तृणमूल का दावा: बंगाल के कूचबिहार में 63 वर्षीय व्यक्ति ने एसआईआर के डर से आत्महत्या की कोशिश की
प्रशांत अविनाश
- 29 Oct 2025, 07:35 PM
- Updated: 07:35 PM
कूच बिहार, 29 अक्टूबर (भाषा) तृणमूल कांग्रेस ने बुधवार को दावा किया कि पश्चिम बंगाल के कूच बिहार में 63 वर्षीय एक व्यक्ति ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत उत्पीड़न के डर से आत्महत्या का प्रयास किया। इसके साथ ही तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा तथा निर्वाचन आयोग (ईसी) पर पूरे राज्य में दहशत फैलाने का आरोप लगाया।
पुलिस ने बताया कि दिनहाटा के जीतपुर निवासी खैरुल शेख ने कथित तौर पर जहर खा लिया क्योंकि “वह 2002 की मतदाता सूची में अपना गलत नाम दर्ज होने से चिंतित था।” फिलहाल उसका कूचबिहार जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने संवाददाताओं को बताया, “हमें पता चला कि 2002 की मतदाता सूची में गलत नाम दर्ज होने से वह कई दिनों से चिंतित था।” उन्होंने कहा कि शेख के आत्महत्या की कोशिश करने के पीछे का वास्तविक कारण उसकी हालत में सुधार होने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा।
यह घटना उत्तर 24 परगना के पनिहाटी में 57 वर्षीय एक व्यक्ति द्वारा कथित तौर पर आत्महत्या करने के एक दिन बाद हुई है। उसने अपनी मौत के लिए एनआरसी को जिम्मेदार ठहराते हुए एक नोट छोड़ा था।
इन दोनों घटनाओं ने राज्य में एसआईआर की कवायद को लेकर नए राजनीतिक टकराव को हवा दे दी है।
पनिहाटी में मृतक के परिजनों से मुलाकात के बाद तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कहा, “मुझे पता चला है कि कूचबिहार में एक और व्यक्ति ने आत्महत्या करने की कोशिश की है। वह फिलहाल अस्पताल में भर्ती है और डॉक्टरों की निगरानी में है। हम उसके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं।”
तृणमूल ने ‘एक्स’ पर कड़े शब्दों में लिखे पोस्ट के जरिए अपना हमला तेज करते हुए कहा, “दो जानें। दो त्रासदी। एक कारण। भाजपा की नफरत की राजनीति। नरेन्द्र मोदी, नागरिकता को हथियार बनाना बंद करने के लिए कितनी जानें लेनी होंगी?”
टीएमसी नेता पार्थ प्रतिम रॉय ने आरोप लगाया कि कूचबिहार के पूर्व एन्क्लेव निवासियों में व्यापक भय है और उन्हें डर है कि कहीं उन्हें “अपनी ही भूमि में बाहरी” घोषित न कर दिया जाए।
उन्होंने कहा, “आयोग को जिम्मेदारी लेनी चाहिए। लगातार दो घटनाएं दर्शाती हैं कि एसआईआर किस तरह से लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहा है।”
भाजपा ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि एसआईआर प्रक्रिया मतदाता सूची को ‘साफ’ करने की एक नियमित प्रक्रिया है।
भाजपा के एक स्थानीय नेता ने कहा, “आरोप निराधार हैं। वे हर घटना को राजनीतिक मोड़ देने की कोशिश कर रहे हैं।”
निर्वाचन आयोग ने इस विवाद पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
पुलिस ने कहा कि यह पता लगाने के लिए जांच चल रही है कि क्या दोनों घटनाएं मौजूदा सत्यापन अभियान से जुड़ी हैं।
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