहमति जताई थी।
यह अवमानना याचिका बीआरएस नेताओं केटी रामाराव, पाडी कौशिक रेड्डी और केओ विवेकानंद द्वारा दायर कई रिट याचिकाओं पर प्रधान न्यायाधीश एवं न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ की ओर से दिए गए 31 जुलाई के फैसले से सामने आई है।
शीर्ष अदालत ने दोहराया कि संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करते समय विधानसभा अध्यक्ष एक न्यायाधिकरण के रूप में कार्य करते हैं और इसलिए उन्हें ‘‘संविधान के तहत प्राप्त छूट’’ नहीं मिलती है।
दसवीं अनुसूची दलबदल के आधार पर अयोग्यता के प्रावधानों से संबंधित है।
भाषा सुरभि