भारत ने म्यांमा पर संयुक्त राष्ट्र की ‘पक्षपातपूर्ण’ रिपोर्ट की निंदा की
प्रशांत अविनाश
- 29 Oct 2025, 04:40 PM
- Updated: 04:40 PM
संयुक्त राष्ट्र, 29 अक्टूबर (भाषा) भारत ने म्यांमा की मानवाधिकार स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में उसके (भारत के) खिलाफ किये गए “पक्षपातपूर्ण विश्लेषण” की कड़ी निंदा की है। साथ ही, उसने पड़ोसी देश में तत्काल हिंसा रोकने और समावेशी राजनीतिक संवाद शुरू करने की अपनी अपील दोहराई।
संयुक्त राष्ट्र महासभा की तीसरी समिति में मंगलवार को म्यांमा में मानवाधिकार की स्थिति पर संवाद के दौरान भारत की ओर से बयान देते हुए, लोकसभा सदस्य दिलीप सैकिया ने कहा कि नयी दिल्ली विश्वास को बढ़ावा देने हुए शांति, स्थिरता तथा लोकतंत्र की ओर म्यांमा के आगे बढ़ने के उद्देश्य से सभी पहल का समर्थन जारी रखेगा।
उन्होंने कहा, “हम हिंसा को तत्काल समाप्त करने, राजनीतिक कैदियों की रिहाई, मानवीय सहायता की निर्बाध आपूर्ति और समावेशी राजनीतिक वार्ता का आह्वान करते हुए अपने रुख को दोहराते हैं।”
मानवाधिकार और मानवीय मुद्दों से संबंधित संयुक्त राष्ट्र की तीसरी समिति, 2021 के सैन्य तख्तापलट और सैन्य शासन तथा विरोधी बलों के बीच जारी हिंसा के बीच म्यांमा में बिगड़ती स्थिति पर चर्चा कर रही थी।
80वें संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए भाजपा सांसद डी. पुरंदेश्वरी नीत बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल सैकिया ने कहा कि भारत ने म्यांमा के साथ अपने संबंधों में “लगातार लोक-केंद्रित दृष्टिकोण पर जोर दिया है”।
म्यांमा की मानवाधिकार स्थिति पर अपनी रिपोर्ट में भारत के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिवेदक द्वारा की गई टिप्पणियों की कड़ी आलोचना करते हुए उन्होंने कहा: “मैं अपने देश के संबंध में रिपोर्ट में की गई आधारहीन और पक्षपातपूर्ण टिप्पणियों पर गंभीर आपत्ति व्यक्त करता हूं।” सैकिया ने कहा कि अप्रैल 2025 में पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले को म्यांमा से विस्थापित लोगों से जोड़ने का दावा बिल्कुल भी तथ्यात्मक नहीं है।
उन्होंने कहा, “मेरा देश विशेष प्रतिवेदक द्वारा किए गए इस प्रकार के पूर्वाग्रही और संकीर्ण विश्लेषण को अस्वीकार करता है।”
सांसद ने इस बात पर जोर दिया कि म्यांमा में बिगड़ती सुरक्षा और मानवीय स्थिति भारत के लिए “गहरी चिंता का विषय” बनी हुई है, विशेष रूप से इसके “सीमा पार प्रभाव” के कारण, जिसमें “मादक पदार्थ, हथियार और मानव तस्करी जैसे अंतरराष्ट्रीय अपराधों” से उत्पन्न चुनौतियां शामिल हैं।
उन्होंने आगाह किया कि भारत ने कुछ विस्थापित व्यक्तियों में “कट्टरवाद का खतरनाक स्तर” देखा है, जिससे “कानून व्यवस्था की स्थिति पर दबाव और प्रभाव” पड़ रहा है।
सैकिया ने संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों से आग्रह किया कि वे “असत्यापित और पूर्वाग्रह से ग्रस्त मीडिया रिपोर्टों पर भरोसा न करें, जिनका एकमात्र उद्देश्य भारत को बदनाम करना प्रतीत होता है।”
उन्होंने रेखांकित किया कि देश में 20 करोड़ से अधिक मुसलमान रहते हैं, जो विश्व की मुस्लिम आबादी का लगभग 10 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि भारत में वे सभी धर्मों के लोगों के साथ सद्भाव से रह रहे हैं।
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