निजी कंपनियों के माध्यम से भेजी रिश्वत की रकम, अधिकारी सहित तीन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज
पृथ्वी खारी
- 28 Oct 2025, 05:23 PM
- Updated: 05:23 PM
जयपुर, 28 अक्टूबर (भाषा) राजस्थान में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने दो निजी कंपनियों के माध्यम से रिश्वत की रकम भेजे जाने से जुड़े एक भ्रष्टाचार के एक मामले में सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी, उनकी पत्नी और एक सहकर्मी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
एसीबी द्वारा 17 अक्टूबर को दर्ज की गई प्राथमिकी के अनुसार ‘राजकॉम्प इन्फो सर्विसेज लिमिटेड’ के संयुक्त निदेशक प्रद्युमन दीक्षित और उप निदेशक राकेश कुमार कमलेश पर ‘फर्जी’ अनुबंध के जरिए रिश्वत राशि का भुगतान कराने का आरोप लगाया गया है।
प्राथमिकी में कहा गया है कि दीक्षित की पत्नी पूनम पांडे को ऐसे काम के लिए भुगतान मिला जो कभी किया ही नहीं गया। आरोप है कि इस ‘फर्जी काम’ की आड़ में कथित तौर पर दो निजी कंपनी ‘ऑरियनप्रो’ और ‘ट्राइएजिन सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड’ के माध्यम से रिश्वत की रकम उनके बैंक खाते में भेजी गई।
दीक्षित पर अपनी पत्नी की दो निजी कंपनियों में नियुक्ति कराने में मदद करने का भी आरोप है, जबकि उन्होंने वास्तव में वहां कोई काम नहीं किया।
‘राजकॉम्प इन्फो सर्विसेज लिमिटेड’, सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग के अधीन एक सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी है जो केंद्र सरकार के उपक्रम ‘एनआईसीएसआई’ के माध्यम से कर्मचारियों की व्यवस्था करती है।
एनआईसीएसआई निजी कंपनियों से कर्मचारियों की नियुक्ति कराती है, जबकि ‘राजकॉम्प’ यह तय करता है कि किन कंपनियों से कर्मचारी लिए जाएं।
प्राथमिकी में आरोप है कि दीक्षित ने ‘ऑरियनप्रो’ कंपनी से कर्मचारियों की भर्ती में मदद के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया और अपनी पत्नी की फर्जी नियुक्ति के बदले फर्म को अनुचित लाभ पहुंचाया।
आरोप है कि ‘ऑरियनप्रो’ कंपनी ने अप्रैल 2019 से पांडे के खाते में नियमित रूप से राशि अंतरित की, जबकि पांडे ने कभी कार्यालय में कार्य नहीं किया।
इसमें कहा गया कि स्वयं दीक्षित ने उनकी उपस्थिति रिकॉर्ड में कथित रूप से हेराफेरी की क्योंकि वह कार्यालय नहीं जाती थीं। एसीबी के अनुसार, पांडे के खाते में कुल मिलाकर कम से कम 50 लाख रुपये अंतरित किए गए।
राजस्थान उच्च न्यायालय ने अधिवक्ता टी. एन. शर्मा द्वारा दायर याचिका पर जुलाई में इस मामले की प्रारंभिक जांच के आदेश दिए थे।
जांच में अब तक सामने आईं अनियमितताएं में पांडे की असत्यापित उपस्थिति, कार्य निष्पादन रिकॉर्ड में गड़बड़ी, और ‘ऑरियनप्रो’ तथा ट्राइएज़िन सॉफ्टवेयर में उनकी कथित नियुक्ति शामिल हैं।
प्रारंभिक जांच के निष्कर्षों के आधार पर एसीबी ने 17 अक्टूबर को दीक्षित, उनकी पत्नी पांडे और कमलेश के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया।
प्राथमिकी के अनुसार, दीक्षित और कमलेश पर फर्जी रोजगार रिकॉर्ड तैयार करने और सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग करने के लिए संबंधित कंपनी के साथ मिलीभगत का आरोप है।
आरोप यह भी है कि इन कंपनियों ने कार्य आदेश जारी करने और सरकारी ठेकों को सुगम बनाने में दीक्षित के प्रभाव के बदले पांडे के खाते में बड़ी रकम अंतरित की गई।
भाषा पृथ्वी