महाराष्ट्र: उच्च न्यायालय ने शिक्षकों की भर्ती के लिए ‘पवित्र’ पोर्टल के इस्तेमाल पर जोर दिया
अविनाश
- 29 Oct 2025, 04:50 PM
- Updated: 04:50 PM
मुंबई, 29 अक्टूबर (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने शिक्षकों की भर्ती के लिए सरकार के ‘पवित्र’ पोर्टल के इस्तेमाल पर जोर देते हुए राज्य को सभी स्कूलों और कॉलेजों में इस प्रणाली की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सटीक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे और न्यायमूर्ति अश्विन भोबे की पीठ ने 16 अक्टूबर को पारित आदेश में कहा कि वर्तमान में महाराष्ट्र में कई शैक्षणिक संस्थान हैं जो इस आड़ में निजी तौर पर भर्ती प्रक्रिया संचालित करते हैं कि पोर्टल काम नहीं कर रहा है या उन्हें ‘लॉगिन आईडी’ उपलब्ध नहीं कराई गई है।
उच्च न्यायालय ने आदेश में कहा, "पवित्र पोर्टल भर्ती प्रणाली का कड़ाई से पालन होना चाहिए।" आदेश की प्रति बुधवार को उपलब्ध हुई।
पीठ ने राज्य के शिक्षा एवं खेल विभाग के प्रमुख सचिव को कम से कम तीन सदस्यों वाली एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने का निर्देश दिया, जो सभी शैक्षणिक संस्थानों का निरीक्षण करेगी और रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
इसके बाद सरकार दोषी संस्थानों के खिलाफ सुधारात्मक कार्रवाई शुरू करेगी।
अदालत ने कहा कि सरकार के लिए यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि पवित्र पोर्टल सभी संस्थानों के लिए चालू हो और उन्हें ‘लॉगिन आईडी’ प्रदान की जानी चाहिए।
पीठ ने सरकार द्वारा पवित्र पोर्टल की उपलब्धता और उस पर अतिरिक्त शिक्षकों के नाम निरंतर अपलोड करने के संबंध में एक ठोस एसओपी को औपचारिक रूप देने का आदेश दिया।
उच्च न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार को ऐसे दोषी अधिकारियों से सख्ती से निपटना चाहिए। अदालत ने कहा कि अगर भर्ती की व्यवस्था उपलब्ध होने के बावजूद, शैक्षणिक संस्थानों को निजी तौर पर शिक्षकों की भर्ती करने की अनुमति दी जाती है, तो इससे पवित्र पोर्टल व्यावहारिक रूप से निष्प्रभावी हो जाएगा।
उच्च न्यायालय ने कहा, "हमें ऐसी बिगड़ती स्थिति की उम्मीद नहीं थी। राज्य सरकार को प्रत्येक शिक्षा अधिकारी को जवाबदेह ठहराना चाहिए और इस मुद्दे से सख्ती से निपटना चाहिए।"
यह आदेश रायगढ़ जिले के कुछ शिक्षकों और सुधागढ़ एजुकेशन सोसाइटी द्वारा दायर याचिकाओं पर पारित किया गया, जिसमें शिक्षण सेवक के रूप में नियुक्ति के लिए अनुमोदन मांगने के उनके प्रस्ताव को अस्वीकार किए जाने को चुनौती दी गई थी।
शिक्षकों को 2022 में शिक्षण सेवक के रूप में नियुक्त किया गया था। याचिकाकर्ता संस्थान के अनुसार, शिक्षकों को प्रबंधन द्वारा निजी तौर पर भर्ती किया गया था, क्योंकि सरकार का पवित्र पोर्टल सिस्टम सक्रिय नहीं था।
सरकार ने कहा कि उसने याचिकाकर्ताओं को शिक्षण सेवक के रूप में मंजूरी देने के संस्थान के प्रस्ताव को खारिज कर दिया, क्योंकि शिक्षकों की भर्ती के लिए एक व्यवस्थित मंच पवित्र पोर्टल उपलब्ध था और याचिकाकर्ता संस्थान को एक ‘लॉगिन आईडी’ आवंटित की गई थी।
भाषा आशीष